बुलंदशहर: पढ़ाई-लिखाई की कोई उम्र नहीं ये कहावत यूपी के बुलंदशहर की सलीमन पर सटीक चरितार्थ होती है. सलीमन खान ने अपनी पौत्र वधू के साथ स्कूल जाना शुरू किया. उसने नवभारत साक्षरता परीक्षा दी और साक्षर बन गई. क्लासरूम में छात्र-छात्राओं के साथ पढ़ाई करने का सलीमन का वीडियो भी सामने आया है. बता दें कि भारत सरकार द्वारा सबको शिक्षित और साक्षर बनाने के लिए नवभारत साक्षरता मिशन चलाया जा रहा है.
प्राथमिक विद्यालय चावली में भी निरक्षरों को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक डॉ. प्रतिभा शर्मा को सौंपी गई. जनपद में 21 हजार निरक्षरों को साक्षर बनाने का लक्ष्य है. प्रथम चरण में 9 हजार निरक्षरों को पढ़ा-लिखाकर उनकी 24 सितंबर को साक्षरता परीक्षा हुई. 92 साल की सलीमन ने साक्षरता परीक्षा देकर और साक्षर बनकर यूपी में इतिहास रचने का काम किया है. सलीमन अब गिनती सीख गई हैं. कांपते हाथों से अपना नाम भी लिखने लगी हैं. सलीमन को साक्षर बनाने पर परिवार के लोग सरकार का शुक्रिया अदा रहे हैं.
डॉ. प्रतिभा शर्मा ने 92 साल की निरक्षर सलीमन को पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित किया और फिर सलीमन अपनी 35 साल की पौत्र वधू फिरदौस के साथ गांव के परिषदीय स्कूल में आकर पढ़ने लगी. उन्होंने बताया कि अब सलीमन गिनती सीख गई है. अपना नाम भी लिखने लगी है. 92 साल की निरीक्षर को पढ़ना-लिखना और साक्षर बनाना एक चुनौती थी. लेकिन, जब सलीमन को साक्षर बना दिया तो अपार प्रसन्नता हुई.
सलीमन के मुताबिक, पढ़ी-लिखी न होने की वजह से वह नोट भी नहीं गिन पाती थी. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. करीब छह महीने की शिक्षा पूरी होने के बाद वह पढ़ने-लिखने में सक्षम है. अब वह अपना नाम लिख सकती है और नोट भी गिन सकती है. वह एक से लेकर 100 तक की गिनती भी कर लेती है. सलीमन ने कहा कि उसे पढ़ाई करना अच्छा लगता है. प्रधानाध्यापिका डॉ. प्रतिभा शर्मा ने बताया कि उन्होंने सलीमन खान से कहा कि अगर वह स्कूल में आकर पढ़ेंगी तो वह उनकी पेंशन की व्यवस्था कर देंगी. इससे उन्हें प्रेरणा मिली.
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