मलप्पुरम: केरल वन विभाग ने इतिहास में अब तक का रिकॉर्ड बनाते हुए 114 साल पुराने नीलांबुर सागौन के पेड़ 39.29 लाख रुपये में नीलाम किए गए हैं. तिरुवनंतपुरम के मूल निवासी अजेश निर्यात के लिए उगाए गए इस सागौन के पेड़ों के तीनों हिस्सों के मालिक हैं. पिछले तीन वर्षों से, वह नीलांबुर में वन विभाग के अरुवाकोड नेदुनकायम डिपो में ई-नीलामी में भाग ले रहे हैं.
इस नीलामी ने नीलांबुर सागौन की लकड़ी की अब तक की सबसे ऊंची कीमत भी दर्ज की है. पेड़ एक राज्य सरकार द्वारा संरक्षित वृक्षारोपण से था, जिसे 1909 में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा उगाया गया था. बीती 10 तारीख को नेदुनकायम डिपो में सूखे सागौन के 3 टुकड़े नीलामी के लिए रखे गए थे. सागौन की सूखी लकड़ी के तीन टुकड़े नीलामी के लिए रखे गए थे. तीन टुकड़े मिलाकर लगभग आठ घन मीटर बनते हैं.
इस सागौन के लिए नीलामी में कड़ी प्रतिस्पर्धा थी. एक पीस 23 लाख और दूसरा व तीसरा हिस्सा क्रमश: 11 और 5.25 लाख में नीलाम हुआ. वैसे तो सागौन की सूखी लकड़ी से सरकारी खजाने में 39.25 लाख रुपए की कमाई की जा सकती थी, लेकिन चूंकि यह एक संरक्षित वृक्षारोपण है, इसलिए यहां सागौन की लकड़ियों को केवल तभी नीलाम किया जाता है, जब वे सूख जाती हैं या गिर जाती हैं. नीलांबुर सागौन अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रसिद्ध है.
नेदुनकायम टिम्बर सेल डिपो रेंज के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें ज्यादा कीमत की उम्मीद थी, लेकिन इतनी ज्यादा उम्मीद नहीं थी. नेदुनकायम डिपो से, सागौन के लट्ठों को लॉरियों में लाद कर तिरुवनंतपुरम ले जाया गया. बहुत से लोग सागौन की लकड़ी को लॉरी में लादे जाते हुए देखने आए थे, जिसकी रिकॉर्ड कीमत मिली थी. इसकी लोडिंग चार्ज के लिए 15,000 रुपये दिए गए, जबकि लॉरी हायरिंग चार्ज समेत इसकी खरीद पर कुल 40 लाख रुपये का खर्च आया.