हैदराबाद : अमेरिका में चीनी राजदूत कुई तियान्काई ने लद्दाख में पैदा हुए गतिरोध के बीच कहा है कि भारत और भूटान के साथ चीन की कुछ समस्याएं हैं, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि भारत और चीन के संबंधों पर सीमा विवाद की साया पड़नी चाहिए.
तियान्काई ने कहा, 'मुझे नहीं लगता है कि शीत युद्ध किसी के लिए भी हितकारी साबित होगा.'
अमेरिका द्वारा चीन के दूतावासों को बंद करने पर उन्होंने कहा कि वाणिज्य दूतावास बंद करना वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण था. अमेरिका के इस फैसले ने चीन को प्रतिक्रिया देने पर मजबूर कर दिया था.
गौरतलब है कि अमेरिका ने पिछले महीने जासूसी के आरोप में ह्यूस्टन स्थित चीन के वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था. जिसके जवाब में चीन ने भी चेंगदू स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था.
चीनी राजदूत ने कहा कि चीन अन्य देशों के साथ बातचीत के माध्यम से दक्षिण चीन सागर पर विवाद को हल करने के लिए तैयार है.
अमेरिका और चीन के बीच तनाव को लेकर कुई ने कहा कि चीन के लोगों के बीच यह जिज्ञासा है कि गतिरोध खत्म करने के लिए अमेरिका क्या कर सकता है, ठीक वैसे ही अमेरिका में यह अपेक्षाएं हैं कि चीन क्या करेगा?
गौरतलब है कि कुई तियान्काई ने एक वेबिनार में यह टिप्पणी की. उन्होंने अमेरिकी प्रोफेसर आर. निकोलस बर्न्स (R. Nicholas Burns) के एक सवाल के जवाब में भारत-चीन संबंधों पर अपनी राय जाहिर की. वेबिनार एस्पेन सिक्योरिटी फोरम (Aspen Security Forum) की ओर से अमेरिका के कोलोराडो में आयोजित किया गया था.
लद्दाख गतिरोध का कारण
बता दें कि लद्दाख की गलवान घाटी में 15-16 जून की दरम्यानी रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें एक कर्नल समेत 20 सैन्यकर्मी शहीद हुए थे. देर रात सैन्य सूत्रों के हवाले से आई खबरों में बताया गया था कि चीनी पक्ष में 43 लोग हताहत हुए हैं.
यह भी पढ़ें: सीमा पर हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद, दुश्मन चीन के भी 43 सैनिक हताहत
अमेरिकी खुफिया विभाग के हवाले से सामने आई खबरों के मुताबिक गलवान में हुई हिंसक झड़प में चीनी सेना के एक कमांडर समेत 35 लोग भी मारे गए थे, लेकिन चीन ने हिंसक झड़प के करीब एक महीने बीत जाने के बाद भी चीन ने नहीं बताया है कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कितने सैनिक भी मारे गए थे.
यह भी पढ़ें: एलएसी पर झड़प में चीनी कमांडर समेत 35 सैनिक ढेर
वास्तविक नियंत्रण रेखा
1962 के युद्ध के दौरान, चीनी सेना ने पश्चिमी लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. भारतीय क्षेत्र के चीनी कब्जे के कारण जो वास्तविक सीमा बनाई गई थी, उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाने लगा. चूंकि वास्तविक नियंत्रण रेखा का न तो मानचित्रों पर परिसीमन किया गया था और न ही जमीन पर सीमांकित किया गया था, इसलिए दोनों पक्षों की कुछ क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर अलग-अलग धारणा है.
पूर्वी लद्दाख का भूगोल
लद्दाख को ऊंचाई पर स्थित 'रेगिस्तान' कहा जाता है और पूर्वी लद्दाख के क्षेत्र तिब्बती पठार से सटे हुए हैं. पैंगोंग त्सो झील और गैलवान नदी घाटी 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, और हॉट स्प्रिंग का क्षेत्र लगभग 15,500 फीट है. वर्तमान में इन्हीं तीन क्षेत्रों में चीन के साथ तनाव की स्थिति बनी हुई है.
यह भी पढ़ें: लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) हुड्डा से जानें- क्यों घबराया चीन और क्या है गलवान विवाद