अमरावती : पुलिस ने स्टायरिन गैस रिसाव की घटना के मामले में मंगलवार रात एलजी पॉलीमर के सीईओ और दो निदेशकों के अलावा नौ अन्य अधिकारियों को गिरफ्तार किया हैं. एलजी पॉलीमर के संयंत्र में सात मई को गैस रिसाव की घटना में 12 लोगों की मौत हो गई थी और 585 लोग बीमार हो गए थे.
विशाखापत्तनम के पुलिस आयुक्त आर के मीणा ने इस बारे में सूचना दी थी.
एक दिन पहले ही गैस रिसाव की घटना की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा नियुक्त उच्चाधिकार कमेटी ने मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इस रिपोर्ट में संयंत्र में हादसे के लिए एलजी पॉलीमर की तरफ से कई लापरवाही और सुरक्षा के मानकों की अनदेखी को लेकर दोष मढ़ा गया.
गोपालपत्तनम पुलिस ने सात मई को एलजी पॉलीमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 278 (स्वास्थ्य को नुकसान पुहंचाने वाला माहौल बनाना) सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था .ठीक दो महीने बाद मामले में गिरफ्तारी हुई है.
बहरहाल, उच्चाधिकार प्राप्त जांच कमेटी ने कहा है कि विभिन्न सरकारी विभागों खासकर फैक्टरी निदेशालय की तरफ से भी चूक हुई. कमेटी ने कमजोर सुरक्षा मानकों और आपात प्रक्रिया के काम नहीं करने को भी हादसे का कारण माना है.
कमेटी ने कहा ‘निश्चित तौर पर फैक्टरी निदेशालय ने फैक्टरी कानून और अन्य कानून के प्रावधानों का प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं करवाया ’ कमेटी ने 319 पन्ने की मुख्य रिपोर्ट में कहा है कि फैक्टरी निदेशालय यह सुनिश्चित करने में नाकाम रहा कि एलजी पॉलीमर सभी मानकों और फैक्टरी कानून तथा अन्य कानून के प्रावधानों का पालन करे.
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विशेष मुख्य सचिव (पर्यावरण और वन) नीरभ कुमार प्रसाद के नेतृत्व में जांच कमेटी ने गंभीर चूक को लेकर फैक्टरी निदेशालय के अधिकारियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की सिफारिश की है.
जांच कमेटी ने पाया है कि स्टायरिन गैस संबंधी मानकों का पालन नहीं करवाने के लिए आंध्रप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी गलती हुई. कमेटी ने कहा आंध्रप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरह से गंभीर चूक हुई.