शीतला सप्तमी पर जीनंगर समाज ने निभाई 250 साल पुरानी परंपरा...निकाली गणगौर जेले की शोभायात्रा

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अजमेर में शीतला सप्तमी के अवसर पर 2 सदी पुरानी जीनंगर समाज की गणगौर जेले की विशाल शोभायात्रा निकालने की परंपरा निभाई गई. नगर निगम से शोभा यात्रा का आगाज हुआ. इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में समाज के लोगों के अलावा गणमान्य नागरिक भी शामिल हुए. हर वर्ष की भांति इस बार भी शहर के विभिन्न बैंड वादको ने शोभा यात्रा के दौरान शानदार प्रदर्शन किया. अजमेर में जीनंगर समाज की गणगौर जेले का महोत्सव काफी प्रसिद्ध है. दूर दराज से लोग इस महोत्सव में शामिल होते है. पारंपरिक वेशभूषा में गणगौर जेले की शोभायात्रा निकलने की पारंपरा शीतला सप्तमी पर निभाई जाती है. समाज के पदाधिकारी हीरा लाल जीनंगर की मानें तो 250 वर्ष पहले यह पारंपरा समाज के लोगों ने शुरू की थी. इस पारंपरा का हर वर्ष भव्य रूप से निर्वहन किया जाता रहा है. विगत 2 वर्ष से कोरोना के संकटकाल में जेले नही निकाली जाती थी. शोभायात्रा के दौरान आगे की और 3 महिलाएं मोरिया अपने सिर पर उठा कर चलती हैं. हीरालाल जीनंगर बताते हैं कि यह मोरिया भगवान गजानंद के प्रतीक होते हैं. वही शोभा यात्रा मैं पीछे की ओर तीन महिलाएं सिर पर गणगौर जेले लेकर चलती है. यह जेले भगवान शिव और उनकी अर्धांगिनी पार्वती के रूप में मानी जाती हैं.
Last Updated : Feb 3, 2023, 8:20 PM IST

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