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परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस आज, जानें मकसद

हर वर्ष 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. यह परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोटों या किसी अन्य परमाणु विस्फोटों के प्रभावों और परमाणु हथियार मुक्त दुनिया के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है. पहली बार यह दिवस 2010 में मनाया गया. परमाणु परीक्षण को रोकने के लिए कई प्रयास किए गए हैं. आइए जानते हैं इन प्रयासों के बारे में...

nuclear test
परमाणु परीक्षण
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Published : Aug 29, 2020, 8:00 AM IST

Updated : Aug 29, 2020, 8:14 AM IST

हैदराबाद : दो दिसंबर 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64वें सत्र में सर्वसहमति से परमाणु हथियारों के उपयोग पर रोक लगाने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार किया गया. इसके बाद 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया.

  • यह परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोटों या किसी अन्य परमाणु विस्फोटों के प्रभावों और परमाणु हथियार मुक्त दुनिया के लक्ष्य को प्राप्त करने के साधनों में से एक के रूप में उनकी समाप्ति की आवश्यकता के बारे में जागरूकता और शिक्षा का विस्तार करने के लिए मनाया जाता है.

कजाखिस्तान द्वारा सेमीपलातिन्स्क में 29 अगस्त, 1991 को परमाणु परीक्षण किया गया. इस परमाणु परीक्षण के खिलाफ यह प्रस्ताव लाया गया था. बाद में सेमीपलातिन्स्क न्यूक्लियर टेस्ट साइट को बंद कर दिया गया था.

यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों, अंतर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया को सूचित, शिक्षित और परमाणु हथियार परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर बल देता है.

कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सरकारी स्तर के प्रयासों के साथ-साथ लोगों के व्यापक आंदोलनों ने परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के महत्व पर प्रकाश डाला.

  • 2010 में परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस की शुरुआत की गई. प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर विभिन्न सभाएं, सम्मेलन, प्रदर्शनियां एवं प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं.

इसके अलावा यह आश्वस्त किया गया कि परमाणु हथियारों के उपयोग या इसके खतरे से बचने का एकमात्र उपाय परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 सितंबर को 'परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतररा ष्ट्रीय दिवस' ​​के रूप में घोषित किया. यह दिन परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के उद्देश्य को अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है.

  • सितंबर 2014 में पहली बार परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया.

1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी)) परमाणु परीक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त करने का एकमात्र साधन है, लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी तक लागू नहीं हुआ है.

परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि

  • परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि से परमाणु परीक्षणों को आसानी से प्रतिबंधित किया जा सकता है. इसे 10 सितंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था. अब तक 184 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और 168 देशों ने इसकी पुष्टि की है.
  • संधि को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण परमाणु क्षमताओं वाले राज्यों को भी इसकी पुष्टि करना होगी. बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
  • हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आम सहमति यह है कि परमाणु हथियार परीक्षण जीवन-जोखिम वाले जोखिम पैदा करता है, फिर भी कुछ हद तक परमाणु हथियारों का परीक्षण होना चाहिए क्योंकि अगर परमाणु हथियारों का परीक्षण नहीं किया जाता है तो उनकी विश्वसनीयता और क्षमता की सही जानकारी नहीं मिलेगी. इससे अन्य खतरे भी बढ़ सकते हैं.
  • परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर की जाने वाली गतिविधियां और घटनाएं परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को लागू करने के लिए दबाव बना रही हैं.
  • कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन की अंतरराष्ट्रीय निगरानी प्रणाली, यह विश्वास दिलाती है कि कोई भी परमाणु विस्फोट नहीं होगा.
  • हालांकि परमाणु युद्ध या परमाणु आतंकवादी खतरे से बचने में परमाणु हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकता है.
  • परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध, परमाणु हथियारों के उत्पादन को अपने आप ही प्रतिबंधित कर देगा.

ग्लोबल न्यूक्लियर वारहेड आर्सेल्स -2020

देशपहला परमाणु परीक्षणकुल परमाणु हथियारकुल परमाणु परीक्षण
अमेरिकाजुलाई 19455,8001,030
रूसअगस्त 19496,375715
यूनाइटेड किंगडमअक्टूबर 196221545
फ्रांसफरवरी 1960290210
चीनअक्टूबर 196432045
भारतमई 19741503
पाकिस्तान मई 19981603
उत्तर कोरिया अक्टूबर 200630-406
इजराइल ---90---

परमाणु अप्रसार के लिए उठाए गए कदम

1957 : परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और निगरानी करने के लिए इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी बनाई गई थी.

5 अगस्त 1963 : अमेरिका, सोवियत संघ और ग्रेट ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने सीमित परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए. यह संधि बाहरी अंतरिक्ष, पानी के भीतर या वायुमंडल में परमाणु हथियारों के परीक्षण पर रोक लगाती है.

12 जून 1968 : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के मसौदे का समर्थन करते हुए रेजोल्यूशन 2373 को अपनाया था.

26 मई 1972 : अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड एम निक्सन और सोवियत नेता लियोनिड ब्रेजनेव ने शीत युद्ध के दौरान अपने परमाणु शस्त्रागार को सीमित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच पहला समझौता शस्त्र सीमा वार्ता के अंतरिम समझौते (SALT-I) पर हस्ताक्षर किए.

11 अप्रैल 1995 : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रेजोस्यूशन 984 को अपनाया. इसमें पांच परमाणु हथियार संपन्न राज्यों ने, उन राज्यों के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करने या उन्हें धमकी नहीं देने की बात कही, जिन राज्यों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं.

1996 : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को अपनाया, जिसमें परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया.

5 फरवरी 2011 : न्यू स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी (न्यू एसटीएआरटी) लागू हुई. संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस रणनीतिक और आक्रामक हथियारों के इस्तेमाल को कम करने के लिए सहमत हुए. न्यू एसटीएआरटी के तहत रणनीतिक क्षेत्र में परमाणु हथियारों और बमों की संख्या कम कर के दोनों राज्यों में 1,550 की गई.

जून 2011 : यूनाइटेड किंगडम ने 2015 तक अपने नियोजित परमाणु बलों में स्वैच्छा से कटौती की घोषणा की. कटौती करने के बाद यूनाइटेड किंगडम के पास रणनितिक क्षेत्र में 120 परमाणु हथियार और परिचालन बल का रखरखाव और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए 60 परमाणु हथियार होते.

पढ़ें :- ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा अमेरिका: कमला हैरिस

7 जुलाई 2017 : एक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि को अपनाया. परमाणु हथियारों को बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित करने के लिए यह पहली अंतरराष्ट्रीय संधि थी. इसमें परमाणु हथियार के निर्माण, अधिग्रहण, परीक्षण, उपयोग और परमाणु हथियारों के कब्जे पर प्रतिबंध शामिल है. हालांकि किसी भी परमाणु क्षमताओं वाले राज्यों ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए, लेकिन यह संधि परमाणु निरस्त्रीकरण की राजनीति में एक महत्वपूर्ण है.

2018 : एनडब्ल्यूएस (परमाणु हथियार राज्यों) ने परमाणु हथियारों को 70,000 से 14,200 तक कम कर दिया था.

हैदराबाद : दो दिसंबर 2009 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 64वें सत्र में सर्वसहमति से परमाणु हथियारों के उपयोग पर रोक लगाने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार किया गया. इसके बाद 29 अगस्त को परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया.

  • यह परमाणु हथियार परीक्षण विस्फोटों या किसी अन्य परमाणु विस्फोटों के प्रभावों और परमाणु हथियार मुक्त दुनिया के लक्ष्य को प्राप्त करने के साधनों में से एक के रूप में उनकी समाप्ति की आवश्यकता के बारे में जागरूकता और शिक्षा का विस्तार करने के लिए मनाया जाता है.

कजाखिस्तान द्वारा सेमीपलातिन्स्क में 29 अगस्त, 1991 को परमाणु परीक्षण किया गया. इस परमाणु परीक्षण के खिलाफ यह प्रस्ताव लाया गया था. बाद में सेमीपलातिन्स्क न्यूक्लियर टेस्ट साइट को बंद कर दिया गया था.

यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों, अंतर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और मीडिया को सूचित, शिक्षित और परमाणु हथियार परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता पर बल देता है.

कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सरकारी स्तर के प्रयासों के साथ-साथ लोगों के व्यापक आंदोलनों ने परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाने के महत्व पर प्रकाश डाला.

  • 2010 में परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस की शुरुआत की गई. प्रत्येक वर्ष इस अवसर पर विभिन्न सभाएं, सम्मेलन, प्रदर्शनियां एवं प्रतियोगिताएं आयोजित कराई जाती हैं.

इसके अलावा यह आश्वस्त किया गया कि परमाणु हथियारों के उपयोग या इसके खतरे से बचने का एकमात्र उपाय परमाणु निरस्त्रीकरण और परमाणु हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 26 सितंबर को 'परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतररा ष्ट्रीय दिवस' ​​के रूप में घोषित किया. यह दिन परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के उद्देश्य को अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है.

  • सितंबर 2014 में पहली बार परमाणु हथियारों के कुल उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया गया.

1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी)) परमाणु परीक्षण को पूर्ण रूप से समाप्त करने का एकमात्र साधन है, लेकिन दुर्भाग्य से यह अभी तक लागू नहीं हुआ है.

परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि

  • परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि से परमाणु परीक्षणों को आसानी से प्रतिबंधित किया जा सकता है. इसे 10 सितंबर 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था. अब तक 184 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और 168 देशों ने इसकी पुष्टि की है.
  • संधि को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण परमाणु क्षमताओं वाले राज्यों को भी इसकी पुष्टि करना होगी. बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
  • हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आम सहमति यह है कि परमाणु हथियार परीक्षण जीवन-जोखिम वाले जोखिम पैदा करता है, फिर भी कुछ हद तक परमाणु हथियारों का परीक्षण होना चाहिए क्योंकि अगर परमाणु हथियारों का परीक्षण नहीं किया जाता है तो उनकी विश्वसनीयता और क्षमता की सही जानकारी नहीं मिलेगी. इससे अन्य खतरे भी बढ़ सकते हैं.
  • परमाणु परीक्षण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर की जाने वाली गतिविधियां और घटनाएं परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को लागू करने के लिए दबाव बना रही हैं.
  • कांप्रेहेन्सिव टेस्ट बैन ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन की अंतरराष्ट्रीय निगरानी प्रणाली, यह विश्वास दिलाती है कि कोई भी परमाणु विस्फोट नहीं होगा.
  • हालांकि परमाणु युद्ध या परमाणु आतंकवादी खतरे से बचने में परमाणु हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकता है.
  • परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध, परमाणु हथियारों के उत्पादन को अपने आप ही प्रतिबंधित कर देगा.

ग्लोबल न्यूक्लियर वारहेड आर्सेल्स -2020

देशपहला परमाणु परीक्षणकुल परमाणु हथियारकुल परमाणु परीक्षण
अमेरिकाजुलाई 19455,8001,030
रूसअगस्त 19496,375715
यूनाइटेड किंगडमअक्टूबर 196221545
फ्रांसफरवरी 1960290210
चीनअक्टूबर 196432045
भारतमई 19741503
पाकिस्तान मई 19981603
उत्तर कोरिया अक्टूबर 200630-406
इजराइल ---90---

परमाणु अप्रसार के लिए उठाए गए कदम

1957 : परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और निगरानी करने के लिए इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी बनाई गई थी.

5 अगस्त 1963 : अमेरिका, सोवियत संघ और ग्रेट ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने सीमित परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर किए. यह संधि बाहरी अंतरिक्ष, पानी के भीतर या वायुमंडल में परमाणु हथियारों के परीक्षण पर रोक लगाती है.

12 जून 1968 : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के मसौदे का समर्थन करते हुए रेजोल्यूशन 2373 को अपनाया था.

26 मई 1972 : अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड एम निक्सन और सोवियत नेता लियोनिड ब्रेजनेव ने शीत युद्ध के दौरान अपने परमाणु शस्त्रागार को सीमित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच पहला समझौता शस्त्र सीमा वार्ता के अंतरिम समझौते (SALT-I) पर हस्ताक्षर किए.

11 अप्रैल 1995 : संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रेजोस्यूशन 984 को अपनाया. इसमें पांच परमाणु हथियार संपन्न राज्यों ने, उन राज्यों के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करने या उन्हें धमकी नहीं देने की बात कही, जिन राज्यों के पास परमाणु हथियार नहीं हैं.

1996 : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को अपनाया, जिसमें परमाणु परीक्षणों को प्रतिबंधित किया गया.

5 फरवरी 2011 : न्यू स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी (न्यू एसटीएआरटी) लागू हुई. संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस रणनीतिक और आक्रामक हथियारों के इस्तेमाल को कम करने के लिए सहमत हुए. न्यू एसटीएआरटी के तहत रणनीतिक क्षेत्र में परमाणु हथियारों और बमों की संख्या कम कर के दोनों राज्यों में 1,550 की गई.

जून 2011 : यूनाइटेड किंगडम ने 2015 तक अपने नियोजित परमाणु बलों में स्वैच्छा से कटौती की घोषणा की. कटौती करने के बाद यूनाइटेड किंगडम के पास रणनितिक क्षेत्र में 120 परमाणु हथियार और परिचालन बल का रखरखाव और प्रबंधन का समर्थन करने के लिए 60 परमाणु हथियार होते.

पढ़ें :- ईरान को परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देगा अमेरिका: कमला हैरिस

7 जुलाई 2017 : एक संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन ने परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि को अपनाया. परमाणु हथियारों को बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित करने के लिए यह पहली अंतरराष्ट्रीय संधि थी. इसमें परमाणु हथियार के निर्माण, अधिग्रहण, परीक्षण, उपयोग और परमाणु हथियारों के कब्जे पर प्रतिबंध शामिल है. हालांकि किसी भी परमाणु क्षमताओं वाले राज्यों ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए, लेकिन यह संधि परमाणु निरस्त्रीकरण की राजनीति में एक महत्वपूर्ण है.

2018 : एनडब्ल्यूएस (परमाणु हथियार राज्यों) ने परमाणु हथियारों को 70,000 से 14,200 तक कम कर दिया था.

Last Updated : Aug 29, 2020, 8:14 AM IST
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