नई दिल्ली : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एफएआईएमएस) दिल्ली के फैकल्टी एसोसिएशन ने एम्स का नाम बदले जाने के प्रस्ताव पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर विरोध दर्ज कराया है. कुछ हफ्ते पहले फैकल्टी एसोसिएशन ने अपने सदस्यों को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर राय मांगी थी और दो दिनों के भीतर जवाब मांगा था. इसके जवाब में सदस्यों ने एम्स दिल्ली का नाम बदलने की चर्चा का विरोध किया है. change name of AIIMS Delhi .
पत्र में बताया गया है, 'फैकल्टी एसोसिएशन को मीडिया से यह जानकारी मिली है कि दिल्ली एम्स का नाम बदला जा रहा है. इसे किसी मशहूर हस्ती के नाम पर रखा जा सकता है. एसोसिएशन ने इस प्रस्ताव के बारे में सभी सदस्यों की राय ली. और उसके बाद सर्वसम्मति से अपना विरोध साझा किया है.' पत्र में आगे बताया गया है कि अगर नाम बदल दिया जाता है तो दिल्ली एम्स की पहचान और वहां पर कार्यरत डॉक्टरों और कर्मचारियों के मनोबल को भारी नुकसान पहुंचेगा. इसलिए, एसोसिएशन आपसे अनुरोध करता है कि कृपया एम्स दिल्ली का नाम बदलने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार न करें. दिल्ली एम्स की पहचान देश में कुछ अलग है. यह एक प्रीमियर इंस्टीट्यूट है. यह दूसरे संस्थानों के लिए मेंटर का भी काम करता है. अगर नाम बदला गया, तो इसको झटका लगेगा.
उन्होंने आगे लिखा, 'हम आपसे यह भी अनुरोध करते हैं कि एम्स, दिल्ली के परिसर में आवास और प्रशासनिक सुधार (प्रमुखता के रोटेशन) से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक करें.' एसोसिएशन का मानना है कि नाम बदलने से एम्स की पहचान को नुकसान पहुंचेगा. 1956 में एम्स की स्थापना की गई थी. इसका उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान और रोगियों की देखभाल था. उनका यह कहना है कि इसने अपनी स्थापना के समय से ही अपने मिशन को पूरा किया है. अब तक, यह चिकित्सा संस्थानों की एनआईआरएफ रैंकिंग में लगातार पहले स्थान पर रहा है.
उन्होंने कहा कि इसकी पहचान इसके नाम में है. यदि यह पहचान खो जाती है, तो देश और विदेश, दोनों जगहों पर संस्थागत मान्यता को झटका लगेगा. यही कारण है कि दुनिया के दूसरे प्रतिष्ठित संस्थानों के नाम सालों से नहीं बदले हैं, फिर चाहे वह ऑक्सफोर्ड हो या कैंब्रिज या फिर हार्वर्ड विवि.
ऐसी चर्चा है कि एम्स का नाम स्थानीय नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों या फिर उस क्षेत्र के गुमनाम हस्तियों के नाम पर रखा जा सकता है. देश में अभी कुल 23 एम्स हैं. उनके नामों के बदलने को लेकर प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी एम्स को विशिष्ट नाम देने के प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया है, जिसमें वे भी शामिल हैं जो पूरी तरह कार्यात्मक, आंशिक रूप से कार्यात्मक और निर्माणाधीन है.
सभी नए एम्स से अनुरोध किया गया था कि वे सुझाए गए नामों के लिए एक व्याख्यात्मक नोट के साथ प्रत्येक श्रेणी (स्थानीय नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों, गुमनाम नायकों या ऐतिहासिक स्मारकों) में तीन से चार नामों का सुझाव दें. वर्तमान में, प्रधान मंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) के तहत स्थापित या स्थापित किए जा रहे विभिन्न एम्स को एम्स के सामान्य नाम से जाना जाता है, जो केवल उनके स्थान से प्रतिष्ठित होता है. एम्स भोपाल, एम्स भुवनेश्वर, एम्स जोधपुर, एम्स पटना, एम्स रायपुर, एम्स ऋषिकेश, एम्स नागपुर, एम्स रायबरेली और एम्स मदुरै को नामों के संबंध में सुझाव दिए गए हैं.