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अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने का एक साल, जानें क्या बदला

जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति का एक साल पूरा होने को है. केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकास वाले पैकेजों की घोषणा से भव्य पहाड़ों वाली यह घाटी जीवंत हो गई है. इस घाटी में एक नए युग की उम्मीद जगी है

अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने का एक साल
अनुच्छेद 370 रद्द किए जाने का एक साल
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Published : Aug 1, 2020, 11:05 PM IST

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति का एक साल पूरा होने को है. केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकास वाले पैकेजों की घोषणा से भव्य पहाड़ों वाली यह घाटी जीवंत हो गई है. इस घाटी में एक नए युग की उम्मीद जगी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कभी नहीं खत्म होने वाली शांति और समृद्धि के लिए संसद में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक फैसले की घोषणा की थी.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पिछले एक साल के अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन और विकास हुआ है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के जो लोग वर्षों और दशकों से सपना देख रहे थे, वह अपने चरम पर पहुंचने लगा है. चाहे वह संरचनात्मक विकास के संदर्भ में हो, अस्पताल में भर्ती मरीजों को सुविधा देने के संदर्भ में हो, विशेषकर जब पिछले चार महीने से जब हमलोग कोविड महामारी से लड़ रहे हैं, यह वास्तव में अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद ही हो सकता था.

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गीता भट्ट ने कहा कि कुछ आतंकी हमले जो हुए उन्हें रोकते हुए जो विकास कार्य किए गए मुझे लगता है कि वह अभूतपूर्व है. अनुच्छेद 370 को रद्द करना निश्चित रूप से श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि थी. मुखर्जी ने जम्मू- कश्मीर के एकीकरण के लिए अपना जीवन लगा दिया. भट्ट ने विपक्षी दलों और घाटी के एक वर्ग के सभी दावों को खारिज किया.

ये सभी सरकार पर विकास के नाम पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों से कश्मीरी लोगों के कुछ चुने हुए तबके थे जो शासक थे और केंद्र सरकार के खर्च और करदाताओं के पैसे से सारी सुविधाएं भोग रहे थे.

दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद की निर्वाचित सदस्य प्रोफेसर भट्ट का कहना है कि क्या हमलोग इसकी कल्पना कर सकते हैं कि एक पूर्व मुख्यमंत्री बंगले एवं अन्य सुविधाओं का अधिकारी है जब वह महिला या पुरुष मुख्यमंत्री नहीं है तब भी.

वे अनुच्छेद 370 के नाम पर इन सभी सुविधाओं का आनंद ले रहे थे. यह वही वर्ग है जो आज रो रहा है. लेकिन जम्मू-कश्मीर का आम आदमी गरीबी में जीवन गुजार रहा था यहां तक कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए भी समस्याओं का सामना कर रहा था. वास्तव में जम्मू- कश्मीर का सामान्य आदमी अनुच्छेद 370 के रद्द होने से बहुत ज्यादा खुश है.

उन्होंने कहा कि इस विवादास्पद अनुच्छेद को रद्द करने से प्रशासन को आतंकी गतिविधियों की संख्या कम करने में भी मदद मिली है.

प्रोफेसर भट्ट ने कहा, यह सही है कि पिछले एक साल से जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की संख्या घट रही है. इससे आतंक के गढ़ पाकिस्तान को झटका लगा है, जो हमेशा से भारतीय क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ कराता रहा है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ एक पड़ोसी के रूप में रहना होगा. लेकिन ऐसे कई उदाहरण थे जिनसे साबित हुआ कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के अपने अड्डे हैं. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कारण कश्मीर में उनकी गतिविधियों में कमी आई है. आतंकवादी जिस तरह के कवच का आनंद ले रहे थे उन्होंने उसे खो दिया.

शिक्षा और विकास पर कई शोध पत्र प्रकाशित कर चुकीं प्रोफ़ेसर भट्ट ने जम्मू- कश्मीर में समृद्धि और विकास के संदर्भ में कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपने धार्मिक और पर्यटक आकर्षण को पा लिया है.

प्रोफ़ेसर भट्टे ने कहा कि 5 साल के अंदर पर्यटन क्षेत्र में संभावनाएं बनेंगी क्योंकि कॉरपोरेट घरानों ने भी घाटी में निवेश करने की अपनी इच्छा जताई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस अवसर का लाभ उठाकर क्षेत्र के सभी हितधारकों को समेकित विकास के लिए एक आम सहमति बनाएगी.

जम्मू- कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश में बांटने से भी क्षेत्र के समग्र विकास संभावना है. वहां उच्च शिक्षण संस्थान और केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि होंगे तो लद्दाख क्षेत्र के युवाओं को दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वास्तव में अनुच्छेद 370 को रद्द करके जम्मू- कश्मीर के भारत के साथ एकीकरण का इरादा जाहिर किया.

पिछले एक साल में जम्मू- कश्मीर और लद्दाख के लिए केंद्र सरकार ने कई विकास योजनाओं और पैकेजों की घोषणा की है. सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2020 भी तैयार कर रही है जिसमें कर छूट और बहुत आकर्षक भूमि नीति जैसे तत्व भी शामिल होंगे. सरकार ने अपने प्रयासों के तहत निजीकरण के लिए ऐसे 14 क्षेत्रों की पहचान की है जिससे निवेश आ सके.

आईटी, पर्यटन और आतिथ्य, कौशल और हस्तशिल्प शिल्प, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, औषधीय पौधे, बुनियादी ढांचे और रियल स्टेट आदि को प्राथमिकता में रखा गया है. केंद्र शासित प्रदेश में स्टार्ट अप नीति पहले ही शुरू कर की जा चुकी है. इनक्यूबेटर , इनोवेशन और इनक्यूबेशन लैब की स्थापना के अलावा 500 नए स्टार्ट अप का निर्माण होना है.

स्वास्थ्य क्षेत्र में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. एक साल में 7 नए मेडिकल कॉलेज खोलने के साथ सीटों की संख्या दोगुनी की जा रही है. वास्तव में अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने से जम्मू- कश्मीर और शेष भारत के बीच सभी विनियामक और संस्थागत बाधाएं भी दूर हो गई हैं.

संवैधानिक विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को रद्द करने का साल भर पहले लिया गया निर्णय करोड़ों भारतीयों की लंबे समय से लंबित आकांक्षा थी. अनुच्छेद 370 का रद्द किया जाना एक संवैधानिक आकांक्षा थी जो पूरी हुई और ऐसा भारतीय संविधान के नियमों के तहत किया गया. भारत सरकार के साथ-साथ भारती य संसद ने भी एक सही रुख अपनाया. वास्तव में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पीओके को भी भारतीय भू-भाग के क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए.

अधिवक्ता सिंह ने कहा कि जम्मू- कश्मीर में एक समाननागरिक संहिता होनी चाहिए जो निश्चित रूप से क्षेत्र में रह रहे अल्पसंख्यकों को कोई समस्या पैदा नहीं करेगी. अधिवक्ता सिंह ने कहा कि दुनिया के सभी सभ्य देशों में एक समान नागरिक संहिता है और उसमें अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने का भी प्रावधान है.

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने के बाद ऐसी कोई बाधा नहीं है जो जम्मू- कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बीच मतभेद पैदा करती हो. केवल कुछ ही लोग हैं जो इस अनुच्छेद को निरस्त किए जाने के खिलाफ . ये वही लोग हैं जो पुरानी व्यवस्था के तहत सुविधाओं का सुख भोग रहे थे. वे अपमानजनक ढंग से रोना रोना धोना मचाए हुए हैं. अन्यथा आम जनता इसके हटाए जाने के समर्थन में है.

सिंह ने कहा जो भी भारतीय संविधान को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जो भारतीय संसद को नहीं मान रहे हैं, उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. जहां तक आतंकवाद का सवाल है तो वे विदेशी तत्व हैं जो अराजकता पैदा कर रहे हैं. वे देश को अस्थिर करना चाहते हैं.

प्रख्यात सुरक्षा विश्लेषक और सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी उम्मीद जताई कि आने वाला साल निश्चित रूप से क्षेत्र के लिए शांति और विकास लाएगा. उन्होंने कहा कि यह लंबे समय से प्रतीक्षित निर्णय था. अब यह अनुच्छेद रद्द किए जाने से जम्मू़-कश्मीर निश्चित रूप से देश के अन्य हिस्सों से जुड़ेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 1 साल में क्षेत्र के विकास के लिए अच्छी तरह से एक रणनीति बनाई है और इस पर काम करना शुरू किया है. हालांकि घाटी में सरकार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सिंह का मानना है कि सरकार को घाटी में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश करनी चाहिए. सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि क्षेत्र के आगे के विकास के लिए जम्मू- कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने पर विचार करना चाहिए.

सरकार को सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने पर भी विचार करना चाहिए, इस शर्त के साथ कि उनसे और कोई खतरा नहीं है. बीएसएफ के पूर्व शिक्षा अधिकारी ने हालांकि यह माना कि कानून और व्यवस्था की स्थिति और मौजूदा महामारी के कारण विकास अभी उतनी तेजी से नहीं हुआ है.

सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले ने जम्मू-कश्मीर की तस्वीर को स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय मंच पर डाल दिया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और अनुच्छेद को हटाए जाने से इस दावे की पुष्टि हुई है.

सरकार की ओर से जम्मू- कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करने के साथ अब यह समय आ गया है कि सभी हित धारकों को एक मंच पर लाया जाए ताकि शाही भव्यता के साथ घाटी फिर से एक नए रूप में लोगों के दिल पर राज कर सके.

नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने वाले अनुच्छेद 370 और 35A की समाप्ति का एक साल पूरा होने को है. केंद्र सरकार की ओर से शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन समेत विभिन्न क्षेत्रों के लिए विकास वाले पैकेजों की घोषणा से भव्य पहाड़ों वाली यह घाटी जीवंत हो गई है. इस घाटी में एक नए युग की उम्मीद जगी है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कभी नहीं खत्म होने वाली शांति और समृद्धि के लिए संसद में 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक फैसले की घोषणा की थी.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पिछले एक साल के अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन और विकास हुआ है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के जो लोग वर्षों और दशकों से सपना देख रहे थे, वह अपने चरम पर पहुंचने लगा है. चाहे वह संरचनात्मक विकास के संदर्भ में हो, अस्पताल में भर्ती मरीजों को सुविधा देने के संदर्भ में हो, विशेषकर जब पिछले चार महीने से जब हमलोग कोविड महामारी से लड़ रहे हैं, यह वास्तव में अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद ही हो सकता था.

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर गीता भट्ट ने कहा कि कुछ आतंकी हमले जो हुए उन्हें रोकते हुए जो विकास कार्य किए गए मुझे लगता है कि वह अभूतपूर्व है. अनुच्छेद 370 को रद्द करना निश्चित रूप से श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि थी. मुखर्जी ने जम्मू- कश्मीर के एकीकरण के लिए अपना जीवन लगा दिया. भट्ट ने विपक्षी दलों और घाटी के एक वर्ग के सभी दावों को खारिज किया.

ये सभी सरकार पर विकास के नाम पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों से कश्मीरी लोगों के कुछ चुने हुए तबके थे जो शासक थे और केंद्र सरकार के खर्च और करदाताओं के पैसे से सारी सुविधाएं भोग रहे थे.

दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद की निर्वाचित सदस्य प्रोफेसर भट्ट का कहना है कि क्या हमलोग इसकी कल्पना कर सकते हैं कि एक पूर्व मुख्यमंत्री बंगले एवं अन्य सुविधाओं का अधिकारी है जब वह महिला या पुरुष मुख्यमंत्री नहीं है तब भी.

वे अनुच्छेद 370 के नाम पर इन सभी सुविधाओं का आनंद ले रहे थे. यह वही वर्ग है जो आज रो रहा है. लेकिन जम्मू-कश्मीर का आम आदमी गरीबी में जीवन गुजार रहा था यहां तक कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए भी समस्याओं का सामना कर रहा था. वास्तव में जम्मू- कश्मीर का सामान्य आदमी अनुच्छेद 370 के रद्द होने से बहुत ज्यादा खुश है.

उन्होंने कहा कि इस विवादास्पद अनुच्छेद को रद्द करने से प्रशासन को आतंकी गतिविधियों की संख्या कम करने में भी मदद मिली है.

प्रोफेसर भट्ट ने कहा, यह सही है कि पिछले एक साल से जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों की संख्या घट रही है. इससे आतंक के गढ़ पाकिस्तान को झटका लगा है, जो हमेशा से भारतीय क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ कराता रहा है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान के साथ एक पड़ोसी के रूप में रहना होगा. लेकिन ऐसे कई उदाहरण थे जिनसे साबित हुआ कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों के अपने अड्डे हैं. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के कारण कश्मीर में उनकी गतिविधियों में कमी आई है. आतंकवादी जिस तरह के कवच का आनंद ले रहे थे उन्होंने उसे खो दिया.

शिक्षा और विकास पर कई शोध पत्र प्रकाशित कर चुकीं प्रोफ़ेसर भट्ट ने जम्मू- कश्मीर में समृद्धि और विकास के संदर्भ में कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपने धार्मिक और पर्यटक आकर्षण को पा लिया है.

प्रोफ़ेसर भट्टे ने कहा कि 5 साल के अंदर पर्यटन क्षेत्र में संभावनाएं बनेंगी क्योंकि कॉरपोरेट घरानों ने भी घाटी में निवेश करने की अपनी इच्छा जताई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार इस अवसर का लाभ उठाकर क्षेत्र के सभी हितधारकों को समेकित विकास के लिए एक आम सहमति बनाएगी.

जम्मू- कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश में बांटने से भी क्षेत्र के समग्र विकास संभावना है. वहां उच्च शिक्षण संस्थान और केंद्रीय विश्वविद्यालय आदि होंगे तो लद्दाख क्षेत्र के युवाओं को दूसरे राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने वास्तव में अनुच्छेद 370 को रद्द करके जम्मू- कश्मीर के भारत के साथ एकीकरण का इरादा जाहिर किया.

पिछले एक साल में जम्मू- कश्मीर और लद्दाख के लिए केंद्र सरकार ने कई विकास योजनाओं और पैकेजों की घोषणा की है. सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2020 भी तैयार कर रही है जिसमें कर छूट और बहुत आकर्षक भूमि नीति जैसे तत्व भी शामिल होंगे. सरकार ने अपने प्रयासों के तहत निजीकरण के लिए ऐसे 14 क्षेत्रों की पहचान की है जिससे निवेश आ सके.

आईटी, पर्यटन और आतिथ्य, कौशल और हस्तशिल्प शिल्प, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण, औषधीय पौधे, बुनियादी ढांचे और रियल स्टेट आदि को प्राथमिकता में रखा गया है. केंद्र शासित प्रदेश में स्टार्ट अप नीति पहले ही शुरू कर की जा चुकी है. इनक्यूबेटर , इनोवेशन और इनक्यूबेशन लैब की स्थापना के अलावा 500 नए स्टार्ट अप का निर्माण होना है.

स्वास्थ्य क्षेत्र में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है. एक साल में 7 नए मेडिकल कॉलेज खोलने के साथ सीटों की संख्या दोगुनी की जा रही है. वास्तव में अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने से जम्मू- कश्मीर और शेष भारत के बीच सभी विनियामक और संस्थागत बाधाएं भी दूर हो गई हैं.

संवैधानिक विशेषज्ञ मानते हैं कि केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को रद्द करने का साल भर पहले लिया गया निर्णय करोड़ों भारतीयों की लंबे समय से लंबित आकांक्षा थी. अनुच्छेद 370 का रद्द किया जाना एक संवैधानिक आकांक्षा थी जो पूरी हुई और ऐसा भारतीय संविधान के नियमों के तहत किया गया. भारत सरकार के साथ-साथ भारती य संसद ने भी एक सही रुख अपनाया. वास्तव में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पीओके को भी भारतीय भू-भाग के क्षेत्र में शामिल किया जाना चाहिए.

अधिवक्ता सिंह ने कहा कि जम्मू- कश्मीर में एक समाननागरिक संहिता होनी चाहिए जो निश्चित रूप से क्षेत्र में रह रहे अल्पसंख्यकों को कोई समस्या पैदा नहीं करेगी. अधिवक्ता सिंह ने कहा कि दुनिया के सभी सभ्य देशों में एक समान नागरिक संहिता है और उसमें अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने का भी प्रावधान है.

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के रद्द किए जाने के बाद ऐसी कोई बाधा नहीं है जो जम्मू- कश्मीर और देश के अन्य हिस्सों के बीच मतभेद पैदा करती हो. केवल कुछ ही लोग हैं जो इस अनुच्छेद को निरस्त किए जाने के खिलाफ . ये वही लोग हैं जो पुरानी व्यवस्था के तहत सुविधाओं का सुख भोग रहे थे. वे अपमानजनक ढंग से रोना रोना धोना मचाए हुए हैं. अन्यथा आम जनता इसके हटाए जाने के समर्थन में है.

सिंह ने कहा जो भी भारतीय संविधान को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, जो भारतीय संसद को नहीं मान रहे हैं, उनसे सख्ती से निपटा जाना चाहिए. जहां तक आतंकवाद का सवाल है तो वे विदेशी तत्व हैं जो अराजकता पैदा कर रहे हैं. वे देश को अस्थिर करना चाहते हैं.

प्रख्यात सुरक्षा विश्लेषक और सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने भी उम्मीद जताई कि आने वाला साल निश्चित रूप से क्षेत्र के लिए शांति और विकास लाएगा. उन्होंने कहा कि यह लंबे समय से प्रतीक्षित निर्णय था. अब यह अनुच्छेद रद्द किए जाने से जम्मू़-कश्मीर निश्चित रूप से देश के अन्य हिस्सों से जुड़ेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले 1 साल में क्षेत्र के विकास के लिए अच्छी तरह से एक रणनीति बनाई है और इस पर काम करना शुरू किया है. हालांकि घाटी में सरकार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सिंह का मानना है कि सरकार को घाटी में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश करनी चाहिए. सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि क्षेत्र के आगे के विकास के लिए जम्मू- कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा देने पर विचार करना चाहिए.

सरकार को सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने पर भी विचार करना चाहिए, इस शर्त के साथ कि उनसे और कोई खतरा नहीं है. बीएसएफ के पूर्व शिक्षा अधिकारी ने हालांकि यह माना कि कानून और व्यवस्था की स्थिति और मौजूदा महामारी के कारण विकास अभी उतनी तेजी से नहीं हुआ है.

सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले ने जम्मू-कश्मीर की तस्वीर को स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय मंच पर डाल दिया है. उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और अनुच्छेद को हटाए जाने से इस दावे की पुष्टि हुई है.

सरकार की ओर से जम्मू- कश्मीर पर अपना रुख स्पष्ट करने के साथ अब यह समय आ गया है कि सभी हित धारकों को एक मंच पर लाया जाए ताकि शाही भव्यता के साथ घाटी फिर से एक नए रूप में लोगों के दिल पर राज कर सके.

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