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BHU ने बनाया डिवाइस, अब खर्राटे से मिलेगी निजात - बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में खर्राटे बंद करने की मशीन बनाई गई. इस डिवाइस का इस्तेमाल सोते समय करना होगा.

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय BHU ने बनाया डिवाइस BHU ने खर्राटे का डिवाइस बनाया BHU made device to get relief from snoring बनारस हिंदू विश्वविद्यालय Banaras Hindu University
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Published : Feb 15, 2023, 1:37 PM IST

वाराणसी: यदि आपको खर्राटा लेने की आदत है और आपके नाक बजने से आपके आसपास के लोग परेशान होते हैं, तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में खर्राटे बंद करने की मशीन बनाई गई है. इसे यदि आप रात में जबड़े के पास लगा कर सोएंगेस तो आपकी नाक बजना बंद हो जाएगी. इसे सुनकर आप हैरान हो गए होंगे, लेकिन हैरान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की आईएमएस बीएचयू में इस मशीन को 7 सालों की मेहनत के बाद बना करके तैयार किया है. (BHU made device to get relief from snoring)


बता दें कि, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आईएमएस बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर स्थित सिटी ऑफ डेंटल मेडिसिन डिपार्टमेंट ऑफ चेस्ट एवं टीबी डिजीज में बीते 8 सालों से इस मशीन को लेकर के रिसर्च किया जा रहा था. यह अब बन करके तैयार हो गई है. इसे कोई भी व्यक्ति सहजता से कम दाम में खरीद करके प्रयोग में ला सकता है. इससे 10 गुना से ज्यादा नाक बजने की समस्या का इलाज हो जाएगा.

BHU में बनाया नया डिवाइस: इस डिवाइस को तैयार करने वाले डेंटल विभाग के प्रोफेसर टीपी चतुर्वेदी ने बताया कि, इस मशीन को बनाने में 7 से 8 साल लग गए. इसे चेस्ट विभाग के डॉक्टरों के साथ मिलकर के तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में खर्राटे के इलाज के लिए लोगों को 2 लाख से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है. इस मशीन को महज 20 हजार में ही खरीदा जा सकेगा.

6 महीने में शुरू होगा इलाज: डॉक्टर चतुर्वेदी ने बताया कि आगामी 6 महीने बाद हम इस मशीन से मरीजों का इलाज करना शुरू कर देंगे. हमने कई मरीजों पर सफल परीक्षण किया है. इससे मरीजों की खर्राटे लेने की समस्या का समाधान भी हुआ है. उन्होंने बताया कि इस मशीन को जबड़े में फिट कर दिया जाएगा. इससे किसी को कोई समस्या नहीं होगी, बल्कि समस्या का समाधान हो जाएगा.


एक तिहाई लोग हैं इसके शिकार: भारत में एक तिहाई लोग नाक बजने की समस्या से परेशान है. इसमें लगभग 80 फीसदी लोग अपना इलाज नहीं कराते. बाकी लोग टेस्ट और श्वास रोग विभागों में जाकरे अपना इलाज कराते हैं और इसके लिए उन्हें एक मोटी रकम देनी पड़ती है. आगामी 6 महीने में अब आसानी से इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

वाराणसी: यदि आपको खर्राटा लेने की आदत है और आपके नाक बजने से आपके आसपास के लोग परेशान होते हैं, तो अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) में खर्राटे बंद करने की मशीन बनाई गई है. इसे यदि आप रात में जबड़े के पास लगा कर सोएंगेस तो आपकी नाक बजना बंद हो जाएगी. इसे सुनकर आप हैरान हो गए होंगे, लेकिन हैरान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की आईएमएस बीएचयू में इस मशीन को 7 सालों की मेहनत के बाद बना करके तैयार किया है. (BHU made device to get relief from snoring)


बता दें कि, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आईएमएस बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर स्थित सिटी ऑफ डेंटल मेडिसिन डिपार्टमेंट ऑफ चेस्ट एवं टीबी डिजीज में बीते 8 सालों से इस मशीन को लेकर के रिसर्च किया जा रहा था. यह अब बन करके तैयार हो गई है. इसे कोई भी व्यक्ति सहजता से कम दाम में खरीद करके प्रयोग में ला सकता है. इससे 10 गुना से ज्यादा नाक बजने की समस्या का इलाज हो जाएगा.

BHU में बनाया नया डिवाइस: इस डिवाइस को तैयार करने वाले डेंटल विभाग के प्रोफेसर टीपी चतुर्वेदी ने बताया कि, इस मशीन को बनाने में 7 से 8 साल लग गए. इसे चेस्ट विभाग के डॉक्टरों के साथ मिलकर के तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में खर्राटे के इलाज के लिए लोगों को 2 लाख से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है. इस मशीन को महज 20 हजार में ही खरीदा जा सकेगा.

6 महीने में शुरू होगा इलाज: डॉक्टर चतुर्वेदी ने बताया कि आगामी 6 महीने बाद हम इस मशीन से मरीजों का इलाज करना शुरू कर देंगे. हमने कई मरीजों पर सफल परीक्षण किया है. इससे मरीजों की खर्राटे लेने की समस्या का समाधान भी हुआ है. उन्होंने बताया कि इस मशीन को जबड़े में फिट कर दिया जाएगा. इससे किसी को कोई समस्या नहीं होगी, बल्कि समस्या का समाधान हो जाएगा.


एक तिहाई लोग हैं इसके शिकार: भारत में एक तिहाई लोग नाक बजने की समस्या से परेशान है. इसमें लगभग 80 फीसदी लोग अपना इलाज नहीं कराते. बाकी लोग टेस्ट और श्वास रोग विभागों में जाकरे अपना इलाज कराते हैं और इसके लिए उन्हें एक मोटी रकम देनी पड़ती है. आगामी 6 महीने में अब आसानी से इस समस्या का समाधान हो जाएगा.

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