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पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत पर रिहा करने से हाईकोर्ट का इंकार, ये है मामला

हाईकोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने दिया है.

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पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत पर रिहा करने से हाईकोर्ट का इंकार
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Published : Aug 5, 2022, 6:28 AM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने दिया है. इससे पूर्व कोर्ट ने 2 अगस्त को अभियुक्त व सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कप्पन को अक्टूबर 2020 में उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वह हाथरस में दलित लड़की के साथ सामूहिक दुराचार व हत्या के मामले में हाथरस जा रहे थे. पत्रकार सिद्दीक कप्पन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट और रिकॉर्ड पर उपलब्ध दस्तावेजों को देखकर प्रथम दृष्टया अभियुक्त द्वारा अपराध किए जाने की बात सामने आ रही है. अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी, कि वह 5 अक्टूबर 2020 को अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारी निभाने हाथरस जा रहा था. हाथरस में एक दलित लड़की के साथ सामूहिक दुराचार की घटना घटित हुई थी. सिद्दीक कप्पन पर यूएपीए के तहत दर्ज किया गया मामला पूरी तरह से फर्जी है.

अधिवक्ता ने कहा कि अभियुक्त का पीएफआई से कोई संबंध नहीं है. यह भी दलील दी गई कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन भी नहीं है. वहीं, जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी, कि अभियुक्त केरल का रहने वाला है. वह अपने साथियों के साथ हाथरस सिर्फ जातीय हिंसा को उकसाने के लिए जा रहा था. सरकारी अधिक्ता ने कहा कि अभियुक्त के पास से तमाम विवादित सामग्रियां बरामद की गईं. यह भी दलील दी गई कि अभियुक्त अंसद बदरुद्दीन के हिट स्क्वाएड में शामिल था. अंसद बदरुद्दीन को यूपी एटीएस ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और एक्सप्लोसिव एक्ट समेत तमाम धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

सिद्दीक कप्पन पर PFI से संबंध रखने का है आरोप
गौरतलब है कि कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को तीन अन्य लोगों मसूद अहमद, अतिकुर रहमान और मोहम्मद आलम के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब वे एक दलित लड़की के परिवार से मिलने के लिए हाथरस जा रहे थे, जिसके साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी. उन्हें बाद में चरमपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था.

इसे पढ़ें- भदोही: पूर्व बाहुबली विधायक विजय मिश्रा के पेट्रोल पंप से मिली AK-47, बेटे की निशानदेही पर छापेमारी

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को जमानत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. यह आदेश न्यायमूर्ति कृष्ण पहल की एकल पीठ ने दिया है. इससे पूर्व कोर्ट ने 2 अगस्त को अभियुक्त व सरकार की ओर से पेश अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. कप्पन को अक्टूबर 2020 में उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वह हाथरस में दलित लड़की के साथ सामूहिक दुराचार व हत्या के मामले में हाथरस जा रहे थे. पत्रकार सिद्दीक कप्पन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.

कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट और रिकॉर्ड पर उपलब्ध दस्तावेजों को देखकर प्रथम दृष्टया अभियुक्त द्वारा अपराध किए जाने की बात सामने आ रही है. अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी, कि वह 5 अक्टूबर 2020 को अपनी पत्रकारीय जिम्मेदारी निभाने हाथरस जा रहा था. हाथरस में एक दलित लड़की के साथ सामूहिक दुराचार की घटना घटित हुई थी. सिद्दीक कप्पन पर यूएपीए के तहत दर्ज किया गया मामला पूरी तरह से फर्जी है.

अधिवक्ता ने कहा कि अभियुक्त का पीएफआई से कोई संबंध नहीं है. यह भी दलील दी गई कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन भी नहीं है. वहीं, जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने दलील दी, कि अभियुक्त केरल का रहने वाला है. वह अपने साथियों के साथ हाथरस सिर्फ जातीय हिंसा को उकसाने के लिए जा रहा था. सरकारी अधिक्ता ने कहा कि अभियुक्त के पास से तमाम विवादित सामग्रियां बरामद की गईं. यह भी दलील दी गई कि अभियुक्त अंसद बदरुद्दीन के हिट स्क्वाएड में शामिल था. अंसद बदरुद्दीन को यूपी एटीएस ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और एक्सप्लोसिव एक्ट समेत तमाम धाराओं के तहत गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद जमानत याचिका को खारिज कर दिया.

सिद्दीक कप्पन पर PFI से संबंध रखने का है आरोप
गौरतलब है कि कप्पन को 5 अक्टूबर, 2020 को तीन अन्य लोगों मसूद अहमद, अतिकुर रहमान और मोहम्मद आलम के साथ गिरफ्तार किया गया था, जब वे एक दलित लड़की के परिवार से मिलने के लिए हाथरस जा रहे थे, जिसके साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी. उन्हें बाद में चरमपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के साथ संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था.

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