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Uniform Banking Code: विदेशी धन लेनदेन के लिए समान बैंकिंग कोड पर गौर करे केंद्र: हाईकोर्ट - Delhi High Court

दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने मंगलवार को केंद्र से कहा कि वह एक जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे. जिसमें कालाधन और बेनामी लेनदेन को नियंत्रित करने को लेकर विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए एक समान बैंकिंग कोड (Uniform Banking Code) लागू करने का अनुरोध किया गया है.

Uniform Banking Code
समान बैंकिंग कोड
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Published : Apr 5, 2022, 5:27 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंकिंग कोड को लेकर याचिका पर केंद्र गौर करे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने गृह मंत्रालय, कानून और न्याय तथा वित्त मंत्रालयों के माध्यम से केंद्र को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब देने को कहा है.

केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक गंभीर मुद्दा उठाया है जिस पर सरकार विचार करेगी. अदालत ने केंद्र से याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर गंभीरता से गौर करने के लिए कहा. मामले में अब 25 मई को सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने विदेशी धन के स्थानांतरण के संबंध में प्रणाली में खामियों को उजागर किया. जिसका इस्तेमाल अलगाववादी, नक्सली, माओवादी, कट्टरपंथी और आतंकवादी कर सकते हैं.

मुद्दा गंभीर है: सुनवाई के दौरान एएसजी ने कहा कि उन्होंने (याचिकाकर्ता) एक गंभीर मुद्दा उठाया है. हम इस पर विचार करेंगे और वापस आएंगे. मुद्दे गंभीर और महत्वपूर्ण हैं, उन पर विस्तृत विचार की आवश्यकता है. याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (IMPS) का इस्तेमाल नहीं किया जाए.

विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान: याचिकाकर्ता ने कहा कि यह न केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इसका इस्तेमाल अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफियाओं और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे कट्टरपंथी संगठनों को धन मुहैया कराने के लिए भी किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- एक्सिस बैंक, विस्तारा ने पेश किया सह-ब्रांड विदेशी मुद्रा लेनदेन कार्ड

यह दी दलील: उन्होंने दलील दी है कि वीजा के लिए आव्रजन नियम समान हैं, चाहे कोई विदेशी बिजनेस क्लास या इकोनॉमी क्लास में आता हो, एयर इंडिया या ब्रिटिश एयरवेज का उपयोग करता हो और अमेरिका या युगांडा से आता हो. इसी तरह विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए. चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन या चैरिटी चालू खाते में दान या यूट्यूबर के खाते में सेवा शुल्क में देय हो. याचिका में कहा गया है कि प्रारूप एक समान होना चाहिए चाहे वह वेस्टर्न यूनियन या नेशनल बैंक या भारत स्थित विदेशी बैंक द्वारा परिवर्तित किया गया हो.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए समान बैंकिंग कोड को लेकर याचिका पर केंद्र गौर करे. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने गृह मंत्रालय, कानून और न्याय तथा वित्त मंत्रालयों के माध्यम से केंद्र को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब देने को कहा है.

केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) चेतन शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक गंभीर मुद्दा उठाया है जिस पर सरकार विचार करेगी. अदालत ने केंद्र से याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर गंभीरता से गौर करने के लिए कहा. मामले में अब 25 मई को सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने विदेशी धन के स्थानांतरण के संबंध में प्रणाली में खामियों को उजागर किया. जिसका इस्तेमाल अलगाववादी, नक्सली, माओवादी, कट्टरपंथी और आतंकवादी कर सकते हैं.

मुद्दा गंभीर है: सुनवाई के दौरान एएसजी ने कहा कि उन्होंने (याचिकाकर्ता) एक गंभीर मुद्दा उठाया है. हम इस पर विचार करेंगे और वापस आएंगे. मुद्दे गंभीर और महत्वपूर्ण हैं, उन पर विस्तृत विचार की आवश्यकता है. याचिका में यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि भारतीय बैंकों में विदेशी धन जमा करने के लिए रीयल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS), नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और इंस्टेंट मनी पेमेंट सिस्टम (IMPS) का इस्तेमाल नहीं किया जाए.

विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान: याचिकाकर्ता ने कहा कि यह न केवल भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि इसका इस्तेमाल अलगाववादियों, कट्टरपंथियों, नक्सलियों, माओवादियों, आतंकवादियों, देशद्रोहियों, धर्मांतरण माफियाओं और स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) जैसे कट्टरपंथी संगठनों को धन मुहैया कराने के लिए भी किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- एक्सिस बैंक, विस्तारा ने पेश किया सह-ब्रांड विदेशी मुद्रा लेनदेन कार्ड

यह दी दलील: उन्होंने दलील दी है कि वीजा के लिए आव्रजन नियम समान हैं, चाहे कोई विदेशी बिजनेस क्लास या इकोनॉमी क्लास में आता हो, एयर इंडिया या ब्रिटिश एयरवेज का उपयोग करता हो और अमेरिका या युगांडा से आता हो. इसी तरह विदेशी मुद्रा लेनदेन के लिए विदेशी बैंक शाखाओं सहित भारतीय बैंकों में जमा विवरण एक ही प्रारूप में होना चाहिए. चाहे वह चालू खाते में निर्यात भुगतान हो या बचत खाते में वेतन या चैरिटी चालू खाते में दान या यूट्यूबर के खाते में सेवा शुल्क में देय हो. याचिका में कहा गया है कि प्रारूप एक समान होना चाहिए चाहे वह वेस्टर्न यूनियन या नेशनल बैंक या भारत स्थित विदेशी बैंक द्वारा परिवर्तित किया गया हो.

(पीटीआई-भाषा)

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