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अयोध्या मामला : सुनवाई खत्म, फैसले का इंतजार

अयोध्या मामले की सुनवाई बुधवार को खत्म हो गई. अब सबको फैसले का इंतजार है. 17 नवम्बर से पहले फैसला आने की उम्मीद है. मुख्य रूप से इसके तीन पक्षकार हैं. रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड. सुनवाई के 40वें व अंतिम दिन कई नाटकीय क्षण भी देखने को मिले. दोनों ही पक्ष कई बार उग्र भी हो गए थे. आइए जानते हैं, आज की सुनवाई में क्या-क्या हुआ.

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Published : Oct 16, 2019, 10:59 AM IST

Updated : Oct 16, 2019, 9:44 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी कर ली. इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा. सुनवाई के आखिरी दिन कोर्ट में कई नाटकीय प्रकरण भी देखने को मिले. दोनों ही पक्षों की ओर से तीखी नोंकझोंक देखी गई.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितम्बर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिनों तक सुनवाई की. इस दौरान विभन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं.

संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुये संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.

इस मामले में दशहरा अवकाश के बाद 14 अक्टूबर से अंतिम चरण की सुनवाई शुरू हुई. न्यायालय के पहले के कार्यक्रम के तहत यह सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जानी थी. लेकिन 14 अक्टूबर को सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय ने कहा कि यह 17 अक्ट्रबर तक पूरी की जाएगी, लेकिन 15 अक्टूबर को पीठ ने यह समय सीमा घटाकर 16 अक्टूबर कर दी थी.

राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इस मुद्दे पर 17 नवंबर से पहले ही फैसला आने की उम्मीद है, क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई इस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

इस मामले में बुधवार की सुबह सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है. पीठ ने कहा था कि इस मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा.

शीर्ष अदालत ने शुरू में इस विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से सर्वमान्य समाधान निकालने का प्रयास किया था. न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी गठित की थी लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली.

इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सारे प्रकरण पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया.

संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर इस दौरान विस्तार से सुनवाई की.

दिनभर अदालत में कैसे हुई सुनवाई, एक नजर

कोर्ट में हुई सुनवाई की जानकारी वरिष्ठ वकील बरुन सिन्हा ने बाहर आकर दी.

वकील बरुन सिन्हा से हुई बातचीत

हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह ने जब अदालत में एक किताब को रखने की कोशिश की, तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई और कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह इनके सवालों का जवाब नहीं देंगे.

राजीव धवन ने कोर्ट में किताब का नक्शा फाड़ दिया. इस पर CJI ने कड़ी नाराजगी जताई.

अयोध्या जमीन विवाद मामले पर आखिरी दिन की सुनवाई के दिन जमकर ड्रामा हो रहा है. कोर्ट में जजों की बेंच के सामने मुस्लिम पक्ष के वकील ने अयोध्या से संबंधित एक नक्शा फाड़ दिया, इस पर कोर्ट में जमकर ड्रामा हो गया.

मामले के संबंध में किशोर कुणाल से मीडिया से बातचीत की. जिस किताब को फाड़ा गया, उसे कुणाल ने ही लिखी है.

लेखक किशोर कुणाल से हुई बातचीत

सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कोर्ट में किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविजिटेड' (Ayodhya Revisited) का हवाला दिया.

40th-day-of-ayodhya-case-hearing-in-supreme-court etv bharat
जीव धवन ने कोर्ट में ऑक्सफोर्ड किताब का हवाला दिया

वहीं, सी.एस. वैद्यनाथन ने कहा, 'इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विचाराधीन भूमि राज्य (सम्राट बाबर) द्वारा बनाया गया और वक्फ को सौंपा गया हो.'

वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन ने कहा, 'इसका कोई सबूत नहीं है कि यह (विवादित ढाचा) खाली जमीन पर बनाया गया था.'

हिन्दू पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दायर मुकदमे के जवाब में अपना अभ्यावेदन आरंभ किया.

इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने सुनवाई में हस्तक्षेप की एक पक्षकार की याचिका को भी खारिज कर दिया और कहा कि सुनवाई के इस चरण पर अब किसी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी.

उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में प्रतिदिन हो रही सुनवाई को आज शाम को पूरी कर देगा. साथ ही न्यायालय ने कहा, 'अब बहुत हो चुका.'

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा.

गौरतलब है कि न्यायालय ने पहले कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी. अब इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया है. प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल 17 नवम्बर को समाप्त हो रहा है.

आपको बता दें, बीते रोज की सुनवाई में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में हिन्दू पक्ष ने दलील दी थी कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर मुगल शासक बाबर द्वारा की गई 'ऐतिहासिक भूल' को अब सुधारने की आवश्यकता है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने कहा था कि अयोध्या में अनेक मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी कर ली. इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा. सुनवाई के आखिरी दिन कोर्ट में कई नाटकीय प्रकरण भी देखने को मिले. दोनों ही पक्षों की ओर से तीखी नोंकझोंक देखी गई.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितम्बर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना 40 दिनों तक सुनवाई की. इस दौरान विभन्न पक्षों ने अपनी अपनी दलीलें पेश कीं.

संविधान पीठ ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुये संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ (राहत में बदलाव) के मुद्दे पर लिखित दलील दाखिल करने के लिये तीन दिन का समय दिया.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.

इस मामले में दशहरा अवकाश के बाद 14 अक्टूबर से अंतिम चरण की सुनवाई शुरू हुई. न्यायालय के पहले के कार्यक्रम के तहत यह सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जानी थी. लेकिन 14 अक्टूबर को सुनवाई शुरू होने पर न्यायालय ने कहा कि यह 17 अक्ट्रबर तक पूरी की जाएगी, लेकिन 15 अक्टूबर को पीठ ने यह समय सीमा घटाकर 16 अक्टूबर कर दी थी.

राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इस मुद्दे पर 17 नवंबर से पहले ही फैसला आने की उम्मीद है, क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई इस दिन सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

इस मामले में बुधवार की सुबह सुनवाई शुरू होने पर पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है. पीठ ने कहा था कि इस मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा.

शीर्ष अदालत ने शुरू में इस विवाद का मध्यस्थता के माध्यम से सर्वमान्य समाधान निकालने का प्रयास किया था. न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति भी गठित की थी लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली.

इसके बाद, मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने सारे प्रकरण पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई करने का निर्णय किया.

संविधान पीठ ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर इस दौरान विस्तार से सुनवाई की.

दिनभर अदालत में कैसे हुई सुनवाई, एक नजर

कोर्ट में हुई सुनवाई की जानकारी वरिष्ठ वकील बरुन सिन्हा ने बाहर आकर दी.

वकील बरुन सिन्हा से हुई बातचीत

हिन्दू महासभा के वकील विकास सिंह ने जब अदालत में एक किताब को रखने की कोशिश की, तो मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने आपत्ति जताई और कहा कि अगर ऐसा हुआ तो वह इनके सवालों का जवाब नहीं देंगे.

राजीव धवन ने कोर्ट में किताब का नक्शा फाड़ दिया. इस पर CJI ने कड़ी नाराजगी जताई.

अयोध्या जमीन विवाद मामले पर आखिरी दिन की सुनवाई के दिन जमकर ड्रामा हो रहा है. कोर्ट में जजों की बेंच के सामने मुस्लिम पक्ष के वकील ने अयोध्या से संबंधित एक नक्शा फाड़ दिया, इस पर कोर्ट में जमकर ड्रामा हो गया.

मामले के संबंध में किशोर कुणाल से मीडिया से बातचीत की. जिस किताब को फाड़ा गया, उसे कुणाल ने ही लिखी है.

लेखक किशोर कुणाल से हुई बातचीत

सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने कोर्ट में किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविजिटेड' (Ayodhya Revisited) का हवाला दिया.

40th-day-of-ayodhya-case-hearing-in-supreme-court etv bharat
जीव धवन ने कोर्ट में ऑक्सफोर्ड किताब का हवाला दिया

वहीं, सी.एस. वैद्यनाथन ने कहा, 'इस बात का कोई सबूत नहीं है कि विचाराधीन भूमि राज्य (सम्राट बाबर) द्वारा बनाया गया और वक्फ को सौंपा गया हो.'

वरिष्ठ अधिवक्ता सी. एस. वैद्यनाथन ने कहा, 'इसका कोई सबूत नहीं है कि यह (विवादित ढाचा) खाली जमीन पर बनाया गया था.'

हिन्दू पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दायर मुकदमे के जवाब में अपना अभ्यावेदन आरंभ किया.

इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने सुनवाई में हस्तक्षेप की एक पक्षकार की याचिका को भी खारिज कर दिया और कहा कि सुनवाई के इस चरण पर अब किसी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी.

उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में प्रतिदिन हो रही सुनवाई को आज शाम को पूरी कर देगा. साथ ही न्यायालय ने कहा, 'अब बहुत हो चुका.'

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा.

गौरतलब है कि न्यायालय ने पहले कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी. अब इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया है. प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल 17 नवम्बर को समाप्त हो रहा है.

आपको बता दें, बीते रोज की सुनवाई में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय में हिन्दू पक्ष ने दलील दी थी कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थान पर मस्जिद का निर्माण कर मुगल शासक बाबर द्वारा की गई 'ऐतिहासिक भूल' को अब सुधारने की आवश्यकता है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष एक हिन्दू पक्षकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल एवं वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन ने कहा था कि अयोध्या में अनेक मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम इबादत कर सकते हैं लेकिन हिन्दू भगवान राम का जन्म स्थान नहीं बदल सकते.

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Last Updated : Oct 16, 2019, 9:44 PM IST

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