पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तीन नवंबर को दूसरे चरण का मतदान होगा. चुनावी प्रचार के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज समस्तीपुर जिले में अपनी दूसरी रैली को संबोधित किया. इससे पहले उन्होंने छपरा में रैली को संबोधित किया था.
समस्तीपुर में पीएम मोदी का संबोधन
- कोरोना की बंदिशों के बीच भी इतनी भारी संख्या में आना, ये आपका जोश और उत्साह साफ-साफ बता रहा है कि नतीजे क्या होने वाले हैं. यहां हर कोने में विजय का विश्वास है, उमंग है, उत्साह है और बिहार के उज्ज्वल भविष्य का संकल्प मैं देख रहा हूं.
- आज अगर हर आंकलन, हर सर्वे एनडीए की जीत का दावा कर रहा है तो उसके पीछे ठोस और मजबूत कारण है. आज एनडीए की फिर से सरकार हमारी माताएं-बहनें बना रही हैं जिनको हमारी सरकार, नीतीश सरकार ने सुविधाओं और अवसरों से जोड़ा है.
- वो जीविका दीदियां, जो आज आत्मनिर्भर परिवार और आत्मनिर्भर बिहार की प्रेरणा बन रही हैं, वो एनडीए को ताकत दे रही हैं. घर-घर, स्कूल-स्कूल बने शौचालयों ने जिन बहनों-बेटियों को गरिमा दी, अंधेरे के इंतज़ार से मुक्ति दी, वो एनडीए की सरकार बना रही हैं.
- जिन बहनों को पीने के पानी के संघर्ष से मुक्ति मिली वो एनडीए के पक्ष में वोट डाल रही हैं. जीवन भर धुएं में उलझती उन बहनों का वोट एनडीए के लिए है, जिनके घर में उज्जवला का सिलेंडर पहुंचा है.
- बिहार के बेटे-बेटियां, जिन्हें आज मुद्रा लोन मिल रहा है, बैंकों ने जिनके लिए दरवाजे खोल दिए हैं, जिन्हें आईआईटी-आईआईएम-एम्स मिल रहा है. वो आज अपने उज्जवल भविष्य के लिए एनडीए पर भरोसा कर रहे हैं.
- आज देश में एक तरफ लोकतंत्र के लिए पूर्ण रूप से समर्पित, एनडीए का गठबंधन है. वहीं दूसरी तरफ अपने निहित स्वार्थ को समर्पित पारिवारिक गठबंधन हैं. सरदार साहब ने पूरा जीवन सिर्फ और सिर्फ देश के लिए लगाया की नहीं?
- सरदार साहब कांग्रेस पार्टी के थे कि नहीं? फिर भी कांग्रेस पार्टी कल सरदार पटेल की जन्म जयंती पर उनका स्मरण तक नहीं किया.
- सिर्फ और सिर्फ अपने-अपने परिवार के लिए काम कर रही इन पारिवारिक पार्टियों ने आपको क्या दिया? बड़े-बड़े बंगले बने, तो किसके बने? महल बने, तो किसके बने? बड़ी-बड़ी करोड़ों की गाड़ियां आईं, गाड़ियों का काफिला बना, तो किसका बना.
- एनडीए का मंत्र है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास. एनडीए सरकार का निरंतर ये प्रयास रहा है कि कोई व्यक्ति, कोई भी क्षेत्र विकास के लाभ से छूट ना जाए. सुविधा, सम्मान और सुअवसर में किसी के साथ भी कोई भेद नहीं होना चाहिए. यही तो सुशासन का भी लक्ष्य है.
- जिनकी नीयत खराब हो, जिनकी नीति सिर्फ गरीबों का धन लूटने की हो, जो निर्णय सिर्फ अपने और अपने परिवार को ध्यान में रखकर लेते हों, वो विकास के हर प्रयास का विरोध ही करेंगे.
- इन लोगों को गरीब की परेशानी, उसकी मुसीबतों से कोई लेना देता नहीं है. इन्हें गरीब सिर्फ और सिर्फ चुनाव में याद आते हैं. जब चुनाव आते हैं तो ये माला जपना शुरू कर देते हैं- गरीब, गरीब, गरीब.. जब चुनाव पूरा हुआ तब ये बस अपने परिवार का कुनबा लेकर बैठ जाते हैं. आप मुझे बताइए,
- जंगलराज की विरासत, जंगलराज के युवराज क्या बिहार में उचित माहौल का विश्वास दे सकते हैं? जो वामपंथी, नक्सलवाद को हवा देते हैं, जिनका उद्योगों और फैक्ट्रियों को बंद कराने का इतिहास रहा है, वो निवेश का माहौल बना सकते हैं क्या?
- जननायक कर्पूरी ठाकुर जी ने एक इंटरव्यू में कहा था- सत्ता के आसपास अवसरवादियों को शरण या तरजीह बिल्कुल नहीं मिलनी चाहिए। वर्ना वो मुझे नहीं तो मेरे बेटे या संबंधियों को भ्रष्ट करेंगे. कर्पूरी ठाकुर जी के बाद, बिहार के लोगों ने इस बात को 100 फीसदी सच होते देखा है.
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