नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर के लिए पांच अगस्त को भूमि पूजन किया जाएगा. इसके लिए अयोध्या में तैयारियां जोरो-शोरो से चल रही है. अयोध्या राम मंदिर संघर्ष में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की भूमिका प्रमुख रही है और निर्माण की तैयारियों में भी विहिप सक्रिय भूमिका में है. विहिप ने मंदिर के भूमि पूजन से पहले दिल्ली से 12 धार्मिक स्थानों की मिट्टी भेजी है.
विहिप की इकाइयां देश भर के धार्मिक स्थलों से मिट्टी इकट्ठा कर राम मंदिर के नींव में सम्मिलित करने के लिए भेजने का अभियान चला रही है. इसी कड़ी में देश की राजधानी दिल्ली के 11 धार्मिक स्थलों और पाक अधिकृत कश्मीर के शारदा पीठ की मिट्टी भी आज अयोध्या के लिए रवाना की गई है.
विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने आज मिट्टी से भरे कलश दिल्ली स्थित कार्यालय से जारी करते हुए मीडिया से बातचीत की. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि पांच सौ साल लंबे संघर्ष और 70 साल की कानूनी लड़ाई के बाद यह अवसर आया है जो ऐतिहासिक है.
राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है, लेकिन इसके बावजूद कोई न कोई विवाद इससे जुड़ ही जाता है. बीते दिनों एनसीपी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कोरोना काल में शिलान्यास के कार्यक्रम पर टिप्पणी करते हुए सवाल उठाए .
वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका भी डाली गई जिसे आज न्यायालय ने खारिज कर दिया. इस बात पर विहिप कार्याध्यक्ष ने कहा कि शुरुआत से ही इस तरह के विघ्न और टिप्पणी करने वाले लोग सक्रिय रहे और मंदिर निर्माण को रोकने का भरसक प्रयास किया लेकिन अब यह सारे व्यवधान रुक चुके हैं और मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो रहा है.
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अयोध्या में पांच अगस्त को होने वाले राम मंदिर शिलान्यास के लिये निर्माण ट्रस्ट द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को भी निमंत्रण भेजा गया है और ऐसा बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी भूमि पूजन में शामिल होंगे.
हालांकि कोरोना महामारी के फैलते प्रभाव को देखते हुए राम मंदिर के आधारशिला रखने के कार्यक्रम को सीमित ही रखा जाएगा. इस पर विहिप का कहना है कि संख्या कम होगी, लेकिन कार्यक्रम का महत्व वही रहेगा. अगर कोरोना संक्रमण का खतरा न होता तो अयोध्या में इस मौके पर देश भर से लाखों लोग इकट्ठा होते, लेकिन अब लोग टेलीविजन पर कार्यक्रम को लाइव देख सकेंगे.