ETV Bharat / bharat

अजब-गजब : एक पेड़ पर 40 किस्म के आम, लोगों में बना कौतूहल

राजधानी लखनऊ स्थित मलिहाबाद में आम के एक पेड़ में 40 किस्म के आम आते हैं. सलीम नाम के बागवान ने ग्राफ्टिंग तकनीक का सहारा लेते हुए ये पेड़ तैयार किया है. जिसकी चर्चा चारों तरफ हो रही है.

आम
आम
author img

By

Published : Jul 3, 2021, 6:37 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित मलिहाबाद में आम का एक ऐसा पेड़ है, जिस पर 40 किस्म के आम उगते हैं. इस अनोखे आम के पेड़ को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह कैसे संभव है. जिस आम के पेड़ की इतनी चर्चा हर तरफ हो रही है, उसे बेहद ही खास तरीके से लगाया गया है. इसे तैयार करने में लगभग तीन साल का समय लगा है और अब इसमें अलग-अलग किस्म के आम आ रहे हैं.

बागवान ने उगाए पेड़ पर 40 तरह के आम
मलिहाबाद के मुंजासा गांव के रहने वाले सलीम नाम के बागवान ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने आम के एक ही पेड़ से 40 किस्म के आम उगाए हैं. उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति से ग्राफ्टिंग तकनीक का सहारा लेते हुए आम की एक खास पौध विकसित की है, जिसमें 40 तरह के आम लगे हुए हैं. मो. सलीम की गिनती जिले के प्रगतिशील किसानों में होती है.

एक पेड़ पर 40 किस्म के आम.

सलीम अहमद बताते हैं कि उन्होंने एक ही पेड़ में 40 अलग-अलग किस्में ईजाद की हैं. जिसमें कुछ किस्मों के नाम जैसे कि अल्फांसो, सांसेसन, डामो अटकिंन, उसा सोलिया, हरदिल अजीज, हिम सागर, गुजरात का केसर, बगनपल्ली, अंंबिका, सिंधु, बिज्जू, मालदा, आम्रपाली, मक्खन, गुलाब खाश, आम खाश, अरुणिमा, राम केला, लंगड़ा, चौसा, मटियारा, खसोमखास, अमेरिकन ऐप्पल, जर्दालु समेत अन्य ढेर सारी किस्में को ईजाद किया है.

कई बार किए जा चुके हैं सम्मानित
सलीम अहमद लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आम महोत्सव में लगी प्रदर्शनी में कई बार सम्मानित किए गए हैं. वर्ष 2017 में खसोमखश आम को लेकर उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला था, तो वहीं वर्ष 2019 में तीन आमों को लेकर जिसमें खसोमखास, लंगड़ा और संसेसन को लेकर प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया था.

क्या है ग्राफ्टिंग पद्धति ?
सलीम अहमद की जैद नाम से नर्सरी है. सलीम के पास चार एकड़ का अपना एक बागान भी है. जहां उन्होंने बागवानी में कई सारे प्रयोग किए हैं. ग्राफ्टिंग तकनीकी उन्हीं प्रयोगों का हिस्सा है. इस बारे में ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि बागान में सभी छोटे आम के पेड़ क्रॉस पद्धति या ग्राफ्टिंग पद्धति के ही हैं. उन्होंने कहा कि क्रॉस पद्धति में अलग-अलग किस्म के जर्दालू, दशहरी, मालदा, बिज्जू, लंगड़ा और कलमी सहित अन्य किस्म के आम के पौधे लगाए जाते हैं.

जब ये पौधे करीब दो फीट से बड़े हो जाते हैं तो उनकी कलम काट कर दूसरे पेड़ की कलम से जोड़ दी जाती है. इसके बाद इस कलम के जोड़ को पन्नी से बांध दिया जाता है, जो करीब 20 दिन में अच्छे से चिपक कर जुड़ जाती है. सलीम ने बताया कि इस तरह 40 किस्म की आम की पौध तैयार हो जाती है.

ढाई-तीन साल में ही फल देने लगते हैं पेड़
सलीम ने कहा कि बागवानी के शौकीनों के लिए यह प्रयोग बहुत नया नहीं है. जिस तरह गुलाब, गेंदा वगैरह फूलों के पौधों को कलम करते हैं. उसी तरह इसमें भी करते हैं. खासकर शहर के ​लिए यह तकनीक बड़े काम की है. छत पर बड़े गमले में भी पेड़ लगाकर फलों का मजा लिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस तरह के पेड़ ढाई-तीन साल के बाद फल देने लगते हैं.

शहर में जमीन की कमी होती है. ऐसे में अगर घर के आगे क्यारी के लायक थोड़ी सी भी जमीन है तो वहां पेड़ लगाया जा सकता है. ग्राफ्टिंग पद्धति के जरिये यह कम जगह में उगने वाला पौधा है. इससे एक ही आम के पेड़ में कई किस्म के आम उगाए जा सकते हैं और मजे से उन आमों का स्वाद लिया जा सकता है.

लोगों को भी सिखाते हैं खेती-बागवानी
सलीम अहमद ने बताया कि इस तरह से केवल एक बड़े से पेड़ पर 40 अलग-अलग किस्म के ढेरों आम लगे हुए हैं. वे बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें कृषि विभाग से मदद लेनी पड़ी थी, लेकिन अब वे ही लोगों को खेती-बागवानी की तकनीक सिखाते हैं. इलाके का कोई भी किसान उनसे जो भी जानकारी लेने पहुंचता है. वे उन्हें खेती और बागवानी के गुर सिखाते हैं. जिससे दूसरे को रोजगार मुहैया मिल सके.

पढ़ेंः इस अनोखी खेती से किसान कमा रहे मोटा मुनाफा, डीएम ने भी किया निरीक्षण

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित मलिहाबाद में आम का एक ऐसा पेड़ है, जिस पर 40 किस्म के आम उगते हैं. इस अनोखे आम के पेड़ को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर यह कैसे संभव है. जिस आम के पेड़ की इतनी चर्चा हर तरफ हो रही है, उसे बेहद ही खास तरीके से लगाया गया है. इसे तैयार करने में लगभग तीन साल का समय लगा है और अब इसमें अलग-अलग किस्म के आम आ रहे हैं.

बागवान ने उगाए पेड़ पर 40 तरह के आम
मलिहाबाद के मुंजासा गांव के रहने वाले सलीम नाम के बागवान ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने आम के एक ही पेड़ से 40 किस्म के आम उगाए हैं. उन्होंने वैज्ञानिक पद्धति से ग्राफ्टिंग तकनीक का सहारा लेते हुए आम की एक खास पौध विकसित की है, जिसमें 40 तरह के आम लगे हुए हैं. मो. सलीम की गिनती जिले के प्रगतिशील किसानों में होती है.

एक पेड़ पर 40 किस्म के आम.

सलीम अहमद बताते हैं कि उन्होंने एक ही पेड़ में 40 अलग-अलग किस्में ईजाद की हैं. जिसमें कुछ किस्मों के नाम जैसे कि अल्फांसो, सांसेसन, डामो अटकिंन, उसा सोलिया, हरदिल अजीज, हिम सागर, गुजरात का केसर, बगनपल्ली, अंंबिका, सिंधु, बिज्जू, मालदा, आम्रपाली, मक्खन, गुलाब खाश, आम खाश, अरुणिमा, राम केला, लंगड़ा, चौसा, मटियारा, खसोमखास, अमेरिकन ऐप्पल, जर्दालु समेत अन्य ढेर सारी किस्में को ईजाद किया है.

कई बार किए जा चुके हैं सम्मानित
सलीम अहमद लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आम महोत्सव में लगी प्रदर्शनी में कई बार सम्मानित किए गए हैं. वर्ष 2017 में खसोमखश आम को लेकर उन्हें प्रथम पुरस्कार मिला था, तो वहीं वर्ष 2019 में तीन आमों को लेकर जिसमें खसोमखास, लंगड़ा और संसेसन को लेकर प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया था.

क्या है ग्राफ्टिंग पद्धति ?
सलीम अहमद की जैद नाम से नर्सरी है. सलीम के पास चार एकड़ का अपना एक बागान भी है. जहां उन्होंने बागवानी में कई सारे प्रयोग किए हैं. ग्राफ्टिंग तकनीकी उन्हीं प्रयोगों का हिस्सा है. इस बारे में ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि बागान में सभी छोटे आम के पेड़ क्रॉस पद्धति या ग्राफ्टिंग पद्धति के ही हैं. उन्होंने कहा कि क्रॉस पद्धति में अलग-अलग किस्म के जर्दालू, दशहरी, मालदा, बिज्जू, लंगड़ा और कलमी सहित अन्य किस्म के आम के पौधे लगाए जाते हैं.

जब ये पौधे करीब दो फीट से बड़े हो जाते हैं तो उनकी कलम काट कर दूसरे पेड़ की कलम से जोड़ दी जाती है. इसके बाद इस कलम के जोड़ को पन्नी से बांध दिया जाता है, जो करीब 20 दिन में अच्छे से चिपक कर जुड़ जाती है. सलीम ने बताया कि इस तरह 40 किस्म की आम की पौध तैयार हो जाती है.

ढाई-तीन साल में ही फल देने लगते हैं पेड़
सलीम ने कहा कि बागवानी के शौकीनों के लिए यह प्रयोग बहुत नया नहीं है. जिस तरह गुलाब, गेंदा वगैरह फूलों के पौधों को कलम करते हैं. उसी तरह इसमें भी करते हैं. खासकर शहर के ​लिए यह तकनीक बड़े काम की है. छत पर बड़े गमले में भी पेड़ लगाकर फलों का मजा लिया जा सकता है. उन्होंने बताया कि इस तरह के पेड़ ढाई-तीन साल के बाद फल देने लगते हैं.

शहर में जमीन की कमी होती है. ऐसे में अगर घर के आगे क्यारी के लायक थोड़ी सी भी जमीन है तो वहां पेड़ लगाया जा सकता है. ग्राफ्टिंग पद्धति के जरिये यह कम जगह में उगने वाला पौधा है. इससे एक ही आम के पेड़ में कई किस्म के आम उगाए जा सकते हैं और मजे से उन आमों का स्वाद लिया जा सकता है.

लोगों को भी सिखाते हैं खेती-बागवानी
सलीम अहमद ने बताया कि इस तरह से केवल एक बड़े से पेड़ पर 40 अलग-अलग किस्म के ढेरों आम लगे हुए हैं. वे बताते हैं कि शुरुआत में उन्हें कृषि विभाग से मदद लेनी पड़ी थी, लेकिन अब वे ही लोगों को खेती-बागवानी की तकनीक सिखाते हैं. इलाके का कोई भी किसान उनसे जो भी जानकारी लेने पहुंचता है. वे उन्हें खेती और बागवानी के गुर सिखाते हैं. जिससे दूसरे को रोजगार मुहैया मिल सके.

पढ़ेंः इस अनोखी खेती से किसान कमा रहे मोटा मुनाफा, डीएम ने भी किया निरीक्षण

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.