नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवा अभी बहाल नहीं की जाएगी. इंटरनेट सेवा पर छूट देने की समीक्षा के लिए बनी समिति ने व्यापक चर्चा के बाद यह निर्णय लिया है. इस संबंध में केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित कर दिया है. केंद्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में दो महीने बाद फिर से हालात की समीक्षा की जाएगी.
तेज इंटरनेट की उपलब्धता नहीं होने के कारण छात्रों और छोटे व मध्यम व्यवसायों को काफी नुकसान हो रहा है. इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में 4जी इंटरनेट सेवा बहाल करने की अपील की गई थी. हालांकि, समिति ने निर्णय दिया है कि जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सहित अन्य इंटरनेट सेवाओं पर लगाई गई पाबंदियों में भी ढील न दी जाए. इस पर सरकार ने तर्क दिया कि 2जी इंटरनेट आवश्यक वेबसाइट्स को चलाने के लिए पर्याप्त है और छात्रों को टीवी और रेडियो के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है.
दरअसल, याचिकाकर्ता फाउंडेशन फॉर मीडिया प्रोफेशनल्स ने अदालत की अवमानना का आरोप लगाया था और कहा था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद जम्मू कश्मीर में हालात की समीक्षा के लिए किसी समिति का गठन नहीं किया गया. इसी पर जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने कोर्ट में हलफनामा दिया.
सरकार ने अदालत की अवमानना से इनकार करते हुए अदालत को सूचित किया कि समिति की पहली बैठक 15 मई को हुई थी. इसके बाद 10 जून को दूसरी बैठक हुई थी. सारे तथ्य और हालातों को गौर किया गया और अन्य उपायों पर भी विचार किया गया.
याचिकाकर्ता के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान जब स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों ने काम जारी रखने के लिए इंटरनेट पर भरोसा किया, तो जम्मू कश्मीर के लोगों को काफी परेशानी हुई. वहां केवल 2जी इंटरनेट प्रदान किया जाता है और कई वेबसाइट्स इस गति की इंटरनेट सेवा में नहीं चल पाती हैं.
बता दें कि विगत 11 मई को अदालत ने एक विशेष समिति गठित करने का आदेश दिया था. समिति में गृह सचिव के नेतृत्व में तीन अधिकारियों को शामिल किया जाना था. समिति को जम्मू कश्मीर के हालात का जायजा लेने और इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने पर सुझाव देना है. समिति यह भी सुझाव देगी कि क्या संवेदनशील इलाकों में प्रतिबंध के साथ इंटरनेट सेवा दी जा सकती है?