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चीन का नया पैंतरा, भारत पर लगाया फायरिंग का आरोप - eastern ladakh

पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के सैनिकों के बीच फायरिंग होने की खबर है. हालांकि स्थिति अभी नियंत्रण में बताई जा रही है. बता दें कि भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिण में रणनीतिक रूप से अहम कई ऊंचाई वाले स्थानों पर मुस्तैदी बढ़ा दी है.

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Published : Sep 8, 2020, 2:11 AM IST

Updated : Sep 8, 2020, 6:59 AM IST

लद्दाख : सीमा पर जारी तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच गोलीबारी की घटना होने की खबर है. हालांकि स्थिति अभी नियंत्रण में बताई जा रही है. चीन का दावा है कि फायरिंग भारत की ओर से की गई है.

दोनों पक्षों के बीच पिछले तीन महीनों से बातचीत चल रही है, जिसमें पांच लेफ्टिनेंट सामान्य स्तर की बातचीत शामिल हैं, लेकिन अब तक कोई परिणाम नहीं निकला है.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित भारतीय इलाके पर कब्जे के लिए चीन द्वारा 29 अगस्त और 30 अगस्त को की गई असफल कोशिश के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है.

भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिण में रणनीतिक रूप से अहम कई ऊंचाई वाले स्थानों पर मुस्तैदी बढ़ा दी है. चीन की घुसपैठ की कोशिश के मद्देनजर भारत ने अतिरिक्त जवानों को भेजा है और संवेदनशील इलाकों में हथियारों की तैनाती की है.

बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने तनाव को कम करने के प्रयासों में पूर्वी लद्दाख में रविवार को एक और दौर की वार्ता की थी.

हालांकि, सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि दोनों पक्षों द्वारा पिछले हफ्ते बनी टकराव की स्थिति के बाद अतिरिक्त सैनिकों तथा हथियारों को पहुंचाने के कारण स्थिति नाजुक बनी हुई है.
सूत्रों ने कहा कि चुशूल के पास करीब चार घंटे तक चली ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत में कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया.

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना अत्यधिक उच्च स्तर की सतर्कता बरत रही है और इलाके में किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है.
सूत्रों के मुताबिक क्षेत्र में कुल मिलाकर हालात नाजुक बने हुए हैं.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित भारतीय इलाके पर कब्जे के लिए चीन द्वारा 29 अगस्त और 30 अगस्त को की गई असफल कोशिश के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है.

10 सितंबर को जयशंकर और वांग यी के बीच होनी है मुलाकात

बता दें कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मॉस्को में संभावित वार्ता से पहले ही भारत और चीन के बीच यह तनाव फिर से उत्पन्न हुआ है.

इससे पूर्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ सीमा पर बनी स्थिति को पड़ोसी देश के साथ समग्र रिश्तों की स्थिति से अलग करके नहीं देखा जा सकता.

गहन विचार-विमर्श की जरूरत

विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख के हालात को बहुत गंभीर करार दिया और कहा कि ऐसे हालात में दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक स्तर पर बहुत बहुत गहन विचार-विमर्श की जरूरत है.

संबंधों का आधार शांति है

विदेश मंत्री ने कहा, सीमा पर अगर अमन-चैन नहीं रहता तो बाकी रिश्ते जारी नहीं रह सकते क्योंकि स्पष्ट रूप से संबंधों का आधार शांति ही है.

जयशंकर 10 सितंबर को मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर वांग से मुलाकात कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि 15 जून को दोनों देशों के बीच तनाव कई गुना तब बढ़ गया था जब भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई और भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए. चीन की ओर से झड़प में हताहतों की जानकारी नहीं दी गई है लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए.

लद्दाख : सीमा पर जारी तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास भारत और चीन के सैनिकों के बीच गोलीबारी की घटना होने की खबर है. हालांकि स्थिति अभी नियंत्रण में बताई जा रही है. चीन का दावा है कि फायरिंग भारत की ओर से की गई है.

दोनों पक्षों के बीच पिछले तीन महीनों से बातचीत चल रही है, जिसमें पांच लेफ्टिनेंट सामान्य स्तर की बातचीत शामिल हैं, लेकिन अब तक कोई परिणाम नहीं निकला है.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित भारतीय इलाके पर कब्जे के लिए चीन द्वारा 29 अगस्त और 30 अगस्त को की गई असफल कोशिश के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है.

भारत ने पैंगोंग झील के दक्षिण में रणनीतिक रूप से अहम कई ऊंचाई वाले स्थानों पर मुस्तैदी बढ़ा दी है. चीन की घुसपैठ की कोशिश के मद्देनजर भारत ने अतिरिक्त जवानों को भेजा है और संवेदनशील इलाकों में हथियारों की तैनाती की है.

बता दें कि भारतीय और चीनी सेनाओं ने तनाव को कम करने के प्रयासों में पूर्वी लद्दाख में रविवार को एक और दौर की वार्ता की थी.

हालांकि, सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि दोनों पक्षों द्वारा पिछले हफ्ते बनी टकराव की स्थिति के बाद अतिरिक्त सैनिकों तथा हथियारों को पहुंचाने के कारण स्थिति नाजुक बनी हुई है.
सूत्रों ने कहा कि चुशूल के पास करीब चार घंटे तक चली ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत में कोई ठोस परिणाम नहीं निकल पाया.

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना अत्यधिक उच्च स्तर की सतर्कता बरत रही है और इलाके में किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है.
सूत्रों के मुताबिक क्षेत्र में कुल मिलाकर हालात नाजुक बने हुए हैं.

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित भारतीय इलाके पर कब्जे के लिए चीन द्वारा 29 अगस्त और 30 अगस्त को की गई असफल कोशिश के बाद एक बार फिर तनाव बढ़ गया है.

10 सितंबर को जयशंकर और वांग यी के बीच होनी है मुलाकात

बता दें कि चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ मॉस्को में संभावित वार्ता से पहले ही भारत और चीन के बीच यह तनाव फिर से उत्पन्न हुआ है.

इससे पूर्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि चीन के साथ सीमा पर बनी स्थिति को पड़ोसी देश के साथ समग्र रिश्तों की स्थिति से अलग करके नहीं देखा जा सकता.

गहन विचार-विमर्श की जरूरत

विदेश मंत्री ने पूर्वी लद्दाख के हालात को बहुत गंभीर करार दिया और कहा कि ऐसे हालात में दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक स्तर पर बहुत बहुत गहन विचार-विमर्श की जरूरत है.

संबंधों का आधार शांति है

विदेश मंत्री ने कहा, सीमा पर अगर अमन-चैन नहीं रहता तो बाकी रिश्ते जारी नहीं रह सकते क्योंकि स्पष्ट रूप से संबंधों का आधार शांति ही है.

जयशंकर 10 सितंबर को मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर वांग से मुलाकात कर सकते हैं.

उल्लेखनीय है कि 15 जून को दोनों देशों के बीच तनाव कई गुना तब बढ़ गया था जब भारत और चीनी सैनिकों के बीच गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई और भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए. चीन की ओर से झड़प में हताहतों की जानकारी नहीं दी गई है लेकिन अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक गलवान झड़प में चीन के 35 सैनिक मारे गए.

Last Updated : Sep 8, 2020, 6:59 AM IST
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