नई दिल्ली : भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि पुनर्विकसित, आधुनिक रेलवे स्टेशनों पर यात्री उपयोग शुल्क बाजार आधारित होंगे.
इससे पहले, रेलवे ने कहा था कि इन स्टेशनों का पुनर्विकास करने वाली निजी इकाइयां इन स्टेशनों के लिए यात्रियों से हवाई अड्डे की तरह शुल्क वसूलेंगी, जो टिकट में शामिल होगा. उसने कहा था कि ये शुल्क स्टेशनों पर आने वाले यात्रियों की संख्या पर निर्भर करेगा.
हालांकि, आईआरएसडीसी के प्रबंधन निदेशक एवं सीईओ एस के लोहिया ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'खर्च ऊपर जा सकते हैं और कम भी हो सकते हैं. इसलिए शुल्क स्थिर नहीं हो सकता. यदि हम किसी को 60 साल के लिए कोई स्टेशन दे रहे हैं, तो शुल्क बाजार की वास्तविकताओं के अनुरूप होने चाहिए. कल अगर महंगाई कम होती है तो शुल्क नीचे भी आ सकते हैं.’
उन्होंने कहा, 'उपयोग शुल्क पर सहमति बनी है और मंत्रालय द्वारा इसे अधिसूचित करने की प्रक्रिया जारी है. उपयोग शुल्क से राजस्व की एक निश्चितता है. चाहे वह हवाई अड्डे हों या राजमार्ग, उपयोग शुल्क एक बहुत बड़ा घटक होता है. वास्तव में, परियोजना लागत का 99 प्रतिशत इसके द्वारा वित्त पोषित होता है.'
उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों की तुलना में रेलवे में उपयोग शुल्क कम होगा.
सरकार आईआरएसडीसी के माध्यम से 50 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए निविदा आमंत्रित करने की तैयारी में है, जिससे 2020-21 में लगभग 50,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा.
आईआरएसडीसी ने पूर्व में दो रेलवे स्टेशनों मध्य प्रदेश में हबीबगंज और गुजरात के गांधीनगर को सार्वजनिक-निजी भागीदारी योजनाओं के तहत विकसित करने के लिए निजी पक्षों को सौंप दिया था. यह कार्य दिसंबर 2020 तक पूरा करने की योजना है.
गांधीनगर रेलवे स्टेशन पर 94.05 प्रतिशत सिविल कार्य पूरा हो चुका है, जबकि हबीबगंज में परियोजना अब तक 90 प्रतिशत पूरी हो चुकी है.