नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के गुजरात से राज्य सभा के लिए निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बुधवार को नोटिस जारी किए. इन याचिकाओं में राज्य सभा में आकस्मिक और नियमित रिक्त स्थानों के उपचुनावों के लिए अलग-अलग अधिसूचना जारी करने के निर्वाचन आयोग के अधिकारों को चुनौती दी गई है. जयशंकर के चुनाव के खिलाफ कांग्रेस के गौरव पांडया ने याचिका दायर की है.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया कि इन मामलों की सुनवाई के लिए एक तारीख निर्धारित की जाए. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि हम जल्द ही तारीख देंगे और इसे गैर नियमित सुनवाई वाले दिन सूचीबद्ध किया जाएगा.
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जयशंकर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नोटिस स्वीकार किया. इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह राज्य सभा में आकस्मिक और नियमित सीटों पर उपचुनाव के बारे में अलग-अलग अधिसूचना जारी करने के निर्वाचन आयोग के अधिकार पर सुविचारित व्यवस्था देना चाहता है. ये याचिकाएं गुजरात से राज्य सभा की दो सीटों के लिए 2019 में सम्पन्न उपचुनाव से संबंधित हैं. ये दोनों सीटें भाजपा प्रत्याशियों ने जीत ली थीं.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि एक से ज्यादा रिक्त स्थान होने पर चुनाव अलग-अलग या संयुक्त रूप से कराने के सवाल पर उच्चतम न्यायालय का कोई फैसला नहीं है. गुजरात उच्च न्यायालय ने राज्य सभा के लिए जयशंकर के निर्वाचन के खिलाफ चार फरवरी को कांग्रेस नेता गौरव पांडया की याचिका खारिज कर दी थी. उच्च न्यायालय ने भाजपा प्रत्याशी जगलजी ठाकुर के चुनाव के खिलाफ भी कांग्रेस के नेताओं चंद्रिकाबेन चुडास्मा और परेश कुमार धनानी की याचिकाएं खारिज कर दी थीं.
चंद्रिकाबेन चुडास्मा और परेश कुमार धनानी ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है. पिछले साल पांच जुलाई को गुजरात की दो सीटों के लिए उपचुनाव में जयशंकर और ठाकुर भाजपा के प्रत्याशी के रूप में विजयी हुए थे. ये स्थान गृह मंत्री अमित शाह और केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के लोक सभा में निर्वाचित होने के बाद राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के कारण रिक्त हुए थे.