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UP के सनौली में ASI की खुदाई, वेद और महाभारत से जुड़ने की संभावना

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Published : Oct 18, 2019, 11:45 PM IST

उत्तर प्रदेश के सनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई से कई चौंकाने वाले प्रमाण सामने आए हैं, जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1800 से 2000 ईसा पूर्व (BC) भी भारत में लोग वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते थे. इसी खोज के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

पुरातत्व सर्वेक्षण में मिले शेष.

नई दिल्ली: दिल्ली स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय में सनौली की खुदाई में सामने आए खोज पर आधारित एक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल ने सनौली से संबंधित कई ऐसे तथ्य पेश किये, जिन्हें जानकर भारत के प्राचीन और ईसापूर्व के इतिहास के बारे में कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं.

बता दें, उत्तर प्रदेश के सनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई से कई चौंकाने वाले प्रमाण सामने आए हैं, जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1800 से 2000 ईसा पूर्व (BC) भी भारत में लोग वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते थे. साथ ही ये भी पता चलता है कि उनकी जीवनशैली आधुनिक थी. इतना ही नहीं, एएसआई की खोज में, जो रथ, हथियार और अन्य चीजें मिली हैं उनके तार कहीं न कहीं महाभारत, रामायण और वेदों में मौजूद वर्णन से भी मेल खाते हैं.

डॉ संजय कुमार मंजुल का बयान.

इस तरह से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, जो तथ्य वेद और महाभारत में लिखे गए हैं वे कहीं न कहीं सही हैं. उनके प्रमाण भी सामने आए हैं, जो उन्हें साबित करने के लिये ठोस आधार देते हैं. साथ ही आर्यन के भारत में घुसपैठ करने की बात को भी खारिज करते हैं.

1800-2000 ईसा पूर्व का युद्ध रथ
सनौली की खुदाई में सबसे बड़ी खोज के रूप में युद्ध रथ सामने आया है, जो लकड़ी से बना था और जिसके पहियों में तांबे का काम भी है. इस राथ का जो आकार है उससे ये प्रमाणित होता है कि उस जमाने में भी इस तरह की आधुनिक तकनीक मौजूद थी. साथ ही इस तरह के रथ और अन्य उपकरण का जिक्र महाभारत, ऋग्वेद और रामायण में भी किया गया है.

तांबे से बने हथियार
हथियारों के अवशेष में तांबे के तीर, भाले और कई ऐसे अवशेष मिले हैं, जो उस काल की युद्ध विधि के बारे में प्रमाण देते हैं. साथ ही धनुष के आकार के भी अवशेष मिले हैं.

ईसापूर्व कालीन ताबूत और कंकाल
सनौली की खुदाई में तीन ताबूत और कंकाल भी मिले हैं. इन अवशेषों से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि उस काल में योद्धा को उसके हथियार और युद्ध के अन्य उपकरणों के साथ मरणोपरांत दफनाया जाता था.

युद्ध से संबंधित उपकरणों, रथ और ताबूत के अलावा कई ऐसे बर्तन भी मिले हैं, जो ये साबित करते हैं कि प्राचीन काल में भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी.

पढ़ें: चिदंबरम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

क्या है इनका महत्व
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संयुक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि लोगों को ये जरूर जानना चाहिये कि उस समय भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी. साथ ही जिस तरह के युद्ध विधि का जिक्र वेद, महाभारत और रामायण में है उनसे ये काफी मेल खाते खाते हैं. इस तरह से ये बेहद रोचक खोज हैं, जो सनौली की खुदाई में सामने आए हैं.

साथ ही ASI के संयुक्त महानिदेशक ने आर्यन के भारत में घुसपैठ की बातों को भी सिरे से नकारते हुए कहा कि एएसआई के किसी भी सर्वेक्षण में ऐसे कोई भी तथ्य सामने नहीं आये हैं. ऐसे में इस बात पर कोई सवाल ही नहीं खड़ा होता.

नई दिल्ली: दिल्ली स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय में सनौली की खुदाई में सामने आए खोज पर आधारित एक व्याख्यान का आयोजन किया गया. इसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संयुक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल ने सनौली से संबंधित कई ऐसे तथ्य पेश किये, जिन्हें जानकर भारत के प्राचीन और ईसापूर्व के इतिहास के बारे में कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं.

बता दें, उत्तर प्रदेश के सनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई से कई चौंकाने वाले प्रमाण सामने आए हैं, जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1800 से 2000 ईसा पूर्व (BC) भी भारत में लोग वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते थे. साथ ही ये भी पता चलता है कि उनकी जीवनशैली आधुनिक थी. इतना ही नहीं, एएसआई की खोज में, जो रथ, हथियार और अन्य चीजें मिली हैं उनके तार कहीं न कहीं महाभारत, रामायण और वेदों में मौजूद वर्णन से भी मेल खाते हैं.

डॉ संजय कुमार मंजुल का बयान.

इस तरह से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि, जो तथ्य वेद और महाभारत में लिखे गए हैं वे कहीं न कहीं सही हैं. उनके प्रमाण भी सामने आए हैं, जो उन्हें साबित करने के लिये ठोस आधार देते हैं. साथ ही आर्यन के भारत में घुसपैठ करने की बात को भी खारिज करते हैं.

1800-2000 ईसा पूर्व का युद्ध रथ
सनौली की खुदाई में सबसे बड़ी खोज के रूप में युद्ध रथ सामने आया है, जो लकड़ी से बना था और जिसके पहियों में तांबे का काम भी है. इस राथ का जो आकार है उससे ये प्रमाणित होता है कि उस जमाने में भी इस तरह की आधुनिक तकनीक मौजूद थी. साथ ही इस तरह के रथ और अन्य उपकरण का जिक्र महाभारत, ऋग्वेद और रामायण में भी किया गया है.

तांबे से बने हथियार
हथियारों के अवशेष में तांबे के तीर, भाले और कई ऐसे अवशेष मिले हैं, जो उस काल की युद्ध विधि के बारे में प्रमाण देते हैं. साथ ही धनुष के आकार के भी अवशेष मिले हैं.

ईसापूर्व कालीन ताबूत और कंकाल
सनौली की खुदाई में तीन ताबूत और कंकाल भी मिले हैं. इन अवशेषों से ये अनुमान लगाया जा सकता है कि उस काल में योद्धा को उसके हथियार और युद्ध के अन्य उपकरणों के साथ मरणोपरांत दफनाया जाता था.

युद्ध से संबंधित उपकरणों, रथ और ताबूत के अलावा कई ऐसे बर्तन भी मिले हैं, जो ये साबित करते हैं कि प्राचीन काल में भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी.

पढ़ें: चिदंबरम की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

क्या है इनका महत्व
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संयुक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि लोगों को ये जरूर जानना चाहिये कि उस समय भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी. साथ ही जिस तरह के युद्ध विधि का जिक्र वेद, महाभारत और रामायण में है उनसे ये काफी मेल खाते खाते हैं. इस तरह से ये बेहद रोचक खोज हैं, जो सनौली की खुदाई में सामने आए हैं.

साथ ही ASI के संयुक्त महानिदेशक ने आर्यन के भारत में घुसपैठ की बातों को भी सिरे से नकारते हुए कहा कि एएसआई के किसी भी सर्वेक्षण में ऐसे कोई भी तथ्य सामने नहीं आये हैं. ऐसे में इस बात पर कोई सवाल ही नहीं खड़ा होता.

Intro:उत्तर प्रदेश के सनौली में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की गई खुदाई से कई चौंकाने वाले प्रमाण सामने आए हैं जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1800 से 2000 ईसा पूर्व (BC) भी भारत में लोग वैज्ञानिक तकनीक का इस्तेमाल करते थे और उनकी जीवनशैली आधुनिक थी । इतना ही नहीं, ASI की खोज में जो रथ, हथियार और अन्य चीजें मिली हैं उनके तार कहीं न कहीं महाभारत, रामायण और वेदों में मौजूद वर्णन से भी मेल खाते हैं ।
इस तरह से ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जो तथ्य वेद और महाभारत में लिखे गए हैं उनके प्रमाण भी सामने आए हैं जो उन्हें साबित करने के लिये ठोस आधार देते हैं ।
साथ ही आर्यन के भारत में घुसपैठ करने की बात को भी खारिज करते हैं ।


Body:आज दिल्ली स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मुख्यालय में सनौली की खुदाई में सामने आए खोज पर आधारित एक व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें ASI के संयुक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल ने सनौली से संबंधित कई ऐसे तथ्य पेश किये जिन्हें जानकर भारत के प्राचीन और ईसापूर्व के इतिहास के बारे में कई रोचक जानकारियां सामने आई हैं ।

1800-2000 ईसा पूर्व का युद्ध रथ

सनौली की खुदाई में सबसे बड़ी खोज के रूप में युद्ध रथ सामने आया है जो लकड़ी से बना था और जिसके पहियों में तांबे का काम भी है । जिस आकार में यह रथ मिला है उससे ये प्रमाणित होता है कि उस जमाने में भी इस तरह की आधुनिक तकनीक मौजूद थी । साथ ही इस तरह के रथ और अन्य उपकरण का जिक्र महाभारत , ऋग्वेद और रामायण में भी किया गया है ।

तांबे से बने हथियार

हथियारों के अवशेष में तांबे के तीर, भाले और कई ऐसे अवशेष मिले हैं जो उस काल की युद्ध विधि के बारे में प्रमाण देते हैं । साथ ही धनुष के आकार के भी अवशेष मिले हैं ।

ईसापूर्व कालीन ताबूत और कंकाल
सनौली की खुदाई में ऐसे तीन ताबूत और कंकाल भी मिले हैं और जिन परिस्थितियों में ये अवशेष मिले हैं उससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि उस काल में योद्धा को उसके हथियार और युद्ध के अन्य उपकरणों के साथ मरणोपरांत दफनाया जाता था ।
युद्ध से संबंधित उपकरणों , रथ और ताबूत के अलावा कई ऐसे बर्तन भी मिले हैं जो ये साबित करते हैं कि प्राचीन काल में भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी ।

क्या है इनका महत्व :
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संयुक्त महानिदेशक डॉ संजय कुमार मंजुल ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि लोगों के ये जरूर जानना चाहिये कि उस समय काल में भी भारत में लोगों की जीवनशैली आधुनिक थी । साथ ही जिस तरह के युद्ध विधि का जिक्र वेद, महाभारत और रामायण में है उनसे ये काफी मेल खाते खाते हैं । इस तरह से ये बेहद रोचक खोज हैं जो सनौली की खुदाई में सामने आए हैं ।
साथ ही ASI के संयुक्त महानिदेशक ने आर्यन के भारत में घुसपैठ की बातों को भी सिरे से नकारते हुए कहा कि ASI के किसी भी सर्वेक्षण में ऐसे कोई भी तथ्य सामने नहीं आये हैं तो इसका कोई सवाल ही नहीं है ।


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