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तमिल संगमम के बाद अब पुष्कर मेले से बीजेपी उत्तर से दक्षिण भारत को साधने में जुटी, कर रही ये तैयारियां

बनारस में 12 दिनों तक चलने वाले पुष्कर मेले का शुभारंभ हो गया है. ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से 12 साल बाद इस वर्ष काशी में गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है. इस दौरान दक्षिण के श्रद्धालु काशी में पितरों का तर्पण, स्नान, श्री काशी विश्वनाथ व अन्य मंदिरो में दर्शन-पूजन करेंगे.

वाराणसी में पुष्कर मेला.
वाराणसी में पुष्कर मेला.
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Published : Apr 22, 2023, 5:49 PM IST

वाराणसी में पुष्कर मेले का आयोजन.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी एक ऐसा शहर है जहां लघु भारत बसता है. यहां पर दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत और पूरब से लेकर पश्चिम तक हर संस्कृति का समागम देखने को मिलता है. अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग संस्कृतियों के साथ काशी के धर्म और आस्था की वजह से साउथ यानी दक्षिण भारत के लोगों का बड़ा लगाव बनारस में देखने को मिलता है. चाहे तमिल भाषी हो या तेलुगु भाषा हो या फिर दक्षिण भारत के अन्य किसी भाषा के लोग बनारस से गहरा जुड़ाव रखते हैं. इस बारे में एक्सपर्ट और वरिष्ठ पत्रकार उत्पल पाठक ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

दक्षिण भारत में होने वाले आम में फायदा लेने की तैयारी में जुटी बीजेपी
भोलेनाथ माता अन्नपूर्णा के साथ विशालाक्षी का मंदिर काशी में होने की वजह से दक्षिण भारत से प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोगों का आना होता है. शायद यही वजह है कि इस दक्षिण भारत की भीड़ को अब राजनैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मांग कर काशी से यानी उत्तर से दक्षिण को शादी की तैयारी हो रही है. अब बीजेपी बनारस में पुष्कर मेले के जरिए दक्षिण भारत से आने वाले लोगों को काशी के विकास का एक मॉडल दिखाकर दक्षिण भारत में होने वाले आम चुनावों में बड़ा फायदा लेने की तैयारी में जुटी है.

पुष्कर मेले में पहुंचे श्रद्धालु.
पुष्कर मेले में दक्षिण भारत से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.

बीजेपी को मिलनाडु और तमिल भाषा के अन्य हिस्सों में मिला एडवांटेज
वरिष्ठ पत्रकार उत्पल पाठक का कहना है कि पिछले दिनों काशी तमिल संगम के जरिए काशी और तमिल के रिश्तों और काशी में तमिल की संस्कृति की झलक और काशी के अद्भुत स्वरूप का दर्शन कराने के लिए जिस तरह से यह आयोजन किया गया. इसे सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया. इसने निश्चित तौर पर बीजेपी को वोट तमिलनाडु और तमिल भाषा अन्य हिस्सों में एक बड़ा एडवांटेज दिया है.

काशी के विकास के जरिए नेताओं को जोड़ने का प्रयास
अब जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से बड़ी संख्या में लोग काशी आ रहे हैं, तो निश्चित तौर पर काशी में 12 दिनों तक चलने वाले इस पुष्कर मेले के जरिए बीजेपी काशी के विकास का एक भव्य रूप लोगों को दिखाने का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि उनके वहां के लोकल नेता और राज्यसभा सांसद समेत कई अन्य नेताओं ने बनारस में डेरा डाल रखा है. उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वहां के वोटर्स को काशी के विकास और काशी के धर्म के जरिए बीजेपी से सीधे जोड़ना है.

काशी और आंध्रा का रिश्ता नया नहीं
उत्पल पाठक का कहना है कि काशी से आंध्रा का रिश्ता कोई नया नहीं है बल्कि चार-पांच सौ साल पहले से यह रिश्ता आज भी निभाया जा रहा है. यहां पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर से लेकर बहुत से स्टाफ आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. बनारस में केदारखंड के अंदर आने वाले क्षेत्र में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की बड़ी आबादी आज भी निवास करती है. काशी में मोक्ष की चाहत के साथ दक्षिण भारत के आंध्र और तेलंगाना के लोग काशी वास करते हैं.

यही धार्मिक आस्था कहीं न कहीं से बीजेपी को राजनैतिक दृष्टि से उत्तर से दक्षिण को जोड़ने में मजबूती देने का काम करेगी. काशी से पुराना रिश्ता और आस्था रखने वाले आंध्र और तेलंगाना के लोग जब बनारस के इस विकास को देखकर वापस लौटेंगे तो निश्चित तौर पर वहां होने वाले आम चुनावों में वोट देने से पहले अब उनके पास विकल मौजूद होगा. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

काशी में गंगा पुष्करम कुम्भ का शुभारंभ
लघु भारत कहे जाने वाले काशी में आज से गंगा पुष्करम कुम्भ का शुभारंभ हुआ है. काशी तमिल संगमम के बाद अब तकरीबन डेढ़ लाख से ज्यादा तेलुगू भाषी जन समुदाय प्रतिदिन वाराणसी की यात्रा पर पहुंचने वाला है. दक्षिण के मेहमानों के स्वागत के लिए प्रदेश की योगी सरकार की ओर से तैयारियां की हैं. 22 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले इस वृहद् आयोजन में दक्षिण भारत के तेलंगाना व आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु वाराणसी आ रहे हैं.

ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से 12 साल बाद इस वर्ष काशी में गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है. इस दौरान दक्षिण के श्रद्धालु काशी में पितरो का तर्पण, स्नान, श्री काशी विश्वनाथ व अन्य मंदिरो में दर्शन-पूजन करेंगे. वहीं, 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा पुष्करम कुम्भ को वर्चुअली संबोधित करेंगे.

12 दिनों तक दक्षिण भारत के श्रद्धालु गंगा पुष्करम कुंभ में होंगे शामिल
बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में 12 दिनों तक दक्षिण भारत के करीब एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु प्रतिदिन काशी में गंगा पुष्करम कुंभ के आयोजन में शामिल होंगे. श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव वीवी सुंदर शत्रि ने बताया कि इस खास समय में पुष्कर, गंगा नदी में वास करने से गंगा स्नान, पितरों का तर्पण एवं पिंडदान का विशेष महत्त्व होता है.

उन्होंने बताया कि मध्यान्ह 12 बजे पुष्कर गंगा नदी में वास करते हैं. इस अवसर पर अस्सी स्थित छोटा नागपुर बगीचे में गंगा पुष्कर महोत्सव का भी आयोजन 21 अप्रैल से शुरू हुआ है, जो 25 अप्रैल तक चलेगा. श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव ने बताया कि श्रद्धालुओं को काशी लाने के लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही है.

तीर्थ यात्रियों के रुकने के लिए की गई उचित व्यवस्था
काशी में दक्षिण भारत से संबंधित बहुत से मठ, मंदिर, धर्मशाला और आश्रम हैं, जहां तीर्थ यात्रियों के रुकने की व्यवस्था की गई है. योगी सरकार की ओर से श्रधालुओं के रुकने से लेकर उनकी सुरक्षा आदि का विशेष प्रबंध किया गया है. 2011 में भी काशी में गंगा पुष्करम कुम्भ का आयोजन हुआ था. उस वक्त की तैयारियां नाकाफी थीं, लेकिन इस बार मोदी-योगी सरकार गंगा पुष्करम कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इंतजामातों में कोई कोर-कसर नहीं रखना चाहती है.

पढ़ेंः बनारस में ड्रमर शिवमणि ने ड्रम बजाकर गंगा आरती में की शिरकत, देखिए Video

वाराणसी में पुष्कर मेले का आयोजन.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी एक ऐसा शहर है जहां लघु भारत बसता है. यहां पर दक्षिण भारत से लेकर उत्तर भारत और पूरब से लेकर पश्चिम तक हर संस्कृति का समागम देखने को मिलता है. अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग संस्कृतियों के साथ काशी के धर्म और आस्था की वजह से साउथ यानी दक्षिण भारत के लोगों का बड़ा लगाव बनारस में देखने को मिलता है. चाहे तमिल भाषी हो या तेलुगु भाषा हो या फिर दक्षिण भारत के अन्य किसी भाषा के लोग बनारस से गहरा जुड़ाव रखते हैं. इस बारे में एक्सपर्ट और वरिष्ठ पत्रकार उत्पल पाठक ने ईटीवी भारत से बातचीत की.

दक्षिण भारत में होने वाले आम में फायदा लेने की तैयारी में जुटी बीजेपी
भोलेनाथ माता अन्नपूर्णा के साथ विशालाक्षी का मंदिर काशी में होने की वजह से दक्षिण भारत से प्रतिदिन लाखों की संख्या में लोगों का आना होता है. शायद यही वजह है कि इस दक्षिण भारत की भीड़ को अब राजनैतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मांग कर काशी से यानी उत्तर से दक्षिण को शादी की तैयारी हो रही है. अब बीजेपी बनारस में पुष्कर मेले के जरिए दक्षिण भारत से आने वाले लोगों को काशी के विकास का एक मॉडल दिखाकर दक्षिण भारत में होने वाले आम चुनावों में बड़ा फायदा लेने की तैयारी में जुटी है.

पुष्कर मेले में पहुंचे श्रद्धालु.
पुष्कर मेले में दक्षिण भारत से बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं.

बीजेपी को मिलनाडु और तमिल भाषा के अन्य हिस्सों में मिला एडवांटेज
वरिष्ठ पत्रकार उत्पल पाठक का कहना है कि पिछले दिनों काशी तमिल संगम के जरिए काशी और तमिल के रिश्तों और काशी में तमिल की संस्कृति की झलक और काशी के अद्भुत स्वरूप का दर्शन कराने के लिए जिस तरह से यह आयोजन किया गया. इसे सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया गया. इसने निश्चित तौर पर बीजेपी को वोट तमिलनाडु और तमिल भाषा अन्य हिस्सों में एक बड़ा एडवांटेज दिया है.

काशी के विकास के जरिए नेताओं को जोड़ने का प्रयास
अब जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से बड़ी संख्या में लोग काशी आ रहे हैं, तो निश्चित तौर पर काशी में 12 दिनों तक चलने वाले इस पुष्कर मेले के जरिए बीजेपी काशी के विकास का एक भव्य रूप लोगों को दिखाने का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि उनके वहां के लोकल नेता और राज्यसभा सांसद समेत कई अन्य नेताओं ने बनारस में डेरा डाल रखा है. उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वहां के वोटर्स को काशी के विकास और काशी के धर्म के जरिए बीजेपी से सीधे जोड़ना है.

काशी और आंध्रा का रिश्ता नया नहीं
उत्पल पाठक का कहना है कि काशी से आंध्रा का रिश्ता कोई नया नहीं है बल्कि चार-पांच सौ साल पहले से यह रिश्ता आज भी निभाया जा रहा है. यहां पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर से लेकर बहुत से स्टाफ आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं. बनारस में केदारखंड के अंदर आने वाले क्षेत्र में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश की बड़ी आबादी आज भी निवास करती है. काशी में मोक्ष की चाहत के साथ दक्षिण भारत के आंध्र और तेलंगाना के लोग काशी वास करते हैं.

यही धार्मिक आस्था कहीं न कहीं से बीजेपी को राजनैतिक दृष्टि से उत्तर से दक्षिण को जोड़ने में मजबूती देने का काम करेगी. काशी से पुराना रिश्ता और आस्था रखने वाले आंध्र और तेलंगाना के लोग जब बनारस के इस विकास को देखकर वापस लौटेंगे तो निश्चित तौर पर वहां होने वाले आम चुनावों में वोट देने से पहले अब उनके पास विकल मौजूद होगा. जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

काशी में गंगा पुष्करम कुम्भ का शुभारंभ
लघु भारत कहे जाने वाले काशी में आज से गंगा पुष्करम कुम्भ का शुभारंभ हुआ है. काशी तमिल संगमम के बाद अब तकरीबन डेढ़ लाख से ज्यादा तेलुगू भाषी जन समुदाय प्रतिदिन वाराणसी की यात्रा पर पहुंचने वाला है. दक्षिण के मेहमानों के स्वागत के लिए प्रदेश की योगी सरकार की ओर से तैयारियां की हैं. 22 अप्रैल से 3 मई तक चलने वाले इस वृहद् आयोजन में दक्षिण भारत के तेलंगाना व आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु वाराणसी आ रहे हैं.

ग्रह-गोचरों के विशेष संयोजन से 12 साल बाद इस वर्ष काशी में गंगा पुष्करम कुंभ का आयोजन हो रहा है. इस दौरान दक्षिण के श्रद्धालु काशी में पितरो का तर्पण, स्नान, श्री काशी विश्वनाथ व अन्य मंदिरो में दर्शन-पूजन करेंगे. वहीं, 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गंगा पुष्करम कुम्भ को वर्चुअली संबोधित करेंगे.

12 दिनों तक दक्षिण भारत के श्रद्धालु गंगा पुष्करम कुंभ में होंगे शामिल
बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में 12 दिनों तक दक्षिण भारत के करीब एक से डेढ़ लाख श्रद्धालु प्रतिदिन काशी में गंगा पुष्करम कुंभ के आयोजन में शामिल होंगे. श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव वीवी सुंदर शत्रि ने बताया कि इस खास समय में पुष्कर, गंगा नदी में वास करने से गंगा स्नान, पितरों का तर्पण एवं पिंडदान का विशेष महत्त्व होता है.

उन्होंने बताया कि मध्यान्ह 12 बजे पुष्कर गंगा नदी में वास करते हैं. इस अवसर पर अस्सी स्थित छोटा नागपुर बगीचे में गंगा पुष्कर महोत्सव का भी आयोजन 21 अप्रैल से शुरू हुआ है, जो 25 अप्रैल तक चलेगा. श्री काशी तेलुगू समिति के सचिव ने बताया कि श्रद्धालुओं को काशी लाने के लिए स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही है.

तीर्थ यात्रियों के रुकने के लिए की गई उचित व्यवस्था
काशी में दक्षिण भारत से संबंधित बहुत से मठ, मंदिर, धर्मशाला और आश्रम हैं, जहां तीर्थ यात्रियों के रुकने की व्यवस्था की गई है. योगी सरकार की ओर से श्रधालुओं के रुकने से लेकर उनकी सुरक्षा आदि का विशेष प्रबंध किया गया है. 2011 में भी काशी में गंगा पुष्करम कुम्भ का आयोजन हुआ था. उस वक्त की तैयारियां नाकाफी थीं, लेकिन इस बार मोदी-योगी सरकार गंगा पुष्करम कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए इंतजामातों में कोई कोर-कसर नहीं रखना चाहती है.

पढ़ेंः बनारस में ड्रमर शिवमणि ने ड्रम बजाकर गंगा आरती में की शिरकत, देखिए Video

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