वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की कार्रवाई लगातार जारी है और आज सर्वे के कार्रवाई का दसवां दिन है. 24 जुलाई को पहले दिन 4 घंटे की कार्रवाई के बाद 4 अगस्त से यह कार्रवाई शुरू हुई है, जो लगातार जारी है फिलहाल सर्वे की कार्रवाई पूरे परिसर के कोने-कोने में अंजाम की जा रही है. सर्वे में जीपीआर का प्रयोग भी शुरू हो चुका है. एएसआई ने शनिवार को ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की कार्रवाई सुबह आठ बजे से शुरू कर दी.
कल सर्वे की कार्रवाई दोपहर में जुम्मा की नमाज के लिए रोकी गई थी. ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की वादी राखी सिंह की ओर से कल जिला जज अदालत में शुक्रवार को प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए मिले साक्ष्य को सुरक्षित करने की मांग की गई है. इस पर 17 अगस्त को सुनवाई होगी. वहीं, ज्ञानवापी को लेकर संजय कुमार द्वारा दाखिल प्रतिनिधि वाद की सुनवाई शुक्रवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन शिखा यादव की अदालत में हुई जिसमें अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी ने आपत्ति दाखिल करने के लिए वाद की प्रति की मांग की. इसके साथ ही से काशी विश्वनाथ नेमी भक्त मंडल ने पक्षकार बनने का प्रार्थना पत्र भी दिया है. इसमें अंजुमन कमेटी और विश्वनाथ ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है. वाद में मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिषद जो लोहे की बैरिकेडिंग से गिरा हुआ है उसमें मां श्रृंगार गौरी के साथ ही अन्य प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष देवी देवताओं का दर्शन पूजन आदि में किसी तरह का में किसी तरह का अवरोध उत्पन्न ना किया जाए.
फिलहाल ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई आज भी सुबह 8:00 बजे से शुरू हो गई. कानपुर आईआईटी के एक्सपर्ट टीम जीपीआर तकनीक का प्रयोग करते हुए यहां दीवार और जमीन के अंदर की जांच करने के लिए पहुंच चुके हैं. माना जा रहा है आज से कार्रवाई शुरू होगी. वही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के बीच 2 साल पहले हुई जमीन की अदला-बदली की कार्रवाई को विधि विरुद्ध बताते हुए स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान आदि विशेश्वर पक्ष के वाद मित्र और पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने प्रधानमंत्री को एक बार फिर पत्र लिखा है. इसमें जिला हुआ मंदिर प्रशासन की रिपोर्ट निरस्त करते हुए आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई है.
पत्र गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, आयुक्त और जिलाधिकारी वाराणसी को भी भेजा गया है. विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि 19 जुलाई 2021 को प्रधानमंत्री को उन्होंने एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने बताया था कि काशी विश्वनाथ धाम के लिए मंदिर न्यास प्रशासन और अंजुमन के बीच जमीन की अदला बदली कार्रवाई विधि विरुद्ध है. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से मिले अधिकार के आधार पर अंजुमन ने एक्सचेंज डिड के माध्यम से जमीन की अदला बदली की है. वास्तव में यह एक्सचेंज डिड बफर एक्ट 1995 के क्षेत्र 104 ए के तहत शून्य है उनका कहना है. किसी काशी विश्वनाथ धाम को भगत प्रदान करने के लिए सुन्नी सेंट्रल बक्सों बोर्ड ने 1000 फीट की जमीन दी थी. इसके बदले मंदिर प्रशासन ने भी बांसफाटक क्षेत्र में 1000 वर्ग स्वीट की जमीन एंड ह्यूमन को सौंपी है, जो विधि सम्मत कार्रवाई के तहत नहीं दी गई है इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए जिला वह मंदिर प्रशासन की रिपोर्ट को गलत बताया है और जमीन की अदला-बदली को निरस्त करने की मांग की है.
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