आगरा : तमिलनाडु के कन्नुर में हुए हेलिकॉप्टर हादसा (Coonoor helicopter crash) से पूरा देश गमगीन है. जहां सेना ने सबसे बड़ा अफसर खोया है, तो वहीं आगरा ने अपना जाबांज सपूत विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान को भी खोया है. शहीद विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान के घर पर परिजन, रिश्तेदार, परिचित और अन्य लोगों की भीड़ लगी हुई है. विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान एक अच्छे टीम लीडर, जिंदादिल और खुशमिजाज व्यक्ति थे. पिता, मां और बहनों की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे.
ETV Bharat से बातचीत में परिजनों ने बताया कि, विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान जब भी आते थे. तो सभी को मोटिवेट करते थे. जीवन में गोल निर्धारित करने और उसके मुताबिक ही मेहनत करने की सीख देते थे.
परिवार में चार बहनों में सबसे छोटे थे पृथ्वी सिंह
न्यू आगरा की सरन नगर निवासी बेकरी कारोबारी सुरेंद्र सिंह की चार बेटियां शकुंतला, मीना, गीता, नीता और सबसे छोटा एक इकलौता बेटा पृथ्वी सिंह चौहान थे. पृथ्वी सिंह चौहान ने रीवा के आर्मी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की थी. तभी उनका चयन एनडीए में हो गया. साल 2000 में पृथ्वी सिंह चौहान ने भारतीय वायुसेना ज्वाइन की थी. वर्तमान में विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान अभी हाल में कोयम्बटूर के पास एयरफोर्स स्टेशन पर तैनाते थे.
विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का विवाह सन 2007 में वृंदावन निवासी कामिनी सिंह से हुआ था. उनकी 12 वर्षीय बेटी आराध्या और नौ साल का बेटा अविराज है.
चचेरे भाई जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि, भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान का सैनिक स्कूल में पढ़ाई का सपना था. जब सैनिक स्कूल में दाखिला मिला तो उनका एक सपना पूरा हुआ. इसके बाद दूसरा सपना NDA में चयन होने से पूरा हुआ. परिवार के बीच हंसी मजाक, सभी को मोटीवेट, हमेशा मुस्कराते रहते थे.
ममेरे भाई पुष्पेंद्र सिंह जादौन ने बताया कि, भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान अपने फूफा सुरेंद्र सिंह के जन्मदिन पर 31 दिसंबर को घर आने वाले थे. 31 दिसंबर को फूफा को सरप्राइज पार्टी देने की उन्होंने तैयारियां की थी. जिसमें सभी बहनें और वे परिवार के साथ शामिल होने वाले थे. लेकिन, उससे पहले ही हादसे में उनके शहीद होने की खबर ने सभी को चौंका दिया है.
'सभी को मोटीवेट करते थे, कहते थे लक्ष्य निर्धारित करो'
चचेरे भाई लोकेश चौहान ने बताया कि, भाई विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान बहुत ही जिंदादिल इंसान थे. वे जब भी घर आते थे तो परिवार और रिश्तेदार ही नहीं, पड़ोस में रहने वाले युवाओं को मोटिवेट करते थे. कहते थे कि, जीवन का पहले लक्ष्य निर्धारित करो. अपने लक्ष्य के मुताबिक ही तैयारी करो. सरकारी नौकरी में जाओ. एयरफोर्स में जाओ. सेना में जाओ. सरकारी नौकरी में जाने की तैयारी करो.
न्यू आगरा के सरन नगर निवासी बेकरी कारोबारी सुरेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि, बेटा विंग कमांडर पृथ्वी सिंह चौहान की युद्ध कौशल की वायुसेना भी कायल थी. उसने सूडान में विशेष ट्रेनिंग ली थी. पृथ्वी की गिनती वायुसेना के जाबांज पायलट्स में होती थी. एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद पृथ्वी की पहली पोस्टिंग हैदराबाद हुई थी. इसके बाद बेटा पृथ्वी सिंह की पोस्टिंग गोरखपुर, गुवाहाटी, ऊधमसिंह नगर, जामनगर, अंडमान निकोबार सहित अन्य एयरफोर्स स्टेशन पर रही.