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84 की उम्र में BHU से डी.लिट की उपाधि हासिल कर तोड़ा रिकॉर्ड, जानिए कौन हैं अमलधारी सिंह? - Amaldhari Singh got Dlitt degree

वाराणसी के रहने वाले 84 वर्षीय अमलधारी सिंह को काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने डी.लिट (Doctor of Literature ) की उपाधि प्रदान की है. आइए जानते हैं कि इस उम्र में उन्होंने कैसे यह उपलब्धि हासिल की.

Doctor of Literature
अमलधारी सिंह
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Published : Jun 27, 2022, 4:52 PM IST

Updated : Jun 27, 2022, 8:07 PM IST

वाराणसीः कहते हैं लिखने-पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है. इस उदाहरण को चरितार्थ किया है बनारस के रहने वाले 84 वर्षीय अमलधारी सिंह ने. उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा कार्य कर दिखाया जिसे हर कोई हैरान है. पढ़ने की प्रबल इच्छा के कारण सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अमलधारी सिंह ने डी.लिट (D.Litt) (Doctor of Literature) की उपाधि प्राप्त कर रिकॉर्ड तोड़ा है. अमलधारी सिंह अब तक डी.लिट उपाधि प्राप्त करने वाले सबसे अधिक उम्र के छात्र हैं. इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिविर्सिटी ने 82 वर्षीय वेल्लायणी अर्जुनन को डी.लिट उपाधि प्रदान की थी. अर्जुनन को यह उपाधि 2015 में मिली थी. अमलधारी सिंह ने डी.लिट की उपाधि 'ऋग्वेद की उपलब्ध विभिन्न शास्त्रीय संहिताओं का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन' पर प्राप्त किया है.

अमलधारी सिंह का जन्म जौनपुर जिले में 22 जुलाई 1938 को हुआ था. बचपन से ही पढ़ने लिखने में होशियार थे. उन्होंने 1966 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की. इसके साथ बीएचयू में एनसीसी के वारंट ऑफिसर के पद पर 4 साल तक अपनी सेवाएं दीं. अमलधारी सिंह को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने 1963 में बेस्ट चैनल अवार्ड में चैंपियन ट्रॉफी भी दिया था. अमलधारी ने पढ़ाई क्रम को जारी रखते हुए 1967 में जोधपुर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हुए और 11 साल तक सेवाएं दी. इसके बाद रायबरेली के पीजी कॉलेज में 1999 तक अध्यापन किया. रिटायरमेंट के बाद बीएचयू के वैदिक दर्शन विभाग में काम किया और अनवरत अपने पढ़ाई को जारी रखा. अमलधारी सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वर्ष 2021 में D.Litt की उपाधि के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. अब 23 जून 2022 को अमलधारी सिंह को डिलीट की उपाधि दी गई.

जानकारी देते डॉ. अमलधारी सिंह.

इसे भी पढ़ें-काशी के विद्वान तैयार करेंगे पुरोहित बोर्ड की नियमावली, सीएम योगी ने दी जिम्मेदारी


अमलधारी सिंह ने बताया कि 'वह बिल्कुल स्वस्थ हैं और सामान्य विद्यार्थी की तरह हैं. पढ़ने से थकावट नहीं होता है और काम करना भी अच्छा लगता है. मेरा विषय वेद था जो पूरे विश्व में सबसे प्राचीन है. ऋषि द्वारा प्रत्यक्ष बताया गया है सब कुछ प्रायोगिक है. प्रयोग किया हुआ विज्ञान है उसका उपयोग जीवन में करना चाहिए.' अमलधारी ने बताया कि 'गुरुजन बहुत अच्छे थे, उनके द्वारा प्राप्त की गई शिक्षा कभी नहीं लौटा सकते. लेकिन हमारा उद्देश्य है इसको अन्य लोगों तक पहुंचाया जाए. इसीलिए मैं इस कार्य को निरंतर जारी रखता हूं. इसीलिए परिश्रम करता रहता हूं और आने वाले छात्रों को बताता भी रहता हूं.'

अमलधारी सिंह के बेटे विक्रम प्रताप सिंह ने बताया कि उनके पिता का वेद और सनातन धर्म के प्रति शुरू से झुकाव रहा है. उन्होंने जोधपुर में कार्य किया. रिटायरमेंट के बाद वेद सनातन धर्म के प्रति झुकाव जारी रहा. पिता से हम लोगों को प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है. हम लोग भी इस ज्ञान की परंपरा को बढ़ाएंगे.'

Doctor of Literature
किताबों के साथ अमलधारी सिंह.

वाराणसीः कहते हैं लिखने-पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है. इस उदाहरण को चरितार्थ किया है बनारस के रहने वाले 84 वर्षीय अमलधारी सिंह ने. उम्र के इस पड़ाव पर ऐसा कार्य कर दिखाया जिसे हर कोई हैरान है. पढ़ने की प्रबल इच्छा के कारण सर्व विद्या की राजधानी कहे जाने वाले काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अमलधारी सिंह ने डी.लिट (D.Litt) (Doctor of Literature) की उपाधि प्राप्त कर रिकॉर्ड तोड़ा है. अमलधारी सिंह अब तक डी.लिट उपाधि प्राप्त करने वाले सबसे अधिक उम्र के छात्र हैं. इससे पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिविर्सिटी ने 82 वर्षीय वेल्लायणी अर्जुनन को डी.लिट उपाधि प्रदान की थी. अर्जुनन को यह उपाधि 2015 में मिली थी. अमलधारी सिंह ने डी.लिट की उपाधि 'ऋग्वेद की उपलब्ध विभिन्न शास्त्रीय संहिताओं का तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन' पर प्राप्त किया है.

अमलधारी सिंह का जन्म जौनपुर जिले में 22 जुलाई 1938 को हुआ था. बचपन से ही पढ़ने लिखने में होशियार थे. उन्होंने 1966 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी की. इसके साथ बीएचयू में एनसीसी के वारंट ऑफिसर के पद पर 4 साल तक अपनी सेवाएं दीं. अमलधारी सिंह को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने 1963 में बेस्ट चैनल अवार्ड में चैंपियन ट्रॉफी भी दिया था. अमलधारी ने पढ़ाई क्रम को जारी रखते हुए 1967 में जोधपुर यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात हुए और 11 साल तक सेवाएं दी. इसके बाद रायबरेली के पीजी कॉलेज में 1999 तक अध्यापन किया. रिटायरमेंट के बाद बीएचयू के वैदिक दर्शन विभाग में काम किया और अनवरत अपने पढ़ाई को जारी रखा. अमलधारी सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वर्ष 2021 में D.Litt की उपाधि के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. अब 23 जून 2022 को अमलधारी सिंह को डिलीट की उपाधि दी गई.

जानकारी देते डॉ. अमलधारी सिंह.

इसे भी पढ़ें-काशी के विद्वान तैयार करेंगे पुरोहित बोर्ड की नियमावली, सीएम योगी ने दी जिम्मेदारी


अमलधारी सिंह ने बताया कि 'वह बिल्कुल स्वस्थ हैं और सामान्य विद्यार्थी की तरह हैं. पढ़ने से थकावट नहीं होता है और काम करना भी अच्छा लगता है. मेरा विषय वेद था जो पूरे विश्व में सबसे प्राचीन है. ऋषि द्वारा प्रत्यक्ष बताया गया है सब कुछ प्रायोगिक है. प्रयोग किया हुआ विज्ञान है उसका उपयोग जीवन में करना चाहिए.' अमलधारी ने बताया कि 'गुरुजन बहुत अच्छे थे, उनके द्वारा प्राप्त की गई शिक्षा कभी नहीं लौटा सकते. लेकिन हमारा उद्देश्य है इसको अन्य लोगों तक पहुंचाया जाए. इसीलिए मैं इस कार्य को निरंतर जारी रखता हूं. इसीलिए परिश्रम करता रहता हूं और आने वाले छात्रों को बताता भी रहता हूं.'

अमलधारी सिंह के बेटे विक्रम प्रताप सिंह ने बताया कि उनके पिता का वेद और सनातन धर्म के प्रति शुरू से झुकाव रहा है. उन्होंने जोधपुर में कार्य किया. रिटायरमेंट के बाद वेद सनातन धर्म के प्रति झुकाव जारी रहा. पिता से हम लोगों को प्रेरणा और ऊर्जा मिलती है. हम लोग भी इस ज्ञान की परंपरा को बढ़ाएंगे.'

Doctor of Literature
किताबों के साथ अमलधारी सिंह.
Last Updated : Jun 27, 2022, 8:07 PM IST
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