नई दिल्ली : लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में सभी सदस्यों की मौजूदगी में यह फैसला लिया गया है कि लोजपा नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी. पार्टी की बैठक में लोजपा-भाजपा सरकार का प्रस्ताव पारित किया गया है. पार्टी सूत्रों ने कहा है कि लोजपा के सभी विधायक पीएम मोदी को और मजबूत करेंगे.
लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव अब्दुल खालिक ने कहा है कि वैचारिक मतभेद के कारण बिहार विधानसभा चुनाव में लोजपा जदयू के साथ गठबंधन नहीं करेगी.
रविवार को लोजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में वरिष्ठ पार्टी नेता पशुपती पारस व कैसर कोरोना व ऑपरेशन के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े.
लोजपा सूत्रों ने कहा है कि एक साल से बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट के माध्यम से उठाए गए मुद्दों पर लोजपा पीछे हटने को तैयार नहीं है.
गौरतलब है कि जदयू एवं लोजपा के बीच की तनातनी काफी बढ़ी हुई है. सीएम नीतीश के कामकाज पर चिराग कई बार सवाल उठा चुके हैं. चिराग पासवान अगर बिहार एनडीए से अलग होते हैं तो लोजपा 143 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वह जदयू के खिलाफ भी उम्मीदवार दे सकते हैं. केंद्र में लोजपा एनडीए में बनी रह सकती है.
चिराग पासवान अपने बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट विजन डॉक्यूमेंट को एनडीए के घोषणा पत्र में शामिल कराना चाहते थे. हालांकि, जदयू के साथ इन मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई.
इससे पहले लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सांसद चिराग पासवान की अध्यक्षता में लोजपा कि केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक शुरू हो गई है. इसमें बिहार लोजपा अध्यक्ष एवं सांसद प्रिंस राज पासवान, सांसद वीना देवी सांसद चंदन सिंह समेत तमाम सांसद व नेता मौजूद हैं.
भाजपा के तरफ से लोजपा को 27 विधानसभा सीट एवं दो विधान परिषद की सीटों का ऑफर दिया गया था. इसके बाद चिराग पासवान ने जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात की थी. उस दौरान चिराग को 30 विधानसभा सीटों व दो विधान परिषद की सीटों का ऑफर दिया गया.
अमित शाह ने कहा भी था कि भाजपा की लोजपा से कोई कटुता नहीं है. चिराग पासवान ने कहा था कि लोक सभा की छह सीटें हमें मिली थी एवं राज्य सभा की एक सीट हमें मिली थी इसलिए 42 सीटें हमें मिलनी चाहिए.