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भारत को मिली स्विस बैंक खातों से जुड़ी अहम जानकारी, सूची में ज्यादातर उद्योगपति

स्विस बैंकों में जमा भारतीय धनाढ्यों के काले धन को लेकर दशकों से चल रहीं चर्चाओं के एक बार फिर जोर पकड़ने के आसार हैं. इसकी वजह यह है कि भारत को स्विस बैंक खातों के संबंध में एक अहम जानकारी मिली है. हालांकि स्विस बैंक में भारतीय खातों से जुड़ी जानकारी एक नियमित व्यवस्था के तहत दी गई है. जानें पूरा विवरण...

स्विस बैंक
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Published : Oct 7, 2019, 5:32 PM IST

Updated : Oct 7, 2019, 6:44 PM IST

नयी दिल्ली-बर्न : भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) की नई नियमित व्यवस्था की गई है. इसके तहत भारत को स्विस बैंक खातों की कुछ अहम जानकारी मिली है. जानकारी के मुताबिक भारत को स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों के खातों के पहले ब्योरे उपलब्ध करा दिये गये हैं.

दोनों देशों के बीच सूचनाओं के स्वत: या स्वचालित आदान-प्रदान की इस व्यवस्था से भारत को विदेशों में अपने नागरिकों द्वारा जमा कराये गये कालेधन के खिलाफ लड़ाई में काफी मदद मिलने की उम्मीद है.

स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने 75 देशों को एईओआई के वैश्विक मानदंडों के तहत वित्तीय खातों के ब्योरे का आदान-प्रदान किया है. भारत भी इनमें शामिल है.

एफटीए के प्रवक्ता ने कहा कि भारत को पहली बार एईओआई ढांचे के तहत खातों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है. इसमें वे खाते शामिल हैं, जो अभी सक्रिय हैं. इसके अलावा उन खातों का ब्योरा भी उपलब्ध कराया जाएगा, जो 2018 में बंद किए जा चुके हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि इस व्यवस्था के तहत अगली सूचना सितम्बर, 2020 में साझा की जाएगी.

हालांकि, सूचनाओं के इस आदान-प्रदान की कड़े गोपनीयता प्रावधान के तहत निगरानी की जाएगी. एफटीए के अधिकारियों ने भारतीयों के खातों की संख्या या उनके खातों से जुड़ी वित्तीय सम्पत्तियों का ब्योरा साझा करने से इनकार किया.

कुल मिलाकर एफटीए ने भागीदार देशों को 31 लाख वित्तीय खातों की सूचना साझा की है. वहीं स्विट्जरलैंड को करीब 24 लाख खातों की जानकारी प्राप्त हुई है.

साझा की गई सूचना के तहत पहचान, खाता और वित्तीय सूचना शामिल है. इनमें निवासी के देश, नाम, पते और कर पहचान नंबर के साथ वित्तीय संस्थान, खाते में शेष और पूंजीगत आय का ब्योरा दिया गया है.

स्विट्जरलैंड सरकार ने अलग से बयान में कहा कि इस साल एईओआई के तहत 75 देशों के साथ सूचना का आदान-प्रदान किया गया है. इनमें से 63 देशों के साथ यह परस्पर आदान-प्रदान है.

करीब 12 देश ऐसे हैं, जिनसे स्विट्जरलैंड को सूचना तो प्राप्त हुई है, लेकिन उन्होंने स्विट्जरलैंड को कोई सूचना नहीं भेजी है क्योंकि ये देश गोपनीयता और डेटा सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय अनिवार्यताओं को पूरा नहीं कर पाए हैं. इन देशों में बेलीज, बल्गारिया, कोस्टा रिका, कुरासाओ, मोंटेसेराट, रूमेनिया, सेंट विन्सेंट, ग्रेनेडाइंस और साइप्रस शामिल हैं.

इसके अलावा बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कैमन आइलैंड, तुर्क्स एंड कैकोज आइलैंड आदि देशों ने सूचना नहीं मांगी है, इसलिए उन्हें खातों का ब्योरा साझा नहीं किया गया है.

एफटीए ने बैंकों, न्यासों और बीमा कम्पनियों सहित करीब 7,500 संस्थानों से ये आंकड़े जुटाये हैं. पिछले साल की तरह इस बार भी सबसे अधिक सूचनाओं का आदान-प्रदान जर्मनी को किया गया है. बयान में कहा गया है कि एफटीए वित्तीय सम्पत्तियों के बारे में कोई सूचना नहीं देता है.

भारत के नागरिकों के बारे मे साझा की गई सूचनाओं के बाबत एफटीए प्रवक्ता ने कहा कि सांख्यिकी आंकड़े भी गोपनीयता के प्रावधान के तहत आते हैं.

एफटीए ने कहा कि अगले साल इस व्यवस्था के तहत 90 देशों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा. स्विट्जरलैंड में एईओआई को कानूनी आधार पर पहली बार एक जनवरी, 2017 को क्रियान्वित किया गया थाा.

आदान-प्रदान के जरिये हासिल सूचनाओं के जरिये कर अधिकारी इस बात का पता लगा सकते हैं कि क्या करदाता ने अपने कर रिटर्न में विदेशों में अपने वित्तीय खाते का सही ब्योरा दिया है. इस व्यवस्था के तहत पहली बार सूचना का आदान-प्रदान सितम्बर, 2018 में 36 देशों के साथ किया गया था.

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन का वैश्विक मंच एईआईओ के क्रियान्वयन की समीक्षा करता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन सूचनाओं के आधार पर भारत बेहिसाबी धन रखने वाले लोगों के खिलाफ अभियोजन का ठोस मामला बना सकता है.

कई अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस सूची में ज्यादातर उद्योगपतियों के नाम है. इनमें प्रवासी भारतीय (एनआरआई) भी शामिल हैं, जो दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ कुछ अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों में बस चुके हैं.

(पीटीआई इनपुट)

नयी दिल्ली-बर्न : भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) की नई नियमित व्यवस्था की गई है. इसके तहत भारत को स्विस बैंक खातों की कुछ अहम जानकारी मिली है. जानकारी के मुताबिक भारत को स्विस बैंकों में भारतीय नागरिकों के खातों के पहले ब्योरे उपलब्ध करा दिये गये हैं.

दोनों देशों के बीच सूचनाओं के स्वत: या स्वचालित आदान-प्रदान की इस व्यवस्था से भारत को विदेशों में अपने नागरिकों द्वारा जमा कराये गये कालेधन के खिलाफ लड़ाई में काफी मदद मिलने की उम्मीद है.

स्विट्जरलैंड के संघीय कर प्रशासन (एफटीए) ने 75 देशों को एईओआई के वैश्विक मानदंडों के तहत वित्तीय खातों के ब्योरे का आदान-प्रदान किया है. भारत भी इनमें शामिल है.

एफटीए के प्रवक्ता ने कहा कि भारत को पहली बार एईओआई ढांचे के तहत खातों के बारे में जानकारी प्रदान की गई है. इसमें वे खाते शामिल हैं, जो अभी सक्रिय हैं. इसके अलावा उन खातों का ब्योरा भी उपलब्ध कराया जाएगा, जो 2018 में बंद किए जा चुके हैं.

प्रवक्ता ने कहा कि इस व्यवस्था के तहत अगली सूचना सितम्बर, 2020 में साझा की जाएगी.

हालांकि, सूचनाओं के इस आदान-प्रदान की कड़े गोपनीयता प्रावधान के तहत निगरानी की जाएगी. एफटीए के अधिकारियों ने भारतीयों के खातों की संख्या या उनके खातों से जुड़ी वित्तीय सम्पत्तियों का ब्योरा साझा करने से इनकार किया.

कुल मिलाकर एफटीए ने भागीदार देशों को 31 लाख वित्तीय खातों की सूचना साझा की है. वहीं स्विट्जरलैंड को करीब 24 लाख खातों की जानकारी प्राप्त हुई है.

साझा की गई सूचना के तहत पहचान, खाता और वित्तीय सूचना शामिल है. इनमें निवासी के देश, नाम, पते और कर पहचान नंबर के साथ वित्तीय संस्थान, खाते में शेष और पूंजीगत आय का ब्योरा दिया गया है.

स्विट्जरलैंड सरकार ने अलग से बयान में कहा कि इस साल एईओआई के तहत 75 देशों के साथ सूचना का आदान-प्रदान किया गया है. इनमें से 63 देशों के साथ यह परस्पर आदान-प्रदान है.

करीब 12 देश ऐसे हैं, जिनसे स्विट्जरलैंड को सूचना तो प्राप्त हुई है, लेकिन उन्होंने स्विट्जरलैंड को कोई सूचना नहीं भेजी है क्योंकि ये देश गोपनीयता और डेटा सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय अनिवार्यताओं को पूरा नहीं कर पाए हैं. इन देशों में बेलीज, बल्गारिया, कोस्टा रिका, कुरासाओ, मोंटेसेराट, रूमेनिया, सेंट विन्सेंट, ग्रेनेडाइंस और साइप्रस शामिल हैं.

इसके अलावा बरमूडा, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, कैमन आइलैंड, तुर्क्स एंड कैकोज आइलैंड आदि देशों ने सूचना नहीं मांगी है, इसलिए उन्हें खातों का ब्योरा साझा नहीं किया गया है.

एफटीए ने बैंकों, न्यासों और बीमा कम्पनियों सहित करीब 7,500 संस्थानों से ये आंकड़े जुटाये हैं. पिछले साल की तरह इस बार भी सबसे अधिक सूचनाओं का आदान-प्रदान जर्मनी को किया गया है. बयान में कहा गया है कि एफटीए वित्तीय सम्पत्तियों के बारे में कोई सूचना नहीं देता है.

भारत के नागरिकों के बारे मे साझा की गई सूचनाओं के बाबत एफटीए प्रवक्ता ने कहा कि सांख्यिकी आंकड़े भी गोपनीयता के प्रावधान के तहत आते हैं.

एफटीए ने कहा कि अगले साल इस व्यवस्था के तहत 90 देशों के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा. स्विट्जरलैंड में एईओआई को कानूनी आधार पर पहली बार एक जनवरी, 2017 को क्रियान्वित किया गया थाा.

आदान-प्रदान के जरिये हासिल सूचनाओं के जरिये कर अधिकारी इस बात का पता लगा सकते हैं कि क्या करदाता ने अपने कर रिटर्न में विदेशों में अपने वित्तीय खाते का सही ब्योरा दिया है. इस व्यवस्था के तहत पहली बार सूचना का आदान-प्रदान सितम्बर, 2018 में 36 देशों के साथ किया गया था.

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन का वैश्विक मंच एईआईओ के क्रियान्वयन की समीक्षा करता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन सूचनाओं के आधार पर भारत बेहिसाबी धन रखने वाले लोगों के खिलाफ अभियोजन का ठोस मामला बना सकता है.

कई अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि इस सूची में ज्यादातर उद्योगपतियों के नाम है. इनमें प्रवासी भारतीय (एनआरआई) भी शामिल हैं, जो दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अमेरिका और ब्रिटेन के साथ कुछ अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों में बस चुके हैं.

(पीटीआई इनपुट)

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New Delhi: India has received first tranche of details about financial accounts of its residents in Swiss banks under a new automatic exchange of information framework between the two countries, marking a significant milestone in the fight against black money suspected to be stashed abroad.

India figures among 75 countries with which Switzerland's Federal Tax Administration (FTA) has exchanged information on financial accounts within the framework of global standards on AEOI, an FTA spokesperson told PTI.

This is the first time that India has received details from Switzerland under the AEOI framework, which provides for exchange of information on financial accounts that currently active as well as those accounts that were closed during 2018. The next exchange would take place in September 2020, the FTA spokesperson added.


Conclusion:
Last Updated : Oct 7, 2019, 6:44 PM IST
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