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Nuh Violence पर बोले अरशद मदनी, एकतरफा कार्रवाई क्यों हो रही, हिंसा की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए

नूंह हिंसा (Nuh Violence) को लेकर अरशद मदनी ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने क्या कुछ कहा है चलिए जानते हैं.

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Published : Aug 4, 2023, 5:46 PM IST

सहारनपुर: हरियाणा के नूंह मेवात में हुई साम्प्रदायिक हिंसा और मुंबई-जयपुर एक्सप्रेस ट्रेन में RPF जवान द्वारा ASI समेत तीन निर्दोष मुस्लिम यात्रियों की निर्मम हत्या पर जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अफ़सोस जताया है. इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि बीते नौ सालों से सांप्रदायिक ताकत देश में नफरत की फसल उगा रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि एकतरफा कार्रवाई क्यों हो रही है. इस दंगे की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और जो भी दोषी हों उनके खिलाफ बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई की जानी चाहिए.

मौलाना मदनी ने नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा को शासन प्रशासन की बड़ी साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि वहां के प्रशासन को नासिर और जुनैद की हत्या के फरार मुख्य आरोपी की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी. नूंह में निकलने वाली धार्मिक यात्रा के संबंध में न सिर्फ भड़काऊ वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों से इस यात्रा में शामिल होने की अपील की गई. इसके बावजूद पुलिस ने सावधानी नहीं बरती. यह पता लगाने का कोशिश की कि मनु मानेसर किस जगह से वीडियो शेयर कर रहा है.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह यात्रा पिछले तीन साल से निकलनी शुरू हुई है. शासन प्रशासन को इस बात की पूरी जानकरी थी कि नूंह और इसके आस-पास के इलाकों में मुस्लिम समाज अधिक संख्या में हैं. बावजूद इसके प्रशासन ने यात्रा से पहले किसी तरह की सावधानी नहीं बरती. प्रशासन को चाहिए था कि यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को चेतावनी दी जाती कि वह भड़काऊ नारे न लगाएं लेकिन पुलिस और प्रशासन ने ऐसा कोई काम नहीं किया. इसके चलते वही सब हुआ जिस बात का डर था.

नूंह के गांव नलहड़ के मंदिर से शुरू हुई यात्रा जैसे ही मुस्लिम बाहुल्य इलाके में पहुंची तो यात्रा में बैठे कुछ धर्मं के ठेकेदारों ने न सिर्फ भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया बल्कि हथियारों का प्रदर्शन भी शुरू कर दिया. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही से नूंह और आसपास का पूरा इलाका स्थायी रूप से संवेदनशील बना हुआ है. अगर इसके बाद भी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर लापरवाही दिखाई तो क्या इसके उत्तरदायी पुलिस और प्रशासन के अधिकारी नहीं होने चाहिए.



प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिंसा के बाद अब जगह-जगह मुसलमानों की एकतरफा गिरफ्तारियां की जा रही हैं जबकि यात्रा में शामिल होने आए लोग जब नूंह से निकले तो उन्होंने सोहना और इसके आसपास के इलाकों के साथ गुरुग्राम के बादशाहपुर में चुन-चुन कर एक समुदाय विशेष की दुकानों को आग के हवाले कर दिया. यहां तक कि दंगाइयों ने गुरुग्राम की एक मस्जिद में घुस कर सहायक इमाम की पीट-पीट कर हत्या कर दी और मस्जिद में आग लगा दी.

मौलाना अरशद मदनी ने सवाल किया कि क्या यह जुर्म नहीं है? अगर यह जुर्म है तो फिर वहां अंधाधुंध एकतरफा कार्रवाई क्यों की जा रही है. नूंह में जो कुछ भी हो रहा है वह राजनीति से प्रेरित है. नफरत फैलाकर धार्मिक हिंसा को हवा दी जा रही है. इसके सहारे 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना चाहते हैं.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुंबई-जयपुर एक्सप्रेस ट्रेन में हुई घटना और नूंह में हुए दंगे की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ बिना भेदभाव के सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. कानून का मापदण्ड सबके लिए एक जैसा होना चाहिए और धार्मिक रूप से किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि इसकी अनुमति न तो देश का संविधान देता है और न कानून. उन्होंने कहा कि हमारा हज़ारों बार का अनुभव है कि दंगा होता नहीं है बल्कि कराया जाता है. अगर प्रशासन न चाहे तो भारत में कहीं भी दंगा नहीं हो सकता, इसलिए ज़िला प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाना जरूरी है.

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मौलाना मदनी ने नूंह में हुई सांप्रदायिक हिंसा को शासन प्रशासन की बड़ी साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि वहां के प्रशासन को नासिर और जुनैद की हत्या के फरार मुख्य आरोपी की गतिविधियों की पूरी जानकारी थी. नूंह में निकलने वाली धार्मिक यात्रा के संबंध में न सिर्फ भड़काऊ वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों से इस यात्रा में शामिल होने की अपील की गई. इसके बावजूद पुलिस ने सावधानी नहीं बरती. यह पता लगाने का कोशिश की कि मनु मानेसर किस जगह से वीडियो शेयर कर रहा है.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह यात्रा पिछले तीन साल से निकलनी शुरू हुई है. शासन प्रशासन को इस बात की पूरी जानकरी थी कि नूंह और इसके आस-पास के इलाकों में मुस्लिम समाज अधिक संख्या में हैं. बावजूद इसके प्रशासन ने यात्रा से पहले किसी तरह की सावधानी नहीं बरती. प्रशासन को चाहिए था कि यात्रा में शामिल होने वाले लोगों को चेतावनी दी जाती कि वह भड़काऊ नारे न लगाएं लेकिन पुलिस और प्रशासन ने ऐसा कोई काम नहीं किया. इसके चलते वही सब हुआ जिस बात का डर था.

नूंह के गांव नलहड़ के मंदिर से शुरू हुई यात्रा जैसे ही मुस्लिम बाहुल्य इलाके में पहुंची तो यात्रा में बैठे कुछ धर्मं के ठेकेदारों ने न सिर्फ भड़काऊ भाषण देना शुरू कर दिया बल्कि हथियारों का प्रदर्शन भी शुरू कर दिया. मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही से नूंह और आसपास का पूरा इलाका स्थायी रूप से संवेदनशील बना हुआ है. अगर इसके बाद भी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर लापरवाही दिखाई तो क्या इसके उत्तरदायी पुलिस और प्रशासन के अधिकारी नहीं होने चाहिए.



प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि हिंसा के बाद अब जगह-जगह मुसलमानों की एकतरफा गिरफ्तारियां की जा रही हैं जबकि यात्रा में शामिल होने आए लोग जब नूंह से निकले तो उन्होंने सोहना और इसके आसपास के इलाकों के साथ गुरुग्राम के बादशाहपुर में चुन-चुन कर एक समुदाय विशेष की दुकानों को आग के हवाले कर दिया. यहां तक कि दंगाइयों ने गुरुग्राम की एक मस्जिद में घुस कर सहायक इमाम की पीट-पीट कर हत्या कर दी और मस्जिद में आग लगा दी.

मौलाना अरशद मदनी ने सवाल किया कि क्या यह जुर्म नहीं है? अगर यह जुर्म है तो फिर वहां अंधाधुंध एकतरफा कार्रवाई क्यों की जा रही है. नूंह में जो कुछ भी हो रहा है वह राजनीति से प्रेरित है. नफरत फैलाकर धार्मिक हिंसा को हवा दी जा रही है. इसके सहारे 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना चाहते हैं.

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मुंबई-जयपुर एक्सप्रेस ट्रेन में हुई घटना और नूंह में हुए दंगे की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ बिना भेदभाव के सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. कानून का मापदण्ड सबके लिए एक जैसा होना चाहिए और धार्मिक रूप से किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि इसकी अनुमति न तो देश का संविधान देता है और न कानून. उन्होंने कहा कि हमारा हज़ारों बार का अनुभव है कि दंगा होता नहीं है बल्कि कराया जाता है. अगर प्रशासन न चाहे तो भारत में कहीं भी दंगा नहीं हो सकता, इसलिए ज़िला प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाना जरूरी है.

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