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वाहनों में नहीं लिख सकते हिंदी में नंबर, जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट - पीले रंग की नंबर प्लेट

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) हर वाहनों के लिए जरूरी हो गई है. हालांकि नंबर प्लेट के कानून के बारे में आम लोग कम ही जानते हैं. यहां तक की डिजाइनदार नंबर प्लेटों पर चालान के प्रावधान को भी नहीं जानते हैं. यही कारण है कि मोटर वाहन अधिनियम के अंतर्गत चालान होने पर अक्सर लोग परेशान होते हैं और यातायात कर्मियों पर उलझते हैं.

जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
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Published : Mar 30, 2023, 6:01 PM IST

राजधानी लखनऊ के डीसीपी यातायात रईस अख्तर.

लखनऊ : देश में एचएसआरपी यानी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट हर वाहनों के लिए जरूरी हो गया है, लेकिन इस बीच यह भी जानना जरूरी है कि जो लोग वाहनों में लगी नंबर प्लेट में संख्या हिंदी में लिखवा लेते है उनके लिए खतरे को घंटी बज चुकी है. ऐसा करने पर चालान होना शुरू हो गया है जो एक हजार से लेकर पांच हजार तक का है. हालांकि इस बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ये नियम सभी के लिए है या सिर्फ आम आदमी के लिए क्योंकि जिनकी जिम्मेदारी नियमों का पालन कराने की होती है वे ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

हिंदी नंबर प्लेट का चालान क्यों : राजधानी के डीसीपी यातायात रईस अख्तर बताते है कि न सिर्फ हिंदी बल्कि मानक के अनरूप किसी भी अन्य भाषा में नंबर प्लेट एमवी एक्ट का उल्लंघन माना जाता है. हिंदी में लिखे नंबर को सिक्योरिटी कैमरे रीड नहीं कर पाते हैं. इसके अलावा उनके फॉन्ट को पढ़ने में भी समस्या होती है. ऐसे में दुर्घटना या फिर अपराध होने की स्थिति में वाहनों के नम्बर न ही व्यक्ति पढ़ पाता है और न ही सिक्योरिटी कैमरे. मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर के मानक तय किया गए हैं. जिसमें नंबर के फॉन्ट उनकी डिजाइन और उनके आकार के मानक रखे गए हैं. इसलिए गाड़ी में लगी नंबर प्लेट में न ही हिंदी में लिखा होना चाहिए न ही डिजाईन फॉन्ट इस्तेमाल हो और न ही किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा में नंबर और शब्द लिखे हों.

जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
डीसीपी के मुताबिक यह जरूर है कि यातायात नियमों का उल्लंघन लोगों द्वारा किया जाता है. जिसमें आम लोगों के साथ साथ पुलिसकर्मी भी होते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लघंन करने पर सभी का चालान किया जाता है. अब तो राजधानी समेत कई बड़े शहरों में आईटीएमएस के कैमरों के द्वारा चालान किया जा रहा है. जिसमें ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि किसका चालान करना है और किसका नहीं. ऐसे में कोई भी एमवी एक्ट का उल्लंघन करेगा, उसका चालान हो जाएगा. कैसे तय होता है नंबर प्लेट का प्रारूप : वाहन के नंबर प्लेट के कैरेक्टर्स को चार आधारों पर तैयार किया जाता है. जिसमें राज्य, जिला व वाहन का यूनिक नंबर शामिल है. वाहन के नबंर प्लेट का पहला भाग उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को प्रदर्शित करता है. जिसमें मोटर वाहन रजिस्टर किया गया है. अगर वाहन उत्तर प्रदेश में पंजीकृत है तो वाहन नंबर प्लेट के पहले दो अक्षर 'UP' होंगे, और ये अंग्रेजी में ही लिखे होंगे.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
वाहन की नंबर प्लेट में अगले दो अंक उस जिले को चिन्हित करते हैं जिसमें वाहन रजिस्टर किया गया. एक राज्य में प्रत्येक जिले को अपनी अनुक्रमिक यानी सीक्वेंशियल संख्या सौंपी जाती है. यही कारण है कि सरकार ने देश के हर जिले में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) की स्थापना की है. आवेदक के निवास जिले में RTO मोटर वाहन के पंजीकरण के लिए जिम्मेदार है. यदि वाहन का रजिस्ट्रेशन लखनऊ में हुआ है तो 32 लिखा होगा जो वैल्यू में ही लिखा होना चाहिए न कि देवनागरी या क्षेत्रीय भाषा में. नंबर प्लेट का अगला भाग इसे यूनिक या बाकी प्लेटों से अलग बनाता है. यदि असाइन करने के लिए कोई यूनिक संख्या नहीं बची है तो रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी द्वारा लास्ट अंक को बदलने के लिए लेटरों का प्रयोग किया जाता है. यह नंबर भी वैल्यू में ही लिखा होना चाहिए न कि देवनागरी या क्षेत्रीय भाषा में.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
पीले रंग की नंबर प्लेट : पीले रंग के नंबर प्लेट में काले रंग के अंग्रेजी में लिखे नंबर और शब्द होते हैं. इस डिजाइन का मतलब है कि वाहन का उपयोग काॅमर्शियल प्रयोग जैसे पैसेंजर्स या प्रोडक्ट्स को ले जाने के लिए किया जाता है. भारत में काॅमर्शियल वाहनों के लिए इस डिजाइन का होना अनिवार्य है. हरी नंबर प्लेट : जब किसी वाहन में हरे रंग की प्लेट और सफेद अक्षरों वाली नंबर प्लेट होती है, तो इसका मतलब है कि यह एक इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल है. अगर हरे रंग की बैकग्राउंड में पीले अक्षर हैं तो यह काॅमर्शियल प्रयोग के लिए है. सफेद अक्षर पर्सनल उपयोग को दर्शाते हैं पीले अक्षर काॅमर्शियल उपयोग के लिए हैं. सफेद नंबर प्लेट : पर्सनल कार मालिक जो अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए अपने वाहन का उपयोग करते हैं, वे अपनी नंबर प्लेट के लिए सफेद बैकग्राउंड का उपयोग कर सकते हैं.

ब्लैक नंबर प्लेट : ब्लैक नंबर प्लेट पर हमेशा पीले अक्षर इस्तेमाल होते हैं. सेल्फ-रेंटल की सर्विस के लिए वाहन इन प्लेटों का उपयोग करते हैं, लेकिन काॅमर्शियल वाहनों को काले रंग की बैकग्राउंड वाले वाहन चलाने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होती है.

नीली नंबर प्लेट : हालांकि भारत में नीला बैकग्राउंड शायद ही कभी आपने देखा हो, फिर भी आप इस बैकग्राउंड वाले वाहन को सफेद अक्षरों में देख सकते हैं. यह दर्शाता है कि वाहन विदेशी वाणिज्य दूतावासों का है और प्लेट में लिखे नंबर वाणिज्य दूतावास के देश को दर्शाते हैं. आपने आमतौर पर ऐसी नंबर प्लेट UNO या UNESCO की गाड़ियों में लगी देखी होंगी.

लाल नंबर प्लेट : राज्यों के राज्यपाल लाल रंग की बैकग्राउंड वाली कारों का उपयोग करते हैं. इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति ऐसी कार का उपयोग करते हैं जिसमें गोल्डन अक्षरों में लाल बैकग्राउंड और राष्ट्रीय प्रतीक (भारत का प्रतीक) बना होता है.


यह भी पढ़ें : तमिलनाडु में दही पर सियासत : पैकेट पर 'दही' नहीं, ‘तायिर’ शब्द का इस्तेमाल करने का एलान

राजधानी लखनऊ के डीसीपी यातायात रईस अख्तर.

लखनऊ : देश में एचएसआरपी यानी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट हर वाहनों के लिए जरूरी हो गया है, लेकिन इस बीच यह भी जानना जरूरी है कि जो लोग वाहनों में लगी नंबर प्लेट में संख्या हिंदी में लिखवा लेते है उनके लिए खतरे को घंटी बज चुकी है. ऐसा करने पर चालान होना शुरू हो गया है जो एक हजार से लेकर पांच हजार तक का है. हालांकि इस बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ये नियम सभी के लिए है या सिर्फ आम आदमी के लिए क्योंकि जिनकी जिम्मेदारी नियमों का पालन कराने की होती है वे ही नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं.

हिंदी नंबर प्लेट का चालान क्यों : राजधानी के डीसीपी यातायात रईस अख्तर बताते है कि न सिर्फ हिंदी बल्कि मानक के अनरूप किसी भी अन्य भाषा में नंबर प्लेट एमवी एक्ट का उल्लंघन माना जाता है. हिंदी में लिखे नंबर को सिक्योरिटी कैमरे रीड नहीं कर पाते हैं. इसके अलावा उनके फॉन्ट को पढ़ने में भी समस्या होती है. ऐसे में दुर्घटना या फिर अपराध होने की स्थिति में वाहनों के नम्बर न ही व्यक्ति पढ़ पाता है और न ही सिक्योरिटी कैमरे. मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत वाहन रजिस्ट्रेशन नंबर के मानक तय किया गए हैं. जिसमें नंबर के फॉन्ट उनकी डिजाइन और उनके आकार के मानक रखे गए हैं. इसलिए गाड़ी में लगी नंबर प्लेट में न ही हिंदी में लिखा होना चाहिए न ही डिजाईन फॉन्ट इस्तेमाल हो और न ही किसी अन्य क्षेत्रीय भाषा में नंबर और शब्द लिखे हों.

जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
डीसीपी के मुताबिक यह जरूर है कि यातायात नियमों का उल्लंघन लोगों द्वारा किया जाता है. जिसमें आम लोगों के साथ साथ पुलिसकर्मी भी होते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लघंन करने पर सभी का चालान किया जाता है. अब तो राजधानी समेत कई बड़े शहरों में आईटीएमएस के कैमरों के द्वारा चालान किया जा रहा है. जिसमें ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि किसका चालान करना है और किसका नहीं. ऐसे में कोई भी एमवी एक्ट का उल्लंघन करेगा, उसका चालान हो जाएगा. कैसे तय होता है नंबर प्लेट का प्रारूप : वाहन के नंबर प्लेट के कैरेक्टर्स को चार आधारों पर तैयार किया जाता है. जिसमें राज्य, जिला व वाहन का यूनिक नंबर शामिल है. वाहन के नबंर प्लेट का पहला भाग उस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश को प्रदर्शित करता है. जिसमें मोटर वाहन रजिस्टर किया गया है. अगर वाहन उत्तर प्रदेश में पंजीकृत है तो वाहन नंबर प्लेट के पहले दो अक्षर 'UP' होंगे, और ये अंग्रेजी में ही लिखे होंगे.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
वाहन की नंबर प्लेट में अगले दो अंक उस जिले को चिन्हित करते हैं जिसमें वाहन रजिस्टर किया गया. एक राज्य में प्रत्येक जिले को अपनी अनुक्रमिक यानी सीक्वेंशियल संख्या सौंपी जाती है. यही कारण है कि सरकार ने देश के हर जिले में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (RTO) की स्थापना की है. आवेदक के निवास जिले में RTO मोटर वाहन के पंजीकरण के लिए जिम्मेदार है. यदि वाहन का रजिस्ट्रेशन लखनऊ में हुआ है तो 32 लिखा होगा जो वैल्यू में ही लिखा होना चाहिए न कि देवनागरी या क्षेत्रीय भाषा में. नंबर प्लेट का अगला भाग इसे यूनिक या बाकी प्लेटों से अलग बनाता है. यदि असाइन करने के लिए कोई यूनिक संख्या नहीं बची है तो रजिस्ट्रेशन प्राधिकारी द्वारा लास्ट अंक को बदलने के लिए लेटरों का प्रयोग किया जाता है. यह नंबर भी वैल्यू में ही लिखा होना चाहिए न कि देवनागरी या क्षेत्रीय भाषा में.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
जानें कितनी तरह की होती हैं नंबर प्लेट.
पीले रंग की नंबर प्लेट : पीले रंग के नंबर प्लेट में काले रंग के अंग्रेजी में लिखे नंबर और शब्द होते हैं. इस डिजाइन का मतलब है कि वाहन का उपयोग काॅमर्शियल प्रयोग जैसे पैसेंजर्स या प्रोडक्ट्स को ले जाने के लिए किया जाता है. भारत में काॅमर्शियल वाहनों के लिए इस डिजाइन का होना अनिवार्य है. हरी नंबर प्लेट : जब किसी वाहन में हरे रंग की प्लेट और सफेद अक्षरों वाली नंबर प्लेट होती है, तो इसका मतलब है कि यह एक इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल है. अगर हरे रंग की बैकग्राउंड में पीले अक्षर हैं तो यह काॅमर्शियल प्रयोग के लिए है. सफेद अक्षर पर्सनल उपयोग को दर्शाते हैं पीले अक्षर काॅमर्शियल उपयोग के लिए हैं. सफेद नंबर प्लेट : पर्सनल कार मालिक जो अपने व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए अपने वाहन का उपयोग करते हैं, वे अपनी नंबर प्लेट के लिए सफेद बैकग्राउंड का उपयोग कर सकते हैं.

ब्लैक नंबर प्लेट : ब्लैक नंबर प्लेट पर हमेशा पीले अक्षर इस्तेमाल होते हैं. सेल्फ-रेंटल की सर्विस के लिए वाहन इन प्लेटों का उपयोग करते हैं, लेकिन काॅमर्शियल वाहनों को काले रंग की बैकग्राउंड वाले वाहन चलाने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होती है.

नीली नंबर प्लेट : हालांकि भारत में नीला बैकग्राउंड शायद ही कभी आपने देखा हो, फिर भी आप इस बैकग्राउंड वाले वाहन को सफेद अक्षरों में देख सकते हैं. यह दर्शाता है कि वाहन विदेशी वाणिज्य दूतावासों का है और प्लेट में लिखे नंबर वाणिज्य दूतावास के देश को दर्शाते हैं. आपने आमतौर पर ऐसी नंबर प्लेट UNO या UNESCO की गाड़ियों में लगी देखी होंगी.

लाल नंबर प्लेट : राज्यों के राज्यपाल लाल रंग की बैकग्राउंड वाली कारों का उपयोग करते हैं. इसके अलावा भारत के राष्ट्रपति ऐसी कार का उपयोग करते हैं जिसमें गोल्डन अक्षरों में लाल बैकग्राउंड और राष्ट्रीय प्रतीक (भारत का प्रतीक) बना होता है.


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