लखनऊ: सीबीआई के विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने राजधानी के एक प्रापर्टी डीलर का अपहरण कर देवरिया जेल में ले जाकर मारने-पीटने व उससे रंगदारी वसूलने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त अतीक अहमद व उसके बेटे उमर अहमद की डिस्चार्ज अर्जी को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अतीक समेत इस मामले के सभी अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए 7 अप्रैल की तिथि नियत की है. कोर्ट ने जमानत पर रिहा अभिुयक्तों को व्यक्तिगत रुप से जबकि जेल में निरुद्ध अतीक समेत अन्य अभियुक्तों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई को निर्देश दिया है.
29 दिसंबर, 2018 को रियल स्टेट कारोबारी मोहित जायसवाल ने इस मामले की एफआईआर थाना कृष्णा नगर में दर्ज कराई थी. जिसके मुताबिक देवरिया जेल में निरुद्ध अतीक ने अपने गुर्गों के जरिए गोमती नगर से उसका अपहरण करा लिया और तंमचे के बल पर उसे देवरिया जेल ले जाया गया. आरोप है कि अतीक ने उसे जेल में एक सादे स्टाम्प पेपर पर दस्तखत करने को कहा, पीड़ित के इंकार करने पर अतीक ने अपने बेटे उमर तथा गुर्गे गुफरान, फारुख, गुलाम व इरफान के साथ मिलकर उसे तंमचे व लोहे की राड से बेतहाशा पीटा और स्टाम्प पेपर पर दस्तखत बनवा लिया. करीब 45 करोड़ रुपये की सम्पति अपने नाम करा ली. यह भी आरोप है कि अतीक के गुर्गों ने उसकी एसयूवी गाड़ी भी लूट ली.
23 अप्रैल, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित कर इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिया था. 12 जून, 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु की थी. सीबीआई ने विवेचना के दौरान चार पूरक आरोप पत्र में 10 अभियुक्तों को आरोपी बनाया जबकि इससे पहले पुलिस ने अतीक अहमद समेत आठ अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. अतीक अहमद समेत सभी 18 अभियुक्तों को आईपीसी की धारा 147, 149, 386, 329, 420, 467, 468, 471, 394, 506, 120बी, 364ए व 411 के तहत आरोपी बनाया गया है.