नई दिल्ली : एक तरफ केंद्र में भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच अगस्त को ऐतिहासिक राम मंदिर का शिलान्यास कर देश में इतिहास रचने की बात कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता लाल कृष्ण आडवाणी और उनके साथ ही वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी को अब तक सरकार ने कोई निमंत्रण नहीं दिया है.
एक तरफ सरकार की ओर से भव्य राम मंदिर बनाने के लिए होने वाले शिलान्यास कार्यक्रम की अयोध्या में भव्य तैयारी की जा रही है वहीं दूसरी तरफ राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता लालकृष्ण आडवाणी को न तो केंद्र सरकार और न ही उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोई निमंत्रण पत्र मिला है. यही नहीं इससे संबंधित निमंत्रण पत्र राम मंदिर आंदोलन के दूसरे प्रमुख नेता मुरली मनोहर जोशी को भी नहीं मिला है.
पूरी जिंदगी राम मंदिर आंदोलन की राजनीति करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता और भाजपा के संस्थापक सदस्यों में एक लालकृष्ण आडवाणी को अब तक भाजपा ने शिलान्यास कार्यक्रम के लिए नहीं पूछा है. आडवाणी के नजदीकी संबंधी और उनके कामकाज की देखभाल करने वाले एक अधिकारी से जब ईटीवी भारत ने सवाल पूछा कि क्या लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम में अयोध्या जाएंगे तो इस पर उनका जवाब था कि कार्यक्रम में जाने की बात तब उठती है, जब कोई निमंत्रण पत्र मिले. सरकार की तरफ से या किसी भी संस्था की तरफ से उन्हें कोई निमंत्रण पत्र अब तक नहीं मिला है और इस बारे में न कोई जानकारी दी गई है.
इसी तरह भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी से जब ईटीवी भारत ने संपर्क किया तो उनके घर से भी यही जवाब मिला कि उन्हें इस संबंध में फिलहाल कोई निमंत्रण पत्र नहीं मिला है, इसलिए इस कार्यक्रम में शरीक होने का सवाल ही नहीं उठता.
इन नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी की नींव डाली थी. राम मंदिर आंदोलन और रथ यात्रा लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती रही है, जिसका परिणाम आज यहां तक देखा जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता प्रशस्त हुआ. भाजपा के वयोवृद्ध नेता आडवाणी ने पूरे देश में राम मंदिर निर्माण को लेकर रथ यात्रा निकाली थी, जिससे सरकार काफी दबाव में भी आ गई थी और उनकी रथ यात्रा पूरी होने से पहले ही सरकार ने उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया था.
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बाबरी मस्जिद विध्वंस में भी इन नेताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई थी, जिसके परिणाम स्वरूप अब तक इन नेताओं के नाम इस मुकदमे में दर्ज हैं और समय-समय पर उनकी पेशी भी होती रही है. हाल ही में आडवाणी और डॉ. जोशी दोनों ने ही अदालत के सामने अपने बयान दर्ज कराए थे.
हालांकि जिस दिन बीजेपी के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी की पेशी थी, उससे एक दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह ने उनसे मुलाकात जरूर की थी, फिलहाल आडवाणी और जोशी दोनों के करीबी लोगों का कहना है कि शिलान्यास कार्यक्रम का फिलहाल उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है. बहरहाल ऐसे में किसी कार्यक्रम में शरीक होना तो दूर जाने की बात सोचना भी अभी फिजूल है.
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राम मंदिर ट्रस्ट की तरफ से आम लोगों के लिए यह अपील की गई है कि रामभक्त अयोध्या में जाकर नहीं बल्कि इसका सीधा प्रसारण, जो दूरदर्शन करेगा, देखकर ही संतुष्टि करें. हालांकि मीडिया का जमावड़ा अभी से वहां पर शुरू होने लगा है और मीडिया के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने कल एक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें मीडिया के राम मंदिर के प्रस्तावित ढांचे से काफी दूर रुकने की व्यवस्था की गई है और इसके प्रसारण की जिम्मेदारी मात्र सरकारी एजेंसियों को ही सौंपी गई है.
यह उम्मीद की जा रही है कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख लोग और प्रमुख मंत्री इस मौके पर जरूर मौजूद रहेंगे.