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सोनिया गांधी के कड़े तेवर के बाद बिखरने लगा गहलोत कैंप!

राजस्थान कांग्रेस में संकट (Rajasthan Political Crisis) को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कड़े तेवर के बाद गहलोत का कैंप बिखरने लगा है. कई विधायक अब पार्टी आलाकमान का आदेश मानने की बात कह रहे हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता अमित अग्निहोत्री की रिपोर्ट.

After Sonias tough stand Gehlot camp cracking up
सोनिया के कड़े तेवर
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Published : Sep 27, 2022, 3:15 PM IST

Updated : Sep 27, 2022, 4:08 PM IST

नई दिल्ली : राजस्थान मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress chief Sonia Gandhi) के कड़े रुख के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैंप धीरे-धीरे बिखरने लगा है. उनके समर्थकों ने पार्टी लाइन पर चलने का आश्वासन दिया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'कांग्रेस अध्यक्ष के कड़े रुख के बाद स्थितियां बदलने लगीं हैं. विद्रोही रवैया अपनाने वाले विधायकों ने पार्टी लाइन फॉलो करने की बात कही है. आखिरकार वे पार्टी के विधायक हैं.'

सोनिया गांधी के प्लान बी पर काम करने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के भीतर किस तरह से स्थितियां बदलीं हैं, इसका उदाहरण देखना हो, तो शांति धारीवाल के बयान को देख लीजिए, आखिर किस तरह से पिछले 24 घंटों में उन्होंने पलटी मारी है. धारीवाल, जिन्होंने खुलेआम कहा था कि वह गहलोत की जगह एआईसीसी द्वारा थोपे गए किसी भी नेता का विरोध करेंगे, अब यह कह रहे हैं कि जो सोनिया गांधी कहेंगी, वही अंतिम निर्णय होगा.

सीडब्ल्यूसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'अगर विद्रोही नेता इस तरह से अपनी स्थिति बदल रहे हैं, तो जाहिर है, दूसरे नेता भी उनका ही अनुपालन करेंगे. आखिरकार वे पार्टी नेता हैं. वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं. उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि सोनिया गांधी ने ही गहलोत को सीएम बनाया था, जबकि उस समय सारे नेता सचिन पायलट को सीएम बनाना चाहते थे.'

पार्टी के अंदरूनी जानकार बताते हैं कि धारीवाल का स्टैंड बदलना, गहलोत खेमे के लिए किसी सेटबैक से कम नहीं है. वह सालों से गहलोत के साथ काम करते आ रहे हैं. रविवार को ही धारीवाल ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से मिलने से इनकार कर दिया था. इन दोनों नेताओं को पार्टी ने बतौर पर्यवेक्षक राजस्थान में भेजा था. तब धारीवाल ने समानान्तर बैठक बुलाकर यह कहा था कि पार्टी नेता के चयन को लेकर सोनिया गांधी को अधिकृत करना, गहलोत को कमजोर करने की साजिश है.

उन्होंने यहां तक कहा कि एक बार जब पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हो जाए, तब इस तरह का कोई भी संकल्प पारित होना चाहिए. पार्टी अध्यक्ष के चुनाव का परिणाम 19 अक्टूबर को आना है. धारीवाल ने यह भी कहा था कि अगर हाई कमान को गहलोत की जगह कोई और नेता चुनना है, तो उन्हें 102 विधायकों के बीच नेता का चयन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2020 में सचिन पायलट ने विद्रोह कर दिया था, तब उनके पास मात्र 20 विधायक ही थे.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुल मिलाकर बात इतनी है कि विद्रोही नेता सचिन पायलट का विरोध कर रहे हैं. लेकिन जिस तरीके से उन्होंने अपनी बात रखी, वह सोनिया के लिए किसी सदमे से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि अब जबकि गहलोत ने खुद ही पूरे प्रकरण पर खेद व्यक्त किया है, इसके बावजूद सोनिया गांधी गहलोत को लेकर अपनी राय बदलेंगी, कहना मुश्किल है.

अब मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे, खड़गे, दिग्विजय सिंह और कुछ अन्य नामों पर विचार चल रहा है. इसी बीच पायलट ने भी पार्टी नेताओं को अपनी राय से अवगत करा दिया है. उनका कहना है कि अगर पार्टी उन्हें राज्य का नेतृत्व सौंपती है, तो विधायकों को किस तरह से खुश रखना है, किस तरह से मिलना है, वह जानते हैं. अजय माकन सोनिया गांधी को पूरी रिपोर्ट सौंपने वाले हैं. इसके बाद कुछ कड़े फैसले लिए जाने की संभावना है.

पढ़ें- राजस्थान की बगावत से सोनिया परेशान, गड़बड़ी करने वाले नेताओं पर जल्द होगी कार्रवाई

पढ़ें- राजस्थान के विधायकों की बैठक पर बोले अजय माकन, गहलोत के स्टैंड पर भी उठाए सवाल

पढ़ें- सोशल मीडिया पर छाई राजस्थान कांग्रेस की जंग, गहलोत-पायलट को लेकर Twitter पर मीम्स की बाढ़

पढ़ें- Rajasthan Political Crisis: 76 विधायकों ने दिए इस्तीफे, इन विधायकों पर हो सकती है कार्रवाई

नई दिल्ली : राजस्थान मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress chief Sonia Gandhi) के कड़े रुख के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैंप धीरे-धीरे बिखरने लगा है. उनके समर्थकों ने पार्टी लाइन पर चलने का आश्वासन दिया है. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, 'कांग्रेस अध्यक्ष के कड़े रुख के बाद स्थितियां बदलने लगीं हैं. विद्रोही रवैया अपनाने वाले विधायकों ने पार्टी लाइन फॉलो करने की बात कही है. आखिरकार वे पार्टी के विधायक हैं.'

सोनिया गांधी के प्लान बी पर काम करने वाले एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी के भीतर किस तरह से स्थितियां बदलीं हैं, इसका उदाहरण देखना हो, तो शांति धारीवाल के बयान को देख लीजिए, आखिर किस तरह से पिछले 24 घंटों में उन्होंने पलटी मारी है. धारीवाल, जिन्होंने खुलेआम कहा था कि वह गहलोत की जगह एआईसीसी द्वारा थोपे गए किसी भी नेता का विरोध करेंगे, अब यह कह रहे हैं कि जो सोनिया गांधी कहेंगी, वही अंतिम निर्णय होगा.

सीडब्ल्यूसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'अगर विद्रोही नेता इस तरह से अपनी स्थिति बदल रहे हैं, तो जाहिर है, दूसरे नेता भी उनका ही अनुपालन करेंगे. आखिरकार वे पार्टी नेता हैं. वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर आए हैं. उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि सोनिया गांधी ने ही गहलोत को सीएम बनाया था, जबकि उस समय सारे नेता सचिन पायलट को सीएम बनाना चाहते थे.'

पार्टी के अंदरूनी जानकार बताते हैं कि धारीवाल का स्टैंड बदलना, गहलोत खेमे के लिए किसी सेटबैक से कम नहीं है. वह सालों से गहलोत के साथ काम करते आ रहे हैं. रविवार को ही धारीवाल ने मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से मिलने से इनकार कर दिया था. इन दोनों नेताओं को पार्टी ने बतौर पर्यवेक्षक राजस्थान में भेजा था. तब धारीवाल ने समानान्तर बैठक बुलाकर यह कहा था कि पार्टी नेता के चयन को लेकर सोनिया गांधी को अधिकृत करना, गहलोत को कमजोर करने की साजिश है.

उन्होंने यहां तक कहा कि एक बार जब पार्टी अध्यक्ष का चुनाव हो जाए, तब इस तरह का कोई भी संकल्प पारित होना चाहिए. पार्टी अध्यक्ष के चुनाव का परिणाम 19 अक्टूबर को आना है. धारीवाल ने यह भी कहा था कि अगर हाई कमान को गहलोत की जगह कोई और नेता चुनना है, तो उन्हें 102 विधायकों के बीच नेता का चयन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि 2020 में सचिन पायलट ने विद्रोह कर दिया था, तब उनके पास मात्र 20 विधायक ही थे.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुल मिलाकर बात इतनी है कि विद्रोही नेता सचिन पायलट का विरोध कर रहे हैं. लेकिन जिस तरीके से उन्होंने अपनी बात रखी, वह सोनिया के लिए किसी सदमे से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि अब जबकि गहलोत ने खुद ही पूरे प्रकरण पर खेद व्यक्त किया है, इसके बावजूद सोनिया गांधी गहलोत को लेकर अपनी राय बदलेंगी, कहना मुश्किल है.

अब मुकुल वासनिक, सुशील कुमार शिंदे, खड़गे, दिग्विजय सिंह और कुछ अन्य नामों पर विचार चल रहा है. इसी बीच पायलट ने भी पार्टी नेताओं को अपनी राय से अवगत करा दिया है. उनका कहना है कि अगर पार्टी उन्हें राज्य का नेतृत्व सौंपती है, तो विधायकों को किस तरह से खुश रखना है, किस तरह से मिलना है, वह जानते हैं. अजय माकन सोनिया गांधी को पूरी रिपोर्ट सौंपने वाले हैं. इसके बाद कुछ कड़े फैसले लिए जाने की संभावना है.

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Last Updated : Sep 27, 2022, 4:08 PM IST
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