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कोरोना माता मंदिर को गिराने का मामला: प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए SC ने खारिज की याचिका - SC ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने यूपी के प्रतापगढ़ जिले में निर्मित 'कोरोना माता मंदिर' (Corona Mata temple) को ध्वस्त किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है. शीर्ष कोर्ट ने इसे 'प्रक्रिया का दुरुपयोग' बताते हुए याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया.

SC ने खारिज की याचिका
SC ने खारिज की याचिका
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Published : Oct 9, 2021, 5:53 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एक महिला द्वारा अपने पति के साथ मिलकर निर्मित 'कोरोना माता मंदिर' को ध्वस्त किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका 'प्रक्रिया का दुरुपयोग' बताते हुए खारिज कर दी.

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पीठ ने साथ ही कहा कि जिस जमीन पर मंदिर बनाया गया था, वह विवादित थी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की दलील है कि यह उसकी निजी जमीन है और निर्माण स्थानीय नियमों के अनुसार किया गया है तो उसने उचित कानूनी उपाय का इस्तेमाल नहीं किया.

पीठ ने कहा, 'अब तक, याचिकाकर्ता ने इस देश के लोगों को संक्रमित करने वाली अन्य सभी संभावित बीमारियों के लिए मंदिरों का निर्माण नहीं किया है. भूमि ही विवादित थी, जैसा कि दर्ज किया गया है. इस संबंध में पुलिस में एक शिकायत की गई थी.'

5,000 रुपये का जुर्माना लगाया

पीठ ने कहा, 'हमारा विचार है कि यह स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. रिट याचिका को 5,000 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ खारिज किया जाता है. जुर्माने की राशि चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में जमा करायी जाए.'

याचिकाकर्ता दीपमाला श्रीवास्तव ने मौलिक अधिकार के उल्लंघन को लेकर संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उल्लेख करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

ये है मामला

प्रतापगढ़ के जूही शुकुलपुर गांव में 'कोरोना माता' मंदिर का निर्माण किया गया था. मंदिर का निर्माण 7 जून को किया गया था और इस मंदिर 11 जून की रात को गिरा दिया गया.

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इसे पुलिस ने ध्वस्त कर दिया, जिसने आरोप से इनकार करते हुए कहा कि यह एक विवादित स्थल पर बनाया गया था और विवाद में शामिल पक्षों में से एक ने इसे तोड़ दिया.

ग्रामीणों ने कहा कि मंदिर का निर्माण लोकेश कुमार श्रीवास्तव ने स्थानीय निवासियों के दान से किया था. उन्होंने 'कोरोना माता' की मूर्ति स्थापित की. गांव के राधेश्याम वर्मा को इसका पुजारी नियुक्त किया गया, जिसके बाद लोग वहां पूजा-अर्चना करने लगे थे.

पढ़ें- उत्तर प्रदेश : ध्वस्त हुआ कोरोना माता का मंदिर, पुलिस पर लगा आरोप

नोएडा में रहने वाले लोकेश का स्वामित्व जमीन पर नागेश कुमार श्रीवास्तव और जय प्रकाश श्रीवास्तव के साथ है. मंदिर निर्माण के बाद वह गांव से नोएडा चला गया. नागेश ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में कहा कि मंदिर का निर्माण जमीन हथियाने के लिए किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में एक महिला द्वारा अपने पति के साथ मिलकर निर्मित 'कोरोना माता मंदिर' को ध्वस्त किये जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका 'प्रक्रिया का दुरुपयोग' बताते हुए खारिज कर दी.

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पीठ ने साथ ही कहा कि जिस जमीन पर मंदिर बनाया गया था, वह विवादित थी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की दलील है कि यह उसकी निजी जमीन है और निर्माण स्थानीय नियमों के अनुसार किया गया है तो उसने उचित कानूनी उपाय का इस्तेमाल नहीं किया.

पीठ ने कहा, 'अब तक, याचिकाकर्ता ने इस देश के लोगों को संक्रमित करने वाली अन्य सभी संभावित बीमारियों के लिए मंदिरों का निर्माण नहीं किया है. भूमि ही विवादित थी, जैसा कि दर्ज किया गया है. इस संबंध में पुलिस में एक शिकायत की गई थी.'

5,000 रुपये का जुर्माना लगाया

पीठ ने कहा, 'हमारा विचार है कि यह स्पष्ट रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की प्रक्रिया का दुरुपयोग है. रिट याचिका को 5,000 रुपये का जुर्माना लगाने के साथ खारिज किया जाता है. जुर्माने की राशि चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में जमा करायी जाए.'

याचिकाकर्ता दीपमाला श्रीवास्तव ने मौलिक अधिकार के उल्लंघन को लेकर संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उल्लेख करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

ये है मामला

प्रतापगढ़ के जूही शुकुलपुर गांव में 'कोरोना माता' मंदिर का निर्माण किया गया था. मंदिर का निर्माण 7 जून को किया गया था और इस मंदिर 11 जून की रात को गिरा दिया गया.

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि इसे पुलिस ने ध्वस्त कर दिया, जिसने आरोप से इनकार करते हुए कहा कि यह एक विवादित स्थल पर बनाया गया था और विवाद में शामिल पक्षों में से एक ने इसे तोड़ दिया.

ग्रामीणों ने कहा कि मंदिर का निर्माण लोकेश कुमार श्रीवास्तव ने स्थानीय निवासियों के दान से किया था. उन्होंने 'कोरोना माता' की मूर्ति स्थापित की. गांव के राधेश्याम वर्मा को इसका पुजारी नियुक्त किया गया, जिसके बाद लोग वहां पूजा-अर्चना करने लगे थे.

पढ़ें- उत्तर प्रदेश : ध्वस्त हुआ कोरोना माता का मंदिर, पुलिस पर लगा आरोप

नोएडा में रहने वाले लोकेश का स्वामित्व जमीन पर नागेश कुमार श्रीवास्तव और जय प्रकाश श्रीवास्तव के साथ है. मंदिर निर्माण के बाद वह गांव से नोएडा चला गया. नागेश ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में कहा कि मंदिर का निर्माण जमीन हथियाने के लिए किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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