18 Year Old Becomes Monk: 18 की उम्र में छोड़ा घर बार, दीक्षार्थी संस्कृति सालेचा बनीं जैन साध्वी - दीक्षार्थी संस्कृति सालेचा बनीं जैन साध्वी
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बिजयनगर. 18 साल की उम्र में माता पिता को त्याग मुमुक्षु (दीक्षार्थी) संस्कृति सालेचा जैन साध्वी साधना श्री जी महारासा बनी हैं. संयम मार्गी ही आत्म कल्याण का मुख्य पथ है- इस विचार के साथ हजारों धर्मावलंबियों की मौजूदगी में उन्होंने सांसारिक भोगों का त्याग किया. कृषि मंडी प्रांगण में साध्वी प्रमुख जैन सतिया कमलाप्रभा, संघ नायक प्रियदर्शन मुनि, आदि ठाणा और हजारों धर्मावलंबियों की उपस्थिति में मुमुक्षु संस्कृति सालेचा ने नए जीवन में प्रवेश किया.
श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ व श्री नानक जैन श्रावक समिति और ज्ञानचन्द सिंघवी की ओर से जैन भगवती दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया. जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुए. दीक्षा महोत्सव के तहत मुमुक्षु संस्कृति सालेचा का बिजयनगर शहर में वरघोड़ा निकाला गया. फिर जैन सन्तों व साध्वी जनों के सानिध्य में प्रवचन कार्यक्रम हुआ. इस दौरान पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे. मुमुक्षु बहन संस्कृति सालेचा ने सन्त प्रियदर्शन मुनि के मुखारविंद से मंगल पाठ ग्रहण कर संयम पथ पर अग्रसर होने का प्रण लिया. इस अवसर पर संघ समाज की ओर से मुमुक्षु बहन के परिजन और अतिथियों का अभिनंदन किया गया.
हैदराबाद से है नाता- मुमुक्षु संस्कृति ने बताया कि वह विगत काफी समय से धर्म पथ पर अग्रसर होने के लिए संत जनों व साध्वी जनों की प्रेरणा से प्रतिक्रमण भक्तांबर स्त्रोत, कल्याण मंदिर स्त्रोत आदि का अध्ययन कर कंठस्थ किया है. इसके अतिरिक्त नियमित रूप से साध्वी जनों से धार्मिक अध्ययन में रुचि रखकर एवं धर्म आराधना के माध्यम से आत्म कल्याण की ओर अग्रसर हैं. हैदराबाद निवासी रिखबचंद संतोषदेवी सालेचा के परिवार में जन्मी मुमुक्षु संस्कृति ने बताया कि अब वो धर्म का प्रचार करेंगी.