नई दिल्ली : सीडब्ल्यूसी ने सरकार पर 'युवाओं की आवाज दबाने' का आरोप लगाया, सीएए को वापस लेने की मांग की. कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारण इकाई कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर युवाओं की आवाज दबाने का आरोप लगाया और कहा कि 'असंवैधानिक' संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस लिया जाना चाहिए.
वहीं सूत्रों के हवाले से कांग्रेस शासित राज्य सरकारें अपनी विधानसभाओं में CAA और NPR के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेंगी.
सीडब्ल्यूसी की शनिवार को हुई बैठक में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों और जेएनयू में हमले के बाद बने हालात, अर्थव्यवस्था में सुस्ती, जम्मू-कश्मीर की स्थिति और पश्चिम एशिया के मौजूदा हालात पर चर्चा की गयी.
प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने असंवैधानिक संशोधित नागरिकता कानून को वापस लेने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है.
इसके साथ ही जेएनयू और कई अन्य विश्वविद्यालयों में हिंसा की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया.
बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन मुद्दों को लेकर शनिवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि जेएनयू और अन्य जगहों पर युवाओं एवं छात्रों पर हमले की घटनाओं के लिए एक विशेषाधिकार आयोग का गठन किया जाना चाहिए.
पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में हुई इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कई अन्य नेता शामिल हुए.
बैठक में राहुल गांधी के मौजूद नहीं रहने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष फिलहाल यात्रा पर हैं. वह रविवार सुबह से पार्टी के काम के लिए मौजूद होंगे.'
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सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा, 'बैठक में मौजूदा समय में पूरे देश खासकर कई विश्वविद्यालयों में चल रहे आंदोलनों, आर्थिक मंदी, क़ृषि संकट, बेरोजगारी, जम्मू-कश्मीर की स्थिति और पश्चिम एशिया के हालात पर चर्चा की.'
उन्होंने कहा कि युवाओं और छात्रों के खिलाफ अत्याचार की निंदा करते हुए प्रस्ताव पारित किया गया.
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मोदी सरकार ने युवाओं की आवाज दबाने की कोशिश की और अब वह युवाओं का विश्वास खो चुकी है. युवाओं को सुनने की बजाय और उन पर पुलिसिया कार्रवाई और सुनियोजित हमले किये जा रहे हैं.
सीडब्ल्यूसी की बैठक के शुरुआत में सोनिया ने कहा, 'नए साल की शुरुआत संघर्षों, अधिनायकवाद, आर्थिक समस्याओं, अपराध से हुई है.'
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उन्होंने सीएए को भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी कानून करार देते हुए दावा किया कि इसका मकसद भारत के लोगों को धार्मिक आधार पर बांटना है.
सोनिया ने कहा कि जेएनयू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया और कुछ अन्य जगहों पर युवाओं और छात्रों पर हमले की घटनाओं की जांच के लिए विशेषाधिकार प्राप्त आयोग का गठन किया जाए.
उन्होंने खाड़ी क्षेत्र के घटनाक्रम को लेकर भी चिंता प्रकट की.