नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच वर्चुअल बैठक हुई. इस बैठक में दोनों देशों ने आपसी कट्टरता को दूर करने की बात कही है. इन सबके बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि चीन ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को पछाड़ दिया है.
बता दें, पिछले बीस साल में दुनिया की संपत्ति तीन गुनी हो गई है. वहीं, दुनिया की कुल संपत्ति में ड्रैगन की हिस्सेदारी अब एक-तिहाई हो गई है. इतना ही नहीं पिछले दो दशकों के दौरान संपत्ति के मामले में अमेरिका को पछाड़कर चीन पहले नंबर पर आ गया है. दुनिया की 60 फीसदी आमदनी के लिए जिम्मेदार 10 देशों की बैलेंसशीट पर नजर रखने वाली मैनेजमेंट कंसल्टेंट मैकिन्से एंड कंपनी की अनुसंधान शाखा की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आयी है.
चंद हाथों में धनी देशों की संपत्ति
विश्व में सर्वाधिक संपत्ति वाले चीन और दूसरे नंबर पर मौजूद अमेरिका में भी धन का बड़ा हिस्सा चंद अमीरों के पास है. रिपोर्ट के मुताबिक, इन दोनों अमीर देशों में दस प्रतिशत आबादी के पास सबसे ज्यादा धन है. इतना ही नहीं, इन दोनों देशों में ऐसे अमीरों की तादाद बढ़ती जा रही है जो सीधे तौर पर गरीबी-अमीरी के बीच खाई पैदा कर रही है.
दुनिया की 68 फीसदी संपत्ति अचल
दुनिया की कुल संपत्ति साल 2000 में 156 खरब डॉलर थी, जिससे अगले 20 साल में यानी 2020 में बढ़कर 514 खरब डॉलर हो गई. मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट के एक सहयोगी जान मिशके ने कहा कि हम(विश्व) अब पहले से कहीं ज्यादा अमीर हैं. मैकिन्से की गणना के अनुसार, वैश्विक कुल संपत्ति का 68% हिस्सा अचल संपत्ति के रूप में मौजूद है, जबकि बाकी की संपत्ति में बुनियादी ढांचा, मशीनरी और उपकरण जैसी चीजें शामिल हैं. इसके अलावा बहुत कम हिस्सा बौद्धिक संपदा और पेटेंट के रूप में मौजूद है.
चीन ने लगायी लंबी छलांग, बना सबसे अमीर
रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 में चीन की कुल संपत्ति केवल 7 खरब डॉलर थी, जो 2020 में बहुत तेजी से बढ़कर 120 खरब डॉलर हो गई है. खास बात यह है कि साल 2000 से एक वर्ष पहले ही चीन को विश्व व्यापार संगठन में प्रवेश मिला था. यह दर्शाता है कि चीन की अर्थव्यवस्था ने तब से कितनी तेज वृद्धि की है. 20 साल की अवधि में दुनिया ने जितनी संपत्ति अर्जित की, उसमें करीब एक-तिहाई हिस्सा चीन का ही है.
दोगुनी हुई अमेरिका की संपत्ति
अमेरिका की संपत्ति बीते 20 साल में बढ़कर दोगुनी हो गई है. साल 2000 में अमेरिकी संपत्ति 90 खरब डॉलर थी. रिपोर्ट का कहना है कि यहां प्रॉपर्टी के दामों में बहुत ज्यादा वृद्धि न होने से अमेरिकी की संपत्ति चीन के मुकाबले कम रही और वह अपना नंबर एक का स्थान गंवा बैठा.
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अमीर दुनिया में अपना घर बनाना और मुश्किल होगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों के दौरान दुनिया की कुल संपत्ति में हुई तेज वृद्धि ने, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हुई वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है. ब्याज के दाम गिरने के कारण संपत्ति की कीमतें बढ़ गईं. संपत्ति की कीमतों जो तेजी आयी है, वह आय के सापेक्ष दीर्घकालिक औसत से लगभग 50% अधिक है. इससे दुनिया की संपत्ति में आयी तेजी की स्थिरता पर सवाल खड़े होते हैं. अगर दुनिया में रियल स्टेट की कीमतें इसी तरह बढ़ती चली गईं तो लोगों के लिए घर खरीदना हैसियत से बाहर हो जाएगा जिससे आर्थिक संकट पैदा होगा. दुनिया को इसका रास्ता खोजने के लिए ऐसा निवेश करना होगा, जिससे वैश्विक जीडीपी बढ़े.