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MSP पर बना कानून तो हर किसान को होगा 10-20,000 प्रति एकड़ का फायदा

तीन कृषि कानून और एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिये कानून की मांग पर सरकार और किसान संगठनों में गतिरोध बरकरार है.

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Published : Aug 25, 2021, 4:07 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के धरना प्रदर्शन को 9 महीने गुरुवार को पूरे हो जाएंगे. दूसरी तरफ नवगठित राष्ट्रीय किसान मोर्चा गतिरोध को समाप्त कर किसानों को फायदा पहुंचाने की कवायद में जुटी हुई है.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक वीएम सिंह का दावा है कि उन्हें दो दर्जन राज्यों के 100 से अधिक किसान संगठनों का समर्थन हैं जो तीन कृषि कानूनों में संशोधन पर सहमत हैं. लेकिन इसके साथ ही एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिये कानून बनाने की शर्त भी उन्होंने सरकार के समक्ष रखी है.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक वीएम सिंह का कहना है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात कही थी. यह एक सकारात्मक कदम है. यदि सरकार एमएसपी पर कानून बना देती है तो प्रत्येक किसान को 10 से 20 हज़ार रुपये प्रति एकड़ का फायदा होगा. इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि देश की लचर हो चली अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

गतिरोध को समाप्त करने में जुटे किसान
गतिरोध को समाप्त करने में जुटे किसान
बुधवार को दिल्ली देहात के किसानों के साथ कंझावला के डीसी कार्यालय में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन द्वारा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया जिसमें एक बार फिर सरकार को चार संशोधन के प्रस्ताव भेजे गए हैं. संयोजक वीएम सिंह ने जानकारी दी कि अभी तक 2 दर्जन राज्यों से 400 से ज्यादा ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम भेजे जा चुके हैं.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा का कहना है कि सरकार को यह आशंका हो सकती है कि यदि वह संशोधन और एमएसपी पर कानून के लिये हामी भर दें इसके बावजूद बॉर्डर पर बैठे किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहेंगे और यह गतिरोध बरकरार रहेगा लेकिन ऐसा नहीं है. सरकार यदि कदम आगे बढ़ाती है तो किसानों में एक विश्वास पैदा होगा, तय एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने पर उनको लाभ दिखेगा और वह आंदोलन का रास्ता छोड़ वार्ता का रास्ता जरूर अपनाएंगे.
बता दें कि 4 अगस्त को राष्ट्रीय किसान मोर्चा के गठन के बाद 5 अगस्त को भी प्रधानमंत्री के नाम इन्हीं मांगों के साथ ज्ञापन भेजा गया था लेकिन सरकार की तरफ से अब तक राष्ट्रीय किसान मोर्चा को कोई जवाब नहीं दिया गया है.

वीएम सिंह का कहना है कि जो किसान बॉर्डर पर नहीं बैठे हैं वह भी तीन कृषि कानूनों के मौजूदा स्वरूप से संतुष्ट नहीं हैं. एमएसपी पर कानून बने यह उनकी भी मांग है लेकिन छोटे किसान जिनका घर चलाने का साधन केवल खेती और मजदूरी है वह महीनों तक बॉर्डर पर नहीं रह सकते.

इसलिये अपने अपने क्षेत्र से ही शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन में शामिल हैं. सरकार को यह नहीं समझना चाहिये कि जो किसान दिल्ली के बोर्डरों पर आंदोलन में शामिल नहीं वह तीन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं.
आरएसएस की कृषक इकाई भारतीय किसान संघ ने भी तीन कृषि कानूनों के मौजूदा स्वरूप पर लगातार असंतोष व्यक्त किया है और 8 सितंबर से देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की घोषणा भी कर दी है. किसान संघ भी संशोधन के पक्ष में है लेकिन सरकार बहरहाल संशोधन पर भी आगे नहीं बढ़ रही.

इसे भी पढ़ें : प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार पर जासूसी कराने का अंदेशा जताया
राष्ट्रीय किसान मोर्चा का कहना है कि जब अध्यादेश के माध्यम से कानून लाए जा सकते हैं तो संसद सत्र न चलने के बावजूद अध्यादेश से ही संशोधन भी संभव है. सरकार को इसके लिये मंशा दिखाने की जरूरत है.

नई दिल्ली : दिल्ली के बोर्डरों पर बैठे संयुक्त किसान मोर्चा के धरना प्रदर्शन को 9 महीने गुरुवार को पूरे हो जाएंगे. दूसरी तरफ नवगठित राष्ट्रीय किसान मोर्चा गतिरोध को समाप्त कर किसानों को फायदा पहुंचाने की कवायद में जुटी हुई है.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक वीएम सिंह का दावा है कि उन्हें दो दर्जन राज्यों के 100 से अधिक किसान संगठनों का समर्थन हैं जो तीन कृषि कानूनों में संशोधन पर सहमत हैं. लेकिन इसके साथ ही एमएसपी पर अनिवार्य खरीद के लिये कानून बनाने की शर्त भी उन्होंने सरकार के समक्ष रखी है.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा के संयोजक वीएम सिंह का कहना है कि मोदी सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी करने की बात कही थी. यह एक सकारात्मक कदम है. यदि सरकार एमएसपी पर कानून बना देती है तो प्रत्येक किसान को 10 से 20 हज़ार रुपये प्रति एकड़ का फायदा होगा. इससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी बल्कि देश की लचर हो चली अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी.

गतिरोध को समाप्त करने में जुटे किसान
गतिरोध को समाप्त करने में जुटे किसान
बुधवार को दिल्ली देहात के किसानों के साथ कंझावला के डीसी कार्यालय में राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन द्वारा प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया जिसमें एक बार फिर सरकार को चार संशोधन के प्रस्ताव भेजे गए हैं. संयोजक वीएम सिंह ने जानकारी दी कि अभी तक 2 दर्जन राज्यों से 400 से ज्यादा ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम भेजे जा चुके हैं.

राष्ट्रीय किसान मोर्चा का कहना है कि सरकार को यह आशंका हो सकती है कि यदि वह संशोधन और एमएसपी पर कानून के लिये हामी भर दें इसके बावजूद बॉर्डर पर बैठे किसान तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर ही अड़े रहेंगे और यह गतिरोध बरकरार रहेगा लेकिन ऐसा नहीं है. सरकार यदि कदम आगे बढ़ाती है तो किसानों में एक विश्वास पैदा होगा, तय एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने पर उनको लाभ दिखेगा और वह आंदोलन का रास्ता छोड़ वार्ता का रास्ता जरूर अपनाएंगे.
बता दें कि 4 अगस्त को राष्ट्रीय किसान मोर्चा के गठन के बाद 5 अगस्त को भी प्रधानमंत्री के नाम इन्हीं मांगों के साथ ज्ञापन भेजा गया था लेकिन सरकार की तरफ से अब तक राष्ट्रीय किसान मोर्चा को कोई जवाब नहीं दिया गया है.

वीएम सिंह का कहना है कि जो किसान बॉर्डर पर नहीं बैठे हैं वह भी तीन कृषि कानूनों के मौजूदा स्वरूप से संतुष्ट नहीं हैं. एमएसपी पर कानून बने यह उनकी भी मांग है लेकिन छोटे किसान जिनका घर चलाने का साधन केवल खेती और मजदूरी है वह महीनों तक बॉर्डर पर नहीं रह सकते.

इसलिये अपने अपने क्षेत्र से ही शांतिपूर्ण रूप से आंदोलन में शामिल हैं. सरकार को यह नहीं समझना चाहिये कि जो किसान दिल्ली के बोर्डरों पर आंदोलन में शामिल नहीं वह तीन कृषि कानूनों के समर्थन में हैं.
आरएसएस की कृषक इकाई भारतीय किसान संघ ने भी तीन कृषि कानूनों के मौजूदा स्वरूप पर लगातार असंतोष व्यक्त किया है और 8 सितंबर से देशव्यापी आंदोलन शुरू करने की घोषणा भी कर दी है. किसान संघ भी संशोधन के पक्ष में है लेकिन सरकार बहरहाल संशोधन पर भी आगे नहीं बढ़ रही.

इसे भी पढ़ें : प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार पर जासूसी कराने का अंदेशा जताया
राष्ट्रीय किसान मोर्चा का कहना है कि जब अध्यादेश के माध्यम से कानून लाए जा सकते हैं तो संसद सत्र न चलने के बावजूद अध्यादेश से ही संशोधन भी संभव है. सरकार को इसके लिये मंशा दिखाने की जरूरत है.

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