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ISRO ने खोज निकाला लैंडर 'विक्रम', संपर्क साधने की कर रहे हैं कोशिश

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Published : Sep 8, 2019, 2:02 PM IST

Updated : Sep 29, 2019, 9:20 PM IST

ISRO चीफ ने बताया कि चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' का पता कर लिया गया है. हालांकि अभी संपर्क नहीं हो पाया है लेकिन वैज्ञानिक लैंडर से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

लैंडर 'विक्रम'

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख के. सिवन ने कहा कि चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' का पता लगा लिया गया है. उन्होंने बताया कि ऑरबिटर ने लैंडर की थर्मल छवि भी ली है. हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो सका है लेकिन वैज्ञानिक इसकी पूरा कोशिश कर रहे हैं.

lander-vikram-of-chandrayaan-2 tracked says isro-chief- etv bharat
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ISRO चीफ ने कहा कि हालांकि अभी तक विक्रम से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' से संपर्क करने की उम्मीद है. ISRO चीफ के. सिवन ने ये बात एएनआई न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान कही है.

आपको बता दें, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है.

पढ़ें: जानें, लैंडर का नाम 'विक्रम' क्यों रखा गया, कैसे करता है काम

गौरतलब है कि बीते रोज चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. इसके बाद सभी वैज्ञानिकों में निराशा छा गई थी. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO चीफ सहित सभी को हौसला देते हुए कहा कि हमें आप पर गर्व है. उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.

बता दें, चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया है, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है.

पढ़ें: चंद्रयान-2 : अंतिम लम्हों में कैसा रहा सफर, देखें वीडियो

विक्रम के पास बैंगलोर के नजदीक बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता है. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इसरो के अनुसार लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने में सक्षम है, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं. जो चांद की सतह से संबंधित समझ में मजबूती लाने का काम कर सकते हैं. ISRO की इस लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में दो गड्ढों-'मैंजिनस सी' और 'सिंपेलियस एन' के बीच उतरने की योजना थी.

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख के. सिवन ने कहा कि चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' का पता लगा लिया गया है. उन्होंने बताया कि ऑरबिटर ने लैंडर की थर्मल छवि भी ली है. हालांकि, उससे अभी कोई संचार स्थापित नहीं हो सका है लेकिन वैज्ञानिक इसकी पूरा कोशिश कर रहे हैं.

lander-vikram-of-chandrayaan-2 tracked says isro-chief- etv bharat
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ISRO चीफ ने कहा कि हालांकि अभी तक विक्रम से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही चंद्रयान 2 के लैंडर 'विक्रम' से संपर्क करने की उम्मीद है. ISRO चीफ के. सिवन ने ये बात एएनआई न्यूज एजेंसी से बातचीत के दौरान कही है.

आपको बता दें, चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे ऑप्टिकल हाई रिजोल्यूशन कैमरा (OHRC) ने विक्रम लैंडर की तस्वीर ली है.

पढ़ें: जानें, लैंडर का नाम 'विक्रम' क्यों रखा गया, कैसे करता है काम

गौरतलब है कि बीते रोज चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था. इसके बाद सभी वैज्ञानिकों में निराशा छा गई थी. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ISRO चीफ सहित सभी को हौसला देते हुए कहा कि हमें आप पर गर्व है. उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.

बता दें, चंद्रयान 2 के लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा गया है. यह चन्द्रमा के एक पूरे दिन काम करने के लिए विकसित किया गया है, जो पृथ्वी के लगभग 14 दिनों के बराबर है.

पढ़ें: चंद्रयान-2 : अंतिम लम्हों में कैसा रहा सफर, देखें वीडियो

विक्रम के पास बैंगलोर के नजदीक बयालू में भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के साथ-साथ ऑर्बिटर और रोवर के साथ संवाद करने की क्षमता है. लैंडर को चंद्र सतह पर सफल लैंडिंग करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इसरो के अनुसार लैंडर में तीन वैज्ञानिक उपकरण लगे हैं, जो चांद की सतह और उप सतह पर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने में सक्षम है, जबकि रोवर के साथ दो वैज्ञानिक उपकरण हैं. जो चांद की सतह से संबंधित समझ में मजबूती लाने का काम कर सकते हैं. ISRO की इस लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में दो गड्ढों-'मैंजिनस सी' और 'सिंपेलियस एन' के बीच उतरने की योजना थी.

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Last Updated : Sep 29, 2019, 9:20 PM IST
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