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नेचर्स लवर्स के लिए बेहद ही चौंकाने वाली खबर, जानें पूरा मामला....

भारत में गत वर्षों में हुए वनों के नुकसान को लेकर बेहद ही चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है. एक रिपोर्ट ने वन क्षेत्रों में हुए नुकसान के आंकड़े जारी किए हैं. वनों में हुए नुकसान पर जानें विशेषज्ञों की राय....

वनों में हुए नुकसान का हुआ रिपोर्ट में खुलासा
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Published : May 7, 2019, 10:50 PM IST

Updated : May 8, 2019, 12:06 AM IST

नई दिल्लीः भारत ने बीते पांच सालों में 1,20,000 हेक्टेयर से अधिक प्राथमिक वन भूमि खो दी है. इस रहस्य का खुलासा मैरीलैंड विश्वविद्यालय से हुआ. जिसने दुनिया भर में वन हानि के रुझानों को देखने के लिए नासा उपग्रह की तस्वीरों का रुख किया. ग्लोबल फोरेस्ट वॉच ने डेटा जारी किया है, यह विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) से एफीलेटेड आर्गनाइजेशन है, जो अमेरिका में स्थित एक गैर सरकारी संगठन है.

आंकड़ो के मुताबिक, 2009 और 2013 के बीच, जंगलों में 36 प्रतिशत तक की कमी आई है. जबकि 2014 से 2018 के बीच, जंगलों में कुल कटौती 1,22,784 हेक्टेयर थी. जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान 2016 (30,936 हेक्टेयर) व 2017 (29,563) में दर्ज किया गया.

असम के सांसद नबा सरानिया का कहना है कि, 'यह वास्तव में गंभीर मुद्दा है. इस सरकार ने वनों की सुरक्षा के मुद्दे की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. जंगलों की सुरक्षा करने की उनकी कोई इच्छा ही नहीं है.' सरानिया ने केंद्र सरकार को अड़ियल करार देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट जंगलों के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की ओर इशारा करती है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते असम सांसद नबा सरानिया

पढ़ेंः साइबर सिक्योरिटी पर बनी नेशनल पॉलिसी में जरूरी है बदलाव

बता दें सरानिया वनों के लगातार हो रहे क्षरण के खिलाफ लड़ते रहे हैं, और उनका मानना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की जरूरत है. दुखद बात यह है कि रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि, पूर्वोत्तर राज्यों ने देश में लगभग आधे जंगल के नुकसान में अपनी भूमिका निभाई है. रिपोर्ट के मुताबिक नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम समेत त्रिपुरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं.

नई दिल्लीः भारत ने बीते पांच सालों में 1,20,000 हेक्टेयर से अधिक प्राथमिक वन भूमि खो दी है. इस रहस्य का खुलासा मैरीलैंड विश्वविद्यालय से हुआ. जिसने दुनिया भर में वन हानि के रुझानों को देखने के लिए नासा उपग्रह की तस्वीरों का रुख किया. ग्लोबल फोरेस्ट वॉच ने डेटा जारी किया है, यह विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) से एफीलेटेड आर्गनाइजेशन है, जो अमेरिका में स्थित एक गैर सरकारी संगठन है.

आंकड़ो के मुताबिक, 2009 और 2013 के बीच, जंगलों में 36 प्रतिशत तक की कमी आई है. जबकि 2014 से 2018 के बीच, जंगलों में कुल कटौती 1,22,784 हेक्टेयर थी. जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान 2016 (30,936 हेक्टेयर) व 2017 (29,563) में दर्ज किया गया.

असम के सांसद नबा सरानिया का कहना है कि, 'यह वास्तव में गंभीर मुद्दा है. इस सरकार ने वनों की सुरक्षा के मुद्दे की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया. जंगलों की सुरक्षा करने की उनकी कोई इच्छा ही नहीं है.' सरानिया ने केंद्र सरकार को अड़ियल करार देते हुए कहा कि यह रिपोर्ट जंगलों के प्रति केंद्र सरकार के उदासीन रवैये की ओर इशारा करती है.

ईटीवी भारत से बातचीत करते असम सांसद नबा सरानिया

पढ़ेंः साइबर सिक्योरिटी पर बनी नेशनल पॉलिसी में जरूरी है बदलाव

बता दें सरानिया वनों के लगातार हो रहे क्षरण के खिलाफ लड़ते रहे हैं, और उनका मानना है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की जरूरत है. दुखद बात यह है कि रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि, पूर्वोत्तर राज्यों ने देश में लगभग आधे जंगल के नुकसान में अपनी भूमिका निभाई है. रिपोर्ट के मुताबिक नागालैंड, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम समेत त्रिपुरा सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं.

Intro:New Delhi: A report that could raise eye brows of the nature lovers, India has lost more than 1,20,000 hectares of primary forests land in last five years.


Body:This revelation came from the University of Maryland, which used NASA satellite images to look into the forest loss trends across the globe.

The data has been released by the Global Forest Watch, an organisation affiliated to the World Resource Institute (WRI), a US-based non governmental organisation.

The lost in forest land, according to the data, is 36 percent more than the loss of forest and tree cover between 2009 and 2013 (UPA-II).

Between 2014 and 2018, the forest loss was 1,22,748 ha with the maximum loss being reported in the year 2016 (30,936 ha) and 2017 (29,563 ha).

"This is really serious. This Governmnet has neglected the forest protection issue. They have no will to safeguard the forests," said a sitting MP from Assam, Naba Sarania.

This report shows the callous attitude of the incumbent Governmnet at the Centre, said Sarania.


Conclusion:Sarania who has been fighting against degradation of forest land feels that the issue need to be taken seriously.

The report, ironically, mentioned that northeastern states contributed to almost half the tree cover loss in the country. States like Nagaland, Meghalaya Manipur, Mizoram and Tripura are the worst affected, the report said.

end.
Last Updated : May 8, 2019, 12:06 AM IST
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