नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र, राज्यों एवं केंद्र-शासित प्रदेशों को पंजीकृत शैक्षणिक संस्थानों के कर्मचारियों एवं छात्रों के लिए समान वर्दी संहिता (कॉमन ड्रेस कोड) लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि यह कोई ऐसा मामला नहीं है. जिसे अदालत में दायर किया जाना चाहिए.
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याचिका में तर्क दिया गया था कि समानता स्थापित करने और बंधुत्व एवं राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए वर्दी संहिता को लागू किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता निखिल उपाध्याय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने कहा कि यह एक संवैधानिक मामला है. उन्होंने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत सरकारों को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया. यह एहसास हो जाने पर कि पीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं करना चाहती, वकील ने इसे वापस ले लिया. यह याचिका कर्नाटक हिजाब विवाद की पृष्ठभूमि में दायर की गई थी.
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न्यायमूर्ति गुप्ता की अगुवाई वाली यही पीठ राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. वकील अश्विनी उपाध्याय और अश्विनी दुबे के माध्यम से दाखिल की गई जनहित याचिका में केंद्र को ऐसा न्यायिक आयोग या एक विशेषज्ञ पैनल गठित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था, जो 'सामाजिक एवं आर्थिक न्याय, सामाजिक धर्मनिरपेक्षता एवं लोकतंत्र के मूल्यों और छात्रों के बीच भाईचारा और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने' के लिए सुझाव दे सके.