पिथौरागढ़/ उत्तरकाशी : यमुनोत्री हाईवे पर कुथनौर के पास लगातार पहाड़ी से भूस्खलन जारी है. जिस कारण कुथनौर में हाईवे बीते 24 घंटे से बंद है तो वहीं, ओजरी डाबरकोट में भी मंगलवार को मलबा आने के कारण यमुनोत्री हाईवे दो स्थानों पर बंद पड़ा हुआ है. जिससे बड़कोट तहसील के एक दर्जन से ज्यादा गांवों का संपर्क तहसील मुख्यालय से कट गया है. वहीं, पिथौरागढ़ में चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली तवाघाट-सोबला सड़क से गुजरना मौत को दावत देने से कम नहीं है. सामरिक नजरिए से अहम इस रोड पर जगह-जगह भारी बोल्डर गिर रहे हैं. आलम ये है कि इस रोड से गुजरने वाले अपनी जिंदगी को हथेली पर रखने को मजबूर हैं.
उत्तरकाशी में ग्रामीण मार्ग पर यातायात सुचारू करने की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों पर लेटलतीफी का आरोप लगा रहे हैं.
बता दें कि बीती सोमवार दोपहर में कुथनौर में पहाड़ी दरकने से यमुनोत्री हाईवे बंद हो गया था. साथ ही रात में बारिश के कारण यमुनोत्री हाईवे पर ओजरी डाबरकोट में भी मलबा आया है. जिससे यमुनोत्री हाईवे को बंद हुए 24 घंटे हो चुके हैं. हालांकि, कुथनौर में एनएच की मशीनरी मार्ग खोलने का प्रयास कर रही है, लेकिन पहाड़ी से लगातार मलबा आने के कारण मार्ग खोलने में बाधा आ रही है.
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यमुनोत्री हाईवे बंद होने के कारण स्थानीय लोगों में रोष देखने को मिल रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि मार्ग को बंद हुए दो दिन हो गए हैं, लेकिन कोई भी त्वरित गति से कार्य नहीं कर रहा है. वहीं, जनप्रतिनिधि भी इसकी सुध नहीं ले रहे हैं. जिसके चलते उनके जरूरी काम रूक गए हैं. वहीं, पहाड़ी दरकने का एक खौफनाक वीडियो भी सामने आया है.
सुरक्षाबलों और आम लोगों की परेशानी
पिथौरागढ़ में आलम ये है कि तवाघाट-सोबला रोड से गुजरने वाले अपनी जिंदगी को हथेली पर रखने को मजबूर हैं. बीते एक महीने से ये सड़क बंद हैं. सड़क के बंद होने से करीब 50 हजार का आबादी के साथ ही सुरक्षा बलों को भी खासी दिक्कतें उठानी पड़ रही है.
दरअसल, चीन सीमा से लगी दारमा घाटी को जोड़ने वाला तवाघाट-सोबला मोटरमार्ग बेहद खतरनाक बना हुआ है. खेत और छिरकिला के बीच पहाड़ी से लगातार बड़े-बड़े बोल्डर गिर रहे हैं. जिसके चलते बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा बलों के साथ ही स्थानीय लोग रोज जान जोखिम में डालकर आवाजाही करने को मजबूर हैं. ये सड़क ग्रीफ के अधीन है और बीते एक माह से बंद पड़ी है.
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बताया जा रहा है कि बीआरओ के पास बजट न होने के कारण ये सड़क नहीं खुल पाई है. स्थानीय लोग लगातार मार्ग को खोलने की गुहार लगा रहे हैं. सड़क बंद होने से क्षेत्र के लोगों के साथ ही सेना के जवानों को भी चौकी तक पहुंचने के लिए कई किमी पैदल चलना पड़ रहा है. इतना ही नहीं दारमा घाटी में जरूरी सामान के दोगुने दाम भी चुकाने पड़ रहे हैं.