नई दिल्ली : गृह मंत्रालय ने बुधवार को 'दोषी-केंद्रित' दिशानिर्देशों को संशोधित करने और कानून के शासन में लोगों के विश्वास को मजबूत करने के लिए 'पीड़ित-केंद्रित' बनाने के लिए प्रार्थना करने से पहले एक आवेदन दिया.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर मौत की सजा के दोषियों के लिए उपलब्ध अधिकारों में संशोधन की मांग की है. केंद्र सरकार ने कहा है कि समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद क्यूरेटिव याचिका दायर करने के लिए मिलने वाले समय की सीमा तय की जानी चाहिए.
साथ ही केंद्र सरकार ने इस बात के निर्देश भी मांगे हैं कि मौत की सजा पाने वाला शख्स डेथ वारंट मिलने के दिन के सात दिनों के भीतर ही दया याचिका लगाए.
केंद्र ने राज्यों और जेल अधिकारियों और सक्षम न्यायालयों को निर्देश दिए जाने की मांग की है. केंद्र ने कहा है कि दया याचिका खारिज होने के बाद सात दिनों के भीतर डेथ वारंट जारी किए जाएं. इस संबंध में केंद्र ने कहा है कि सह-दोषियों की समीक्षा, दया या क्यूरेटिव याचिका किसी भी चरण में हों, इस पर विचार न किया जाए.
दिसंबर, 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में दोषियों द्वारा पुनर्विचार याचिका, सुधारात्मक याचिका ओर दया याचिकाएं दायर करने की वजह से मौत की सजा के फैसले पर अमल में विलंब के मद्देनजर गृह मंत्रालय की यह याचिका काफी महत्वपूर्ण है.
शीर्ष अदालत ने निर्भया मामले में मौत की सजा पाये एक दोषी पवन की नयी याचिका 20 जनवरी को खारिज कर दी थी. इस याचिका में दोषी ने दावा किया था कि अपराध के समय 2012 में वह नाबालिग था.
दिल्ली की अदालत ने हाल ही में इस मामले के दोषियों-विनय शर्मा, अक्षय कुमार सिंह, मुकेश कुमार सिंह और पवन- को एक फरवरी को मृत्यु होने तक फांसी के फंदे पर लटकाने के लिये वारंट जारी किया है. इससे पहले इन दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी लेकिन लंबित याचिकाओं की वजह से ऐसा नहीं हो सका था.
निर्भया के साथ 16 दिसंबर, 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया गया था. निर्भया का बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था.