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भारत ने कोरोना संक्रमित 50 वैज्ञानिकों को किर्गिस्तान से किया एयरलिफ्ट - रक्षा सहयोग

भारतीय वायुसेना ने नवंबर की शुरुआत में किर्गिस्तान से कोरोना वायरस से संक्रमित भारतीय रक्षा वैज्ञानिकों को आपातकालीन मिशन के जरिए वापस लाया गया था. इस मिशन ने किर्गिस्तान के साथ भारत के करीबी रक्षा संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है. पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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भारतीय रक्षा वैज्ञानिक
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Published : Nov 30, 2020, 6:01 PM IST

नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के लगभग 50 भारतीय वैज्ञानिकों को नवंबर महीने की शुरुआत में आपातकालीन ऑपरेशन में आईएएफ सी-17 ग्लोबमास्टर द्वारा किर्गिस्तान से बाहर निकाला गया था. ये वैज्ञानिक साइंस्टिफिक कार्य के लिए गए थे.

एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि डीआरडीओ वैज्ञानिक एक परीक्षण का हिस्सा थे और कुछ महीनों से किर्गिस्तान में थे. उनमें से कई कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और उनके अनुरोध पर उन्हें वापस भारत लाने का निर्णय लिया गया. इसलिए भारतीय वायुसेना को इस ऑपरेशन में लगाया गया था.

आपातकालीन एयरलिफ्ट भारत के किर्गिस्तान के साथ नजदीकी रक्षा संबंध के कारण हुआ, जो भारत की तरह ही चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है.

परंपरागत रूप से, भारत की किर्गिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों में रुचि ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और आतंकवाद को रोकने व मादक पदार्थों की तस्करी गतिविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता के कारण बनी थी, जो काफी हद तक अफगानिस्तान से उत्पन्न होती है.

मगर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे बड़े प्रोजेक्ट के साथ इस क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण के बीच, भारत ने मध्य एशियाई क्षेत्र के देशों के साथ नए सिरे से अधिक मजबूत और घनिष्ठ संबंध बनाने का प्रयास किया है.

हाई-एल्टीट्यूड बायोमेडिकल रिसर्च रक्षा सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जिसके लिए 2011 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में किर्गिज-इंडिया माउंटेन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (KIMBMRC) स्थापित किया गया था.

अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में, केआईएमबीएमआरसी उच्च ऊंचाई वाले त्वरण प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है, कुशल त्वरण के लिए रणनीतियों का पता लगाता है और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शारीरिक स्थिरता को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग करता है.

साल 1984 से सियाचिन में 22,000 फीट की ऊंचाई पर सैनिकों की तैनाती में भारत के लंबे अनुभव और चीन के साथ सीमा तनाव के बाद पूर्वी लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में सैनिकों की लामबंदी के साथ, किर्गिस्तान के साथ साझा करने के लिए बहुत कुछ है, जिसके पास कई ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं.

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में चीन के ये ड्रोन बने नए आतंकी हथियार

केआईएमबीएमआरसी, डीआरडीओ और किर्गिस्तान के नेशनल सेंटर फॉर कार्डियोलॉजी एंड इंटरनल मेडिसिन (एनसीसीआईएम) का एक साझा उपक्रम है.

पिछले साल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधिकारिक यात्रा के दौरान भारत और किर्गिस्तान के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए थे, जिसमें गुलमर्ग में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल और किर्गिज सेना के संयुक्त पर्वतीय प्रशिक्षण केंद्र और भारत के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और किर्गिज सैन्य संस्थान के बीच सहयोग शामिल था.

गौरतलब है कि दोनों देश शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य हैं.

भारत आज (सोमवार) शिखर सम्मेलन के एससीओ प्रमुखों की मेजबानी कर रहा है. 2017 में एससीओ का सदस्य बनने के बाद भारत पहली बार इस आयोजन की मेजबानी कर रहा है.

नई दिल्ली : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के लगभग 50 भारतीय वैज्ञानिकों को नवंबर महीने की शुरुआत में आपातकालीन ऑपरेशन में आईएएफ सी-17 ग्लोबमास्टर द्वारा किर्गिस्तान से बाहर निकाला गया था. ये वैज्ञानिक साइंस्टिफिक कार्य के लिए गए थे.

एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि डीआरडीओ वैज्ञानिक एक परीक्षण का हिस्सा थे और कुछ महीनों से किर्गिस्तान में थे. उनमें से कई कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे और उनके अनुरोध पर उन्हें वापस भारत लाने का निर्णय लिया गया. इसलिए भारतीय वायुसेना को इस ऑपरेशन में लगाया गया था.

आपातकालीन एयरलिफ्ट भारत के किर्गिस्तान के साथ नजदीकी रक्षा संबंध के कारण हुआ, जो भारत की तरह ही चीन के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है.

परंपरागत रूप से, भारत की किर्गिस्तान सहित मध्य एशियाई देशों में रुचि ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और आतंकवाद को रोकने व मादक पदार्थों की तस्करी गतिविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता के कारण बनी थी, जो काफी हद तक अफगानिस्तान से उत्पन्न होती है.

मगर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे बड़े प्रोजेक्ट के साथ इस क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण के बीच, भारत ने मध्य एशियाई क्षेत्र के देशों के साथ नए सिरे से अधिक मजबूत और घनिष्ठ संबंध बनाने का प्रयास किया है.

हाई-एल्टीट्यूड बायोमेडिकल रिसर्च रक्षा सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है, जिसके लिए 2011 में किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में किर्गिज-इंडिया माउंटेन बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (KIMBMRC) स्थापित किया गया था.

अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में, केआईएमबीएमआरसी उच्च ऊंचाई वाले त्वरण प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है, कुशल त्वरण के लिए रणनीतियों का पता लगाता है और उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में शारीरिक स्थिरता को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग करता है.

साल 1984 से सियाचिन में 22,000 फीट की ऊंचाई पर सैनिकों की तैनाती में भारत के लंबे अनुभव और चीन के साथ सीमा तनाव के बाद पूर्वी लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में सैनिकों की लामबंदी के साथ, किर्गिस्तान के साथ साझा करने के लिए बहुत कुछ है, जिसके पास कई ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं.

पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में चीन के ये ड्रोन बने नए आतंकी हथियार

केआईएमबीएमआरसी, डीआरडीओ और किर्गिस्तान के नेशनल सेंटर फॉर कार्डियोलॉजी एंड इंटरनल मेडिसिन (एनसीसीआईएम) का एक साझा उपक्रम है.

पिछले साल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आधिकारिक यात्रा के दौरान भारत और किर्गिस्तान के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए थे, जिसमें गुलमर्ग में हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल और किर्गिज सेना के संयुक्त पर्वतीय प्रशिक्षण केंद्र और भारत के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और किर्गिज सैन्य संस्थान के बीच सहयोग शामिल था.

गौरतलब है कि दोनों देश शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य हैं.

भारत आज (सोमवार) शिखर सम्मेलन के एससीओ प्रमुखों की मेजबानी कर रहा है. 2017 में एससीओ का सदस्य बनने के बाद भारत पहली बार इस आयोजन की मेजबानी कर रहा है.

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