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डोभाल-वांग ली वार्ता के बाद चीन ने फिर अलापा क्षेत्रीय संप्रभुता का राग

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बातचीत काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. दोनों देश सीमा पर पीछे हटने और तनाव कम करने पर सहमत हुए हैं. भारत ने एलएसी का पूरा सम्मान करने की बात कही है. वहीं, इसके उलट चीन ने कहा है कि वह अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करेगा. पढ़ें विशेष रिपोर्ट...

चीन ने फिर अलापा क्षेत्रीय संप्रभुता का राग
चीन ने फिर अलापा क्षेत्रीय संप्रभुता का राग
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Published : Jul 6, 2020, 7:51 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 2:39 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई है. इस दौरान डोभाल ने कहा कि भारत एलएसी का पूरा सम्मान करता है. वहीं, चीन का कहना है कि वह अपनी क्षेत्रीय संप्रुभता की रक्षा करेगा.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते आठ हफ्ते से भारत और चीन के बीच तनाव जारी है. इस दौरान गत 15/16 जून की रात गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने जानकारी साझा नहीं की थी.

गलवान की घटना के हफ्तों बाद दोनों देशों द्वारा एलएसी पर तनाव कम करने की पहल शुरू की गई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है.

सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री व स्टेट काउंसलर वांग यी ने रविवार की रात करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत की. इस दौरान डोभाल और यी ने लद्दाख के पश्चिमी सेक्टर में जारी गतिरोध पर गहराई से चर्चा की.

इससे पहले जून में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गलवान झड़प को लेकर वांग यी के साथ फोन पर बातचीत की थी. बाद में दोनों नेताओं ने कोविड-19 सहयोग पर आरआईसी (रूस-भारत-चीन) ढांचे के तहत अपने रूसी समकक्ष के साथ एक आभासी बैठक में भाग लिया था. हालांकि, सीमा विवाद इस बैठक के एजेंडे का हिस्सा नहीं था.

डोभाल और वांग यी के बीच रविवार को हुई बातचीत काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि ये दोनों ही सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं.

चीन की मौजूदा सरकार के पद अनुसार विदेश मंत्री की तुलना में स्टेट काउंसलर पद बड़ा है. डोभाल 2017 तक यांग जीची के साथ काम कर रहे थे, जो चीनी स्टेट काउंसिलर और विशेष प्रतिनिधि थे. वांग यी तब केवल विदेश मंत्री थे.

भारत ने अब दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता चैनल दोबारा शुरू करके उच्च स्तर पर कूटनीतिक बातचीत का संकेत दिया है.

अधिकारियों के अनुसार, डोभाल और यी इस बात से सहमत थे कि मतभेदों को विवाद बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और दोनों ने भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए शीर्ष राजनीतिक नेताओं के बीच मौजूदा सहमति को रेखांकित किया.

भारत सरकार ने एक बयान में कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधि इस बात से सहमत हुए कि एलएसी पर पूर्ण शांति बहाली के लिए मोर्चे से सैनिकों को वापस बुलाया जाएगा और तनाव कम किया जाएगा. साथ ही दोनों पक्ष सहमत हुए हैं कि एलएसी पर तनाव कम करने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जानी चाहिए.

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों विशेष प्रतिनिधि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से तनाव कम करने के लिए सहमत हुए, जिसे लेकर पहले भी सैन्य वार्ता में सहमति बनी थी.

ये भी पढ़ें- चीनी उत्पादों के इस्तेमाल से पैदा हो सकती हैं कई खतरनाक बीमारियां

अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों ने फिर से अनुमोदन किया है कि दोनों देशों को कड़ाई से वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. साथ ही भविष्य में किसी भी ऐसी घटना से बचना चाहिए, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग कर सकती है.

हालांकि, दोनों देशों द्वारा सीमा पर शांति और बहाली के महत्व को रेखांकित करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने औपचारिक बयान में एलएसी का सम्मान करने का कोई उल्लेख नहीं किया है. चीनी सरकार के बयान के अनुसार, भारतीय सैनिकों द्वारा गलवान घाटी में हिंसा के लिए उकसाया गया था.

चीन द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में जो कुछ हुआ, वह बहुत स्पष्ट है. चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता और सीमा क्षेत्र और शांति का प्रभावी ढंग से बचाव करता रहेगा.

हालांकि, भारत और चीन सीमा विवाद के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर चर्चा जारी रखने के लिए सहमत हुए हैं. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष उपरोक्त परिणामों को हासिल करने के लिए बनी सहमति को समय पर लागू करने के लिए राजी हुए हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह भी सहमति बनी है कि दोनों विशेष प्रतिनिधि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार भारत-चीन सीमा पर शांति की पूर्ण और स्थाई बहाली सुनिश्चित करने के लिए बातचीत जारी रखेंगे.

(स्मिता शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार)

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई है. इस दौरान डोभाल ने कहा कि भारत एलएसी का पूरा सम्मान करता है. वहीं, चीन का कहना है कि वह अपनी क्षेत्रीय संप्रुभता की रक्षा करेगा.

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बीते आठ हफ्ते से भारत और चीन के बीच तनाव जारी है. इस दौरान गत 15/16 जून की रात गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. झड़प में चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे, लेकिन चीन ने जानकारी साझा नहीं की थी.

गलवान की घटना के हफ्तों बाद दोनों देशों द्वारा एलएसी पर तनाव कम करने की पहल शुरू की गई है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है.

सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री व स्टेट काउंसलर वांग यी ने रविवार की रात करीब दो घंटे तक टेलीफोन पर बातचीत की. इस दौरान डोभाल और यी ने लद्दाख के पश्चिमी सेक्टर में जारी गतिरोध पर गहराई से चर्चा की.

इससे पहले जून में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गलवान झड़प को लेकर वांग यी के साथ फोन पर बातचीत की थी. बाद में दोनों नेताओं ने कोविड-19 सहयोग पर आरआईसी (रूस-भारत-चीन) ढांचे के तहत अपने रूसी समकक्ष के साथ एक आभासी बैठक में भाग लिया था. हालांकि, सीमा विवाद इस बैठक के एजेंडे का हिस्सा नहीं था.

डोभाल और वांग यी के बीच रविवार को हुई बातचीत काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि ये दोनों ही सीमा विवाद के समाधान के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं.

चीन की मौजूदा सरकार के पद अनुसार विदेश मंत्री की तुलना में स्टेट काउंसलर पद बड़ा है. डोभाल 2017 तक यांग जीची के साथ काम कर रहे थे, जो चीनी स्टेट काउंसिलर और विशेष प्रतिनिधि थे. वांग यी तब केवल विदेश मंत्री थे.

भारत ने अब दो विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता चैनल दोबारा शुरू करके उच्च स्तर पर कूटनीतिक बातचीत का संकेत दिया है.

अधिकारियों के अनुसार, डोभाल और यी इस बात से सहमत थे कि मतभेदों को विवाद बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और दोनों ने भारत-चीन सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए शीर्ष राजनीतिक नेताओं के बीच मौजूदा सहमति को रेखांकित किया.

भारत सरकार ने एक बयान में कहा कि दोनों देशों के प्रतिनिधि इस बात से सहमत हुए कि एलएसी पर पूर्ण शांति बहाली के लिए मोर्चे से सैनिकों को वापस बुलाया जाएगा और तनाव कम किया जाएगा. साथ ही दोनों पक्ष सहमत हुए हैं कि एलएसी पर तनाव कम करने की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जानी चाहिए.

भारतीय अधिकारियों के अनुसार, दोनों विशेष प्रतिनिधि भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से तनाव कम करने के लिए सहमत हुए, जिसे लेकर पहले भी सैन्य वार्ता में सहमति बनी थी.

ये भी पढ़ें- चीनी उत्पादों के इस्तेमाल से पैदा हो सकती हैं कई खतरनाक बीमारियां

अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्षों ने फिर से अनुमोदन किया है कि दोनों देशों को कड़ाई से वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना चाहिए और यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. साथ ही भविष्य में किसी भी ऐसी घटना से बचना चाहिए, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति भंग कर सकती है.

हालांकि, दोनों देशों द्वारा सीमा पर शांति और बहाली के महत्व को रेखांकित करते हुए चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने औपचारिक बयान में एलएसी का सम्मान करने का कोई उल्लेख नहीं किया है. चीनी सरकार के बयान के अनुसार, भारतीय सैनिकों द्वारा गलवान घाटी में हिंसा के लिए उकसाया गया था.

चीन द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में जो कुछ हुआ, वह बहुत स्पष्ट है. चीन अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता और सीमा क्षेत्र और शांति का प्रभावी ढंग से बचाव करता रहेगा.

हालांकि, भारत और चीन सीमा विवाद के समाधान के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर पर चर्चा जारी रखने के लिए सहमत हुए हैं. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि दोनों पक्ष उपरोक्त परिणामों को हासिल करने के लिए बनी सहमति को समय पर लागू करने के लिए राजी हुए हैं.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह भी सहमति बनी है कि दोनों विशेष प्रतिनिधि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार भारत-चीन सीमा पर शांति की पूर्ण और स्थाई बहाली सुनिश्चित करने के लिए बातचीत जारी रखेंगे.

(स्मिता शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार)

Last Updated : Jul 8, 2020, 2:39 PM IST
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