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उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने बृजलाल खाबरी, जानिए कौन हैं?

उत्तर प्रदेश कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को नियुक्त किया गया है. आइए जानते हैं कि बृजलाल की कांग्रेस में क्या भूमिका थी और उनका राजनीतिक सफर कैसा रहा?

बृजलाल खाबरी
बृजलाल खाबरी
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Published : Oct 1, 2022, 4:37 PM IST

लखनऊ: बृजलाल खाबरी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने. बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद रहे हैं. नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी, अजय राय, नकुल दुबे को प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा वीरेंद्र चौधरी, योगेश दीक्षित, अनिल यादव (इटावा) को प्रांतीय अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. बता दें कि इससे पहले यूपी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अजय कुमार लल्लू संभाल रहे थे. हालांकि विधानसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस की बुरी हार के बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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पत्र.

बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में कोंच तहसील है. बृजलाल कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गांव के रहने वाले हैं. बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. बात 1977 की है. खाबरी गांव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था. एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा. तब 9वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुंच गये. दरोग़ा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया. यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये. रोज़ाना थाने-कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते-भिड़ते दिखने लगे.

लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी : जालौन के डीएवी पीजी काॅलेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे. छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे. दो बार चुनाव लड़े, लेकिन कुछ वोटों से हार गए.

‘दलित मिशन’ के लिए छोड़ दिया घर : इलाक़े के लोग बताते हैं कि कांशीराम एक बार उरई आए थे. कैडर देने. कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण. बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था. बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर छोड़ दिया. 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये. अगला चुनाव खाबरी हार गए, लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया.

बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के बतौर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो. गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है. कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा. अभी तक खाबरी राष्ट्रीय सचिव सह-इंचार्ज बिहार थे.

यह भी पढ़ें : उद्योगपति बनते जा रहे धन्नासेठ, गरीबों के जीवन में कोई सुधार नहीं: मायावती

लखनऊ: बृजलाल खाबरी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने. बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद रहे हैं. नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी, अजय राय, नकुल दुबे को प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा वीरेंद्र चौधरी, योगेश दीक्षित, अनिल यादव (इटावा) को प्रांतीय अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. बता दें कि इससे पहले यूपी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अजय कुमार लल्लू संभाल रहे थे. हालांकि विधानसभा चुनाव में यूपी में कांग्रेस की बुरी हार के बाद ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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बुंदेलखंड के जालौन ज़िले में कोंच तहसील है. बृजलाल कोंच के एक छोटे से खाबरी नाम के गांव के रहने वाले हैं. बृजलाल से बृजलाल खाबरी बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. बात 1977 की है. खाबरी गांव में दलित समाज के ऊपर आए दिन अत्याचार होता था. एक दिन एक दलित बृजलाल के पिता के पास आकार रोने लगा. तब 9वीं क्लास में पढ़ने वाले बृजलाल ग़ुस्से में तमतमाए हुए उस दलित पीड़ित के साथ थाने पर पहुंच गये. दरोग़ा से दमदारी के साथ बात किए और दलितों के साथ मारपीट करने वालों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया. यहीं से बृजलाल से बृजलाल खाबरी बन गये. रोज़ाना थाने-कचहरी में बृजलाल खाबरी लड़ते-भिड़ते दिखने लगे.

लोकप्रिय छात्र नेता रहे हैं खाबरी : जालौन के डीएवी पीजी काॅलेज में बृजलाल खाबरी एक लोकप्रिय छात्रनेता के बतौर जाने जाते थे. छात्र राजनीति में कई आंदोलनों के अगुवा रहे. दो बार चुनाव लड़े, लेकिन कुछ वोटों से हार गए.

‘दलित मिशन’ के लिए छोड़ दिया घर : इलाक़े के लोग बताते हैं कि कांशीराम एक बार उरई आए थे. कैडर देने. कैडर देने का मतलब होता है प्रशिक्षण. बसपा में उन दिनों मिशन में नौजवानों को जोड़ने का बड़ा ज़ोर था. बसपा संस्थापक कांशीराम के भाषण से प्रभावित होकर बृजलाल खाबरी ने घर छोड़ दिया. 1999 के लोकसभा चुनाव में बृजलाल खाबरी जालौन से सांसद चुने गये. अगला चुनाव खाबरी हार गए, लेकिन कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा भेज दिया.

बृजलाल खाबरी ने एक संगठनकर्ता के बतौर शायद ही यूपी का कोई ज़िला रहा हो जहां काम न किया हो. गोरखपुर, आज़मगढ़, इलाहाबाद, पश्चिम के कई ज़िलों में प्रभारी के बतौर काम किया है. कांग्रेस को बृजलाल खाबरी का सांगठनिक तजुर्बा और जातीय आधार दोनों ही मज़बूत करेगा. अभी तक खाबरी राष्ट्रीय सचिव सह-इंचार्ज बिहार थे.

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