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Bihar Caste Census: सुप्रीम कोर्ट में बिहार जातीय जनगणना मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को

सुप्रीम कोर्ट में बिहार जातीय जनगणना मामले की सुनवाई छह अक्टूबर को होगी. इस याचिका की सुनवाई आज होनी थी, चूंकि बिहार सरकार ने सर्वे डेटा जारी कर दिया है, इस वजह से अदालत ने याचिका पर विस्तृत चर्चा के बार रोक के आदेश पर विचार करने का तय किया है.

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By ANI

Published : Oct 3, 2023, 12:25 PM IST

Updated : Oct 3, 2023, 1:02 PM IST

नई दिल्ली : बिहार में जाति गणना संबंधी याचिका की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में छह अक्टूबर को होगी. याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत के सामने कहा कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण डेटा जारी किया है. दरअसल, बिहार जाति जनगणना के डेटा जारी करने को पटना उच्च न्यायालय ने वैध बताते हुए बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. जिसके बाद सरकार ने इस पर सर्वे का कार्य शुरू कर दिया. बाद में पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की और डेटा जारी करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और तब से ये मामला अदालत में लंबित था. आज (तीन अक्टूबर) शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने जब अदालत को बताया कि बिहार सरकार ने जनगणना का डेटा जारी कर दिया है, तब अदालत ने कहा कि इस पर विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक के आदेश पर विचार किया जाएगा. इस याचिका की सुनवाई छह अक्टूबर को करने का तय किया गया.

  • Caste Census in Bihar | Supreme Court says it will take up the matter on October 6. Petitioner's lawyer mentions before Supreme Court that the Bihar Government has published caste survey data. pic.twitter.com/8MJysRmKSP

    — ANI (@ANI) October 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें कि बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति-आधारित सर्वे जारी किया, जिसके अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है. इनमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियां 1.68 प्रतिशत हैं. वहीं, ऊंची जातियों की 15.52 प्रतिशत जनसंख्या है. पिछड़े वर्गों में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत, कुशवाह और कुर्मी क्रमशः 4.27 और 2.87 प्रतिशत हैं.

पढ़ें : Bihar caste census: बिहार सरकार ने जारी की जातीय गणना रिपोर्ट, जानिए किसकी कितनी आबादी

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की आबादी में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत और अन्य धर्मों के 0.12 प्रतिशत हैं. जहां तक प्रमुख जातियों का सवाल है, ऊंची जातियां 15.52 प्रतिशत हैं, जिनमें भूमिहार 2.86 प्रतिशत, ब्राह्मण 3.66 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत और कायस्थ 0.60 प्रतिशत शामिल हैं. इसके अलावा, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, मुसहर 3 प्रतिशत, यादव 14.26 प्रतिशत, कुशवाहा 4.27 प्रतिशत, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, चंद्रवंशी 1.64 प्रतिशत, धानुक 2.13 प्रतिशत, धोबी 0.83 प्रतिशत, नाई 1.59 प्रतिशत हैं. नोनिया 1.91 प्रतिशत, कुम्हार 1.40 प्रतिशत, पासी (पासवान) 0.98 प्रतिशत, बढ़ई 1.45 प्रतिशत, लोहार 0.15 प्रतिशत, सोनार 0.68 प्रतिशत, हलवाई 0.60 प्रतिशत, अघोरी 0.069 प्रतिशत, अद्राखी 0.02 प्रतिशत, अब्दाल 0.0087 प्रतिशत, अमात 0.21 प्रतिशत, असुर, 0.059 प्रतिशत, अवध बनिया 0.03 प्रतिशत और मुस्लिम दर्जी 0.25 प्रतिशत हैं.

खास बात यह है कि जाति आधारित सर्वेक्षण पिछले साल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था और सभी राजनीतिक दलों ने इस पर सहमति दी थी. हालांकि, कुछ समूहों और व्यक्तियों ने इसके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, शीर्ष अदालत से रास्ता साफ होने के बाद सर्वेक्षण पूरा हो गया है.

नई दिल्ली : बिहार में जाति गणना संबंधी याचिका की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में छह अक्टूबर को होगी. याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत के सामने कहा कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण डेटा जारी किया है. दरअसल, बिहार जाति जनगणना के डेटा जारी करने को पटना उच्च न्यायालय ने वैध बताते हुए बिहार सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था. जिसके बाद सरकार ने इस पर सर्वे का कार्य शुरू कर दिया. बाद में पटना उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की और डेटा जारी करने पर रोक लगाने का अनुरोध किया.

हालांकि, शीर्ष अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था और तब से ये मामला अदालत में लंबित था. आज (तीन अक्टूबर) शीर्ष अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन याचिकाकर्ता ने जब अदालत को बताया कि बिहार सरकार ने जनगणना का डेटा जारी कर दिया है, तब अदालत ने कहा कि इस पर विस्तृत सुनवाई के बाद ही रोक के आदेश पर विचार किया जाएगा. इस याचिका की सुनवाई छह अक्टूबर को करने का तय किया गया.

  • Caste Census in Bihar | Supreme Court says it will take up the matter on October 6. Petitioner's lawyer mentions before Supreme Court that the Bihar Government has published caste survey data. pic.twitter.com/8MJysRmKSP

    — ANI (@ANI) October 3, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें कि बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति-आधारित सर्वे जारी किया, जिसके अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ से अधिक है. इनमें से अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) 36.01 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियां 1.68 प्रतिशत हैं. वहीं, ऊंची जातियों की 15.52 प्रतिशत जनसंख्या है. पिछड़े वर्गों में यादवों की आबादी 14.26 प्रतिशत, कुशवाह और कुर्मी क्रमशः 4.27 और 2.87 प्रतिशत हैं.

पढ़ें : Bihar caste census: बिहार सरकार ने जारी की जातीय गणना रिपोर्ट, जानिए किसकी कितनी आबादी

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की आबादी में हिंदू समुदाय 81.9 प्रतिशत, मुस्लिम 17.7 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, सिख 0.01 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.0096 प्रतिशत और अन्य धर्मों के 0.12 प्रतिशत हैं. जहां तक प्रमुख जातियों का सवाल है, ऊंची जातियां 15.52 प्रतिशत हैं, जिनमें भूमिहार 2.86 प्रतिशत, ब्राह्मण 3.66 प्रतिशत, राजपूत 3.45 प्रतिशत और कायस्थ 0.60 प्रतिशत शामिल हैं. इसके अलावा, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, मुसहर 3 प्रतिशत, यादव 14.26 प्रतिशत, कुशवाहा 4.27 प्रतिशत, कुर्मी 2.87 प्रतिशत, चंद्रवंशी 1.64 प्रतिशत, धानुक 2.13 प्रतिशत, धोबी 0.83 प्रतिशत, नाई 1.59 प्रतिशत हैं. नोनिया 1.91 प्रतिशत, कुम्हार 1.40 प्रतिशत, पासी (पासवान) 0.98 प्रतिशत, बढ़ई 1.45 प्रतिशत, लोहार 0.15 प्रतिशत, सोनार 0.68 प्रतिशत, हलवाई 0.60 प्रतिशत, अघोरी 0.069 प्रतिशत, अद्राखी 0.02 प्रतिशत, अब्दाल 0.0087 प्रतिशत, अमात 0.21 प्रतिशत, असुर, 0.059 प्रतिशत, अवध बनिया 0.03 प्रतिशत और मुस्लिम दर्जी 0.25 प्रतिशत हैं.

खास बात यह है कि जाति आधारित सर्वेक्षण पिछले साल बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों में पारित किया गया था और सभी राजनीतिक दलों ने इस पर सहमति दी थी. हालांकि, कुछ समूहों और व्यक्तियों ने इसके खिलाफ पटना उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. लेकिन, शीर्ष अदालत से रास्ता साफ होने के बाद सर्वेक्षण पूरा हो गया है.

Last Updated : Oct 3, 2023, 1:02 PM IST
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