बेलगावी (कर्नाटक) : कर्नाटक विधानपरिषद के सभापति बसावराज होराट्टी (Basavaraj Horatti) ने बुधवार को सदन की कार्यवाही में 'जान-बूझकर' व्यवधान डालने तथा पीठासीन अधिकारी की अवमानना करने को लेकर विपक्ष के नेता एस आर पाटिल समेत कांग्रेस के 15 सदस्यों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया.
अन्य निलंबित सदस्य एम नारायणस्वामी, बी के हरिप्रसाद, प्रतापचंद्र शेट्टी, सी एम इब्राहिम, नसीर अहमद, आर बी थिम्मापुरा, बासवराज पाटिल इटागी, यू बी वेंकेटेश, अरविंद कुमार अराली, एम वी गोपालस्वामी, सी एम लिंगप्पा, वीणा अचैया, पी आर रमेश और हरीश कुमार हैं. ये सदस्य आसन के समीप धरना पर बैठ गये थे और नारे लगा रहे थे. वे जमीन पर कब्जे के आरोपों को लेकर बहस की मांग कर रहे थे जिसमें एक मंत्री एवं एक विधायक कथित रूप से शामिल हैं.
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इसपर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पर दबाव डालते हुए नारायणस्वामी ने कहा कि एक मंत्री एवं एक विधायक ने बेंगलुरु में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कथित रूप से जमीन हथियायी और बेंगलुरू की एक अदालत ने इसका संज्ञान लिया है एवं उनके विरूद्ध फौजदारी मामलों का आदेश दिया है. इसका विरोध करते हुए कानून एवं विधायी मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि न्यायालय के समक्ष विचाराधीन मामले पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती है.
उसके बाद भी कांग्रेस सदस्य अपनी मांग पर अड़े रहे लेकिन सभापति ने विपक्षी एवं सत्ता पक्ष की बातें सुनने के बाद चर्चा की अनुमति नहीं दी. कांग्रेस सदस्यों ने पीठासीन अधिकारी से अपने फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया. लेकिन जब उनकी बात नहीं मानी गयी तब सदन में शोर-शराबा जारी रहा. इस पर सदन के नेता और मंत्री कोटा श्रीनिवास ने अध्यक्ष की अवज्ञा करने को लेकर इन सदस्यों के विरूद्ध कार्रवाई पर बल दिया एवं पीठासीन अधिकारी ने उन्हें दिन भर के लिए निलंबित कर दिया.