नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि अन्य रोगों के चलते कोविड-19 संबंधी उच्च जोखिम के बारे में जागरूकता लाने की आवश्यकता है.
विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में समय रहते उठाए गए कदमों ने कोविड-19 महामारी के प्रसार की रोकथाम में मदद की है.
उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस रोग वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है. भारत में विषाणुजनित हेपेटाइटिस बहुत सामान्य और गंभीर बीमारी है, लेकिन स्वास्थ्य देखरेख प्रदाता और आम जनता असल में इससे अनभिज्ञ है.
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इस मुद्दे पर व्यापक जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है.
उन्होने कहा, 'विषाणुजनित हेपेटाइटिस बी और सी से पीड़ित लोगों को लिवर कैंसर और दीर्घकालिक लिवर रोग का अधिक खतरा रहता है. विषाणुजनित दीर्घकालिक हेपेटाइटिस से पीड़ित 80 प्रतिशत लोगों को अभी यह पता नहीं होता कि वे संक्रमित हैं.'
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'मैं यहां मौजूद अपने सभी सहयोगियों से आग्रह करता हूं कि वे हेपेटाइटिस बी और सी जैसी खामोश बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए दूत के रूप में काम करें.'
यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के योगदान के बारे में हर्षवर्धन ने कहा कि इसने विषाणुजनित हेपेटाइटिस रोधी राष्ट्रीय कार्यक्रम के विकास में मदद की थी जिसकी शुरुआत 28 जुलाई 2018 को हुई थी. यह विश्व में हेपेटाइटिस बी और सी की पहचान तथा उपचार का सबसे बड़ा कार्यक्रम है.
पिछले चार महीने से कोरोना वायरस के नमूनों की जांच में लगी आईएलबीएस की टीम को स्वास्थ्य मंत्री ने बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि देश का पहला प्लाज्मा बैंक आईएलबीएस में शुरू हुआ. प्लाज्मा योद्धा भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के ठीक होने की दर सुधार के लिए नि:स्वार्थ योगदान देते रहे हैं.
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा, 'हम 2030 तक हेपेटाइटिस सी के उन्मूलन और हेपेटाइटिस बी के मामलों में कमी लाने के विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्य के प्रति कटिबद्ध हैं. भारत के लोगों के प्रतिनिधि होने के नाते लोगों में इस बीमारी के बारे में जागरूकता लाना हमारा बड़ा दायित्व है जिससे कि इसे जन-आंदोलन बनाया जा सके.'