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अनुच्छेद 370 खत्म होने के खिलाफ पड़ी याचिकाएं, सरकार के फैसले का समर्थन

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया है. राज्य को दो केद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया हैं ,इसके खिलाफ पड़ी याचिकाएं सरकार का समर्थन कर रही थी. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Aug 29, 2019, 3:51 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 6:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को केन्द्र सरकार ने खत्म कर दिया गया है. राज्य को दो केद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू कश्मीर में विभाजित कर दिया गया है. सरकार ने यहां पर धारा 144 लागू कर दिया था, जिससे संचार सेवाओं पर रोक लग गई है. इसी बीच में अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की गईं. ये सभी याचिकाएं जम्मू कश्मीर पर सरकार के फैसले का समर्थन कर रही हैं.

रूट्स इन कश्मीर के प्रवक्ता अमित रैना ने सुप्रीम कोर्ट में कैवीऐट दायर कर कहा कि कोर्ट कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनकी भी दलील सुने.

अमित रैना से बातचीत

उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य को खत्म करने, राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजन और जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन पर रोक नहीं लगनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इस फैसले खिलाफ पड़ी याचिकाओं से केन्द्र के फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि सभी मौलिक अधिकार, महिलाओं के प्राप्त सारे अधिकार, एससी-एसटी, पश्चिमी पाकिस्तान से आए हुए सारे शरणार्थियों को अनुच्छेद 370 में उनके अधिकारों का हनन किया गया था.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय कानून नहीं लागू था, इस कारण से यहां पर जो कानून लागू थे उनका गलत तरीकों से प्रयोग किया गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की कोई जांच नहीं की गई है, जिसके लिए उन्होंने 2016 में कोर्ट में याचिका दायर भी की थी.

अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष उस्मान से बीतचीत

उन्होंने अपनी याचिका में कश्मीर पंडितों की हत्या की जांच के लिए विशेष टीम गठित करने और फाइलों को फिर से खोलने की मांग भी की थी.

पढ़ेंः कश्मीर मुद्दे पर राहुल ने नेहरू जैसी गलती कीः राकेश सिन्हा

एसोसिएशन के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष उस्मान ने कहा कि ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने भी अनुच्छेद 370 को खत्म करने के सरकार के कदम का समर्थन किया है, वे चाहते हैं कि कश्मीरी भी भारतीय के साथ कदम मिलाकर साथ चलें.

उन्होंने कहा कश्मीर पर हिंसा दर्शानें वाली सभी रिपोर्ट गलत हैं. कर्फ्यू के द्वारा सरकार समाज में गलत भावनाए फैलाने वालों को रोक रही है और कहा कि सोशल मीडिया पर जम्मू कश्मीर संबंधित 90% सामग्री अफवाह थी.

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को केन्द्र सरकार ने खत्म कर दिया गया है. राज्य को दो केद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू कश्मीर में विभाजित कर दिया गया है. सरकार ने यहां पर धारा 144 लागू कर दिया था, जिससे संचार सेवाओं पर रोक लग गई है. इसी बीच में अनुच्छेद 370 को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं कोर्ट में दायर की गईं. ये सभी याचिकाएं जम्मू कश्मीर पर सरकार के फैसले का समर्थन कर रही हैं.

रूट्स इन कश्मीर के प्रवक्ता अमित रैना ने सुप्रीम कोर्ट में कैवीऐट दायर कर कहा कि कोर्ट कोई भी आदेश पारित करने से पहले उनकी भी दलील सुने.

अमित रैना से बातचीत

उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य को खत्म करने, राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजन और जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन पर रोक नहीं लगनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इस फैसले खिलाफ पड़ी याचिकाओं से केन्द्र के फैसले पर रोक नहीं लगनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि सभी मौलिक अधिकार, महिलाओं के प्राप्त सारे अधिकार, एससी-एसटी, पश्चिमी पाकिस्तान से आए हुए सारे शरणार्थियों को अनुच्छेद 370 में उनके अधिकारों का हनन किया गया था.

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में भारतीय कानून नहीं लागू था, इस कारण से यहां पर जो कानून लागू थे उनका गलत तरीकों से प्रयोग किया गया था. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले 30 वर्षों में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं की कोई जांच नहीं की गई है, जिसके लिए उन्होंने 2016 में कोर्ट में याचिका दायर भी की थी.

अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष उस्मान से बीतचीत

उन्होंने अपनी याचिका में कश्मीर पंडितों की हत्या की जांच के लिए विशेष टीम गठित करने और फाइलों को फिर से खोलने की मांग भी की थी.

पढ़ेंः कश्मीर मुद्दे पर राहुल ने नेहरू जैसी गलती कीः राकेश सिन्हा

एसोसिएशन के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष उस्मान ने कहा कि ऑल इंडिया बार एसोसिएशन ने भी अनुच्छेद 370 को खत्म करने के सरकार के कदम का समर्थन किया है, वे चाहते हैं कि कश्मीरी भी भारतीय के साथ कदम मिलाकर साथ चलें.

उन्होंने कहा कश्मीर पर हिंसा दर्शानें वाली सभी रिपोर्ट गलत हैं. कर्फ्यू के द्वारा सरकार समाज में गलत भावनाए फैलाने वालों को रोक रही है और कहा कि सोशल मीडिया पर जम्मू कश्मीर संबंधित 90% सामग्री अफवाह थी.

Intro:Amidst petitions filed challenging the Article 370 and blockade of information and communication, there were also petitions filed which were supporting the government's decision.


Body:Amit Raina, spokesperson of Kashmiri Pandits' organisation, Roots in Kashmir, filed a caveat in the court asking the court to hear its arguments before passing any order. He pleaded that no stay should be given on the petition against the abrogation of article 370, 35A and bifurcation of the state into union territories.He said all fundamental rights , equal rights to women, SC and ST,refugees from western pakistan and kashmiri pandits were denied in the guise of Article 370. He said that Indian laws are not applicable there and the laws present their were misused. He also said that in last 30 years no investigation was carried out fully on killings of Kadhmiri pandits for which he had also filed the petition back in 2016. The PIL had asked to reopen the files of killings and SIT team on the killings.

All India Bar Association also supported the government's step of scrapping the Article 370 and said that they want Kashmiris to walk every step with Indians. Commenting on the media reports showing violence in Kashmir, the chairman of the minority division of the adsociation, Usmaan, said that in curfew anti social elements needa to be stopped and 90% of the content on social media were rumours.


Conclusion:
Last Updated : Sep 28, 2019, 6:06 PM IST
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