दीमापुर (नगालैंड) : नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन (आईएम) संगठन ने पूर्वोत्तर राज्य में उग्रवाद के मुद्दे को सुलझाने संबंधी वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रत्यक्ष भागीदारी की मांग की है. साथ ही जोर दिया कि वार्ता किसी 'तीसरे देश' में की जाए. समूह के महासचिव थुइंगालेंग मुइवा ने गत 25 फरवरी को प्रधानमंत्री को यह पत्र लिखा था लेकिन अब तक इसे सामने नहीं लाया गया था.
सरकार के साथ वार्ता करने वाले समूह के प्रमुख वार्ताकार मुइवा ने इस पत्र में, 2015 में हस्ताक्षरित रूपरेखा समझौते के साथ ही उस प्रस्ताव का भी जिक्र किया है कि राज्य के लिए अलग संविधान एवं राष्ट्रीय झंडे की अनुमति दी जानी चाहिए.
मीडिया को सोमवार को यह पत्र जारी किया गया और संगठन ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से 'फीकी प्रतिक्रिया' के कारण पत्र को सार्वजनिक किया गया.
स्वयंभू नगा सरकार के प्रधानमंत्री मुइवा ने उन परिस्थितियों का हवाला भी दिया है, जिसमें वह और संगठन के तत्कालीन अध्यक्ष इसाक चिशी स्वू पहली बार 2002 में भारत पहुंचे थे और पूर्ण धैर्य के साथ 2010 से यहीं रुके रहे ताकि 'स्वीकार्य और सम्मानजनक राजनीतिक समझौते' तक पहुंचा जा सके.
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (आईएम) के प्रमुख मुइवा ने कहा कि सरकार द्वारा नगा समस्या को 'राजनीतिक मुद्दे' के तौर पर स्वीकार किए जाने के बाद ही उनके संगठन ने राजनीतिक वार्ता शुरू की थी.
रूपरेखा समझौते को लागू करने में देरी का आरोप लगाते हुए मुइवा ने कहा, ' दी गई परिस्थितियों में और राजनीतिक बातचीत को बचाने के मद्देनजर वार्ता उच्चतम स्तर पर होनी चाहिए जैसे कि प्रधानमंत्री के स्तर पर. बिना किसी पूर्व शर्त के और भारत के बाहर किसी तीसरे देश में वार्ता होनी चाहिए.'