नई दिल्ली: भारत के टी-20 विश्व कप से बाहर होने के बाद कोहली से रोहित को जाती टीम इंडिया की बागडोर पूरे देश को दिखाई पड़ रही थी लेकिन इंतजार था तो बस बीसीसीआई के एलान का. बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के लिए टीम का एलान करने के साथ बीसीसीआई ने विराट कोहली से भारत के लिमिटेड फॉर्मेट की कप्तानी की जिम्मेदारी भी ले ली और रोहित शर्मा को यहां से टीम के साथ एक नेता के तौर पर "आगे बढ़ने" की जिम्मेदारी सौंप दी.
हालांकि इस प्रकारण को लेकर मीडिया में कुछ रिपोर्ट्स हैं इसके मुताबिक बीसीसीआई ने पिछले 48 घंटों तक कोहली का वनडे कप्तानी से नाम वापस लेने का इंतजार किया था. उनसे टी-20 की कप्तानी की तरह स्वेच्छा से एकदिवसीय टीम की कप्तानी से भी हटने के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और 49वें घंटे पर बीसीसीआई ने रोहित शर्मा को लिमिटेड ओवर के कप्तान पद से नवाजा.
यहां तक की कोहली की बर्खास्तगी को बीसीसीआई के द्वारा बयान से भी संबोधित नहीं किया गया. बीसीसीआई द्वारा किए गए एलान में सिर्फ ये कहा गया था कि चयन समिति ने रोहित को एकदिवसीय और टी-20 आई टीमों का कप्तान बनाया है.
बीसीसीआई की इस घोषणा के साथ ही कोहली ने अपनी कप्तानी को खो दिया.
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बीसीसीआई और उसकी राष्ट्रीय चयन समिति ने आखिर विराट कोहली को बर्खास्त कर दिया, जो 2023 में एकदिवसीय विश्व कप में भारत का नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा रख रहे थे.
अंत में कोहली ने बीसीसीआई को उन्हें बर्खास्त करने की हिम्माकत करने का मौका दिया और BCCI ने सर्वशक्तिमान कप्तान को इस फैसले को मंजूर करने पर मजबूर किया.
कोहली के नेतृत्व का चक्र अपने आप में एक आकर्षक कहानी रहा है.
उन्होंने हमेशा शांत रहने वाले महेंद्र सिंह धोनी की प्रतीक्षा में एक तेजतर्रार कप्तान के रूप में शुरुआत की, जिन्होंने दो साल का समय लेकर विश्व कप के लिए कप्तान कोहली को तैयारी किया.
उस वक्त तक कोहली एकेले टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर तीनों फॉर्मेंटों के 'राजा' थे.
लेकिन कुछ ही दिनों में बीसीसीआई की सत्ता बदली और एक ऐसे लीडर के हाथ में आई जिसे खुद एक सफल लीडर होने का अच्छा खासा अनुभव था.
भारतीय ड्रेसिंग रूम में सबसे अगल बात ये है कि उनका कप्तान टीम में एकलौता सबसे लोकप्रिय व्यक्ति नहीं होता है.
पीटीआई भाषा ने 16 सितंबर को अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय ड्रेसिंग रूम कोहली के हाथों से छिनता जा रहा है. इससे ये साबित होता है कि कप्तान कोहली का अंत एक दिन में नहीं हुआ है.
एक पूर्व खिलाड़ी ने कोहली को लेकर कहा, "विराट की सबसे बड़ी समस्या ये है कि उनको किसी पर भरोसा नहीं होता है. वो साफ-साफ बात करने को लेकर कहते तो हैं लेकिन वो खुद ऐसा नहीं कर पाते. कोहली ने एक लीडर को तौर पर अपना सम्मान खोया है."
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इसके पहले पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने भी कोहली को अपने बल्लेबाजी पर ध्याने देने की नसीहत दी थी लेकिन क्या उन्होंने विराट के साथ काम करते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाई और कोहली को समय रहते रोका? शायद नहीं, ये कोशिश अनिल कुंबले ने की थी और वो बुरी तरह से अपना पद हार गए.
कोहली के काल में कई खिलाड़ियों को कुछ खराब प्रदर्शन करने के बाद अपनी जगह को लेकर असुरक्षित देखा गया.
उनके कार्यकाल में कई खिलाड़ियों ने जब खराब प्रदर्शन किया तब एक लीडर होने के नाते उन्होंने कभी इस घाव को भरने की कोशिश नहीं की.
कुलदीप यादव इस का सबसे बड़ा उदाहरण हैं जिनको ठीक से हैंडल ही नहीं किया गया.
उनकी जगह धोनी एक ऐसे लीडर थे जिनका होटल का कमरा सभी के लिए हर वक्त खुला रहता था, खिलाड़ी जब चाहे तब कमरे में आए, खाना ऑर्डर करें, PS4 (वीडियो गेम) खेलें और मजे करे या अपनी टेक्नीक पर बातचीत करे.
इसके उलट कोहली एक अलग-थलग रहने वाले कप्तान थे. जबतक वो कप्तान रहे तब तक जुनियर खिलाड़ी 'बड़े भाई' के तौर पर रोहित शर्मा को देखने लगे.
रोहित एक ऐसे इंसान बने जो उन्हें खाने पर बाहर ले जाते थे, जब वो कम रन बनाते थे तो उनको मानसिक तौर पर मदद पहुंचाते थे.
इसके अलावा आईपीएल में रोहित की सूझबूझ भरी कप्तानी सभी को दिखाई पड़ रही थी और एक सफल लीडर के तौर पर सबके सामने थे. तो बीसीसीआई को इस फैसले को लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.
ऐसे ही कई छोटे मोटे कारणों से कोहली के स्थान पर अब रोहित खड़े हैं.
रोहित से कोहली को जाती ये जिम्मेदारी आज का सच बन चुकी है ऐसे में कोहली को उनके लिमिटेड ओवर में सिर्फ एक बल्लेबाज के तौर पर देखना फैंस के लिए काफी अलग अनुभव होगा.
वो टेस्ट के कप्तान बने रहेंगे और उनकी बल्लेबाजी के तौर पर बनी विरासत आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है और आगे बी रहेगी.
अब देखना ये है कि कोहली के बाद कप्तान रोहित की ताजपोशी और राजकाल कौन से नए मोड़ से गुजारता है.